Kissa-A- IAS: IAS Shivguru Prabhakaran: सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस!

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Kissa-A- IAS: IAS Shivguru Prabhakaran: सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस!

यदि किसी परिवार में पिता शराबी हो, तो परिवार का लड़का या तो भटक जाता है या अपनी जिम्मेदारी संभालकर कुछ बन जाता है। ये कहानी ऐसे ही तमिलनाडु के शिवगुरु प्रभाकरन की, जिसने अभाव के बीच अपनी जिम्मेदारियों को संभाला और फिर खुद भी लक्ष्य हांसिल किया। इस युवक के संघर्ष का सबसे सकारात्मक पक्ष यह है कि वो मुसीबतों का पहाड़ लांघकर भी थके नहीं। पिता की शराब की लत को छुड़ाने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। ऐसी स्थिति में मां और बहन खेतों में काम करके घर चलाती रही। फिर रात में बांस की टोकरी बनाया करती। उनके पिता की शराब की लत ही परेशानियों की वजह रही। शिवगुरु को पढ़ाई छोड़कर आरा मिल में ऑपरेटर की नौकरी करनी पड़ी। साथ ही वे खेतों में भी काम करते। किसान परिवार के इस लड़के ने बचपन से गरीबी देखी। लेकिन, शायद मन में कुछ अलग करने की ललक रही। उनके इसी जज्बे ने उन्हें टॉप सरकारी आईएएस बना दिया। .

Kissa-A- IAS: IAS Shivguru Prabhakaran: सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस!

शिवगुरु प्रभाकरन ने कभी खुद को हालात के आगे कमजोर नहीं पड़ने दिया। जरूरत पड़ने पर उन्होंने अपने परिवार का साथ दिया। यहां तक कि उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी। फिर अथक मेहनत की। भाई-बहनों को पढ़ाया, खुद आईआईटी जैसे टॉप इंजीनियरिंग संस्थान से पढ़ाई की और उसके बाद आईएएस अफसर बनकर सबको सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस दिया। परेशानियों के बावजूद शिवगुरु इसी तरह जीना नहीं चाहते थे। उन्हें कुछ खास करना था। उन्होंने अपनी बहुत छोटी कमाई को परिवार की जरूरतों और पढ़ाई के लिए बांटना शुरू कर दिया। बहन की शादी के बाद प्रभाकरन ने अपनी पढ़ाई फिर शुरू की। छोटे भाई की पढ़ाई में भी सपोर्ट किया।

Kissa-A- IAS: IAS Shivguru Prabhakaran: सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस!

इस संघर्ष के बीच 2008 में शिवगुरु को वेल्लोर के थैंथाई पेरियार गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग प्रोग्राम में एडमिशन मिल गया। लेकिन, उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं था। कॉलेज फीस भरने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिए। स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद एम शिवगुरु ने तय किया कि वह आगे की पढ़ाई आईआईटी से करेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें तैयारी करना थी। ऐसे में उनके एक दोस्त ने उन्हें सेंट थॉमस स्टेशन पर गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले एक शिक्षक के बारे में जानकारी दी। एम शिवगुरू सेंट थॉमस जाकर पढ़ा करते, वहीं रात बिताते थे। वहीं, सप्ताहांत पर वापस घर लौटते थे। इसके साथ ही खर्च चलाने के लिए वह पार्ट टाइम जॉब भी किया करते थे।

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वे हफ्ते भर क्लास अटेंड करते थे और वीकेंड पर सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बैठकर अपनी पढ़ाई करते। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने आईआईटी मद्रास एंट्रेंस एग्जाम पास कर एम टेक में एडमिशन लिया। 2014 में वे पोस्ट ग्रेजुएट हो गए। एमटेक के बाद वे आगे बढ़ना चाहते थे। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। अपने पहले प्रयास में वे असफल रहे। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरा प्रयास किया, लेकिन वह यहां भी फेल हो गए। तीसरा प्रयास भी किस्मत को मंजूर नहीं था। वे इस बार भी सफल नहीं हो सके। उन्होंने चौथा प्रयास किया और इस बार उन्होंने अपने पिछली असफलताओं से सीखा। उन्होंने अपनी तैयारी को धार देते हुए चौथा प्रयास किया और इस बार वह आईएएस बनने में सफल हो गए। उन्हें 101 वी रैंक मिली और वे 2017 बैच के IAS अधिकारी बन गए।
शिवगुरु प्रभाकरन फ़िलहाल कोयंबटूर नगर निगम के आयुक्त पद पर कार्यरत हैं।

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