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Narendra Modi Elected Leader of NDA : नरेंद्र मोदी को NDA ने संसदीय दल का नेता चुना!
New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) की संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई मीटिंग में एनडीए के 13 दलों के नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे नया दायित्व देने के लिए आभार। यह गठबंधन सच्चे अर्थों में भारत की असली स्पिरिट है। मीटिंग खत्म होने के बाद गठबंधन के नेता सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। मोदी 9 जून को शाम 6 बजे राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ले सकते हैं। मोदी के साथ पूरा मंत्रिमंडल भी शपथ ले सकता है। आज की बैठक में एनडीए के सभी 293 सांसद, राज्यसभा सांसद और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम मौजूद रहे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वागत भाषण दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा। अमित शाह ने इसका समर्थन किया और नितिन गडकरी ने अनुमोदन किया। जेडीएस अध्यक्ष कुमारस्वामी ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
इसके बाद एनडीए घटक टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हम सभी को बधाई देते हैं। मैंने चुनाव प्रचार के दौरान देखा है कि 3 महीने तक पीएम ने कभी आराम नहीं किया। उन्होंने उसी भावना के साथ शुरुआत की और उसी भावना के साथ खत्म किया। आंध्र में हमने 3 जनसभाएं और 1 बड़ी रैली की और इसने चुनाव जीतने में बहुत बड़ा अंतर पैदा किया।
जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मैं मोदी जी के नाम का समर्थन करता हूं। मैं तो चाहता था कि वो आज ही शपथ लें। यह बहुत खुशी की बात है कि 10 साल से पीएम हैं। अब फिर पीएम होने जा रहे हैं। इन्होंने देश की सेवा की, जो कुछ भी बचा है, उसे अब पूरा कर देंगे। अगली बार जब आप आइएगा तो जो कुछ इधर उधर के लोग जो जीत गए है, वो कोई नहीं जीतेगा।
यह एनडीए की ‘महाविजय’
एनडीए संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को अगर हम हर पैरामीटर से देखें। दुनिया मान रही है कि ये एनडीए की ‘महाविजय’ है। दो दिन आपने देखा कि कैसे गया, ऐसा लग रहा था जैसे हम हार गए। क्योंकि, विपक्ष को अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसे काल्पनिक वादे करने पड़े। अगर गठबंधन के इतिहास के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह सबसे मजबूत गठबंधन सरकार है। इस जीत को स्वीकार न करने की कोशिश की गई।
ईवीएम का शोर सुनाई नहीं देगा
नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि मैं आशा करता हूं कि अगले पांच साल तक ईवीएम तो नहीं सुनाई देगा। पांच साल बाद जब 2029 में जाएंगे तो फिर हमें शायद ईवीएम को लेकर चर्चा सुनाई दे। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मैंने पहली बार देखा कि चुनाव आयोग के काम में दखल देने के लिए भांति-भांति के तरीके अपनाए गए। सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा गए। ऐसा करने वालों की एक ही टोली थी। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारत को बदनाम करने और चुनाव आयोग को काम करने से रोकने के लिए षड्यंत्र रचा गया।
ईवीएम ने उनको चुप कर दिया
नरेंद्र मोदी ने कहा कि 4 जून को जब नतीजे आ रहे थे तो उस वक्त मैं व्यस्त था। फिर मेरे पास फोन आना शुरू हुए। मैंने किसी को पूछा कि आंकड़े तो ठीक हैं, लेकिन ये बताओ की ईवीएम ठीक तो है! ये लोग (विपक्ष) तय करके बैठे थे कि भारत के लोगों का विश्वास की लोकतंत्र से उठ जाए। लगातार इन लोगों ने ईवीएम को गाली दी। मुझे लगा था कि चुनावी नतीजों के बाद ईवीएम की विपक्ष अर्थी निकालेगा, मगर 4 जून की शाम होते-होते इनके मुंह पर ताले लग गए। ईवीएम ने उनको चुप कर दिया, ये ताकत है भारत के लोकतंत्र की।