अस्सी के घाट पर

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प्रदेश के शब्द साधक एवं मध्यप्रदेश गान के रचयिता मूर्धन्य पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने आज उम्र के अस्सी वें वर्ष में प्रवेश करते हुए एक कविता यूँ ही लिख कर मीडिया वाला को भेजी है, महेशजी का आभार मानते हुए हमें यह कविता पाठकों तक पहुँचाते हुए हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। महेश जी को जन्मदिन की बधाई एवं स्वस्थ दीर्घायु जीवन की हार्दिक शुभकामनाएँ

अस्सी के घाट पर
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अस्सी के घाट पर
पुरुषार्थ के पांव पर
खड़ा हूं चुपचाप
नहीं चाहता
प्रतिध्वनि बन लौटे
कराह या पुकार।

जानता हूं
भरता नहीं सरोवर
प्रवासी पक्षियों की याद में
आंसू बहा कर।
कटते नहीं कष्ट
टूटे हुए सपनों की
नुमाइश लगाकर।
चुका कर उम्र
पौधे खिलाते जो फूल
शीघ्र झर जाते
अंत तक
कांटे ही साथ रह पाते।

लेकिन
शेष है अभी
जीवन में राग
मुरझाते फूल में पराग
बुझती मशाल में आग।

पता है
पतझड़ का पत्ता हूं
आता होगा वसंत
स्वागत कर लूं उसका
बस तब तक अटका हूं।
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महेश श्रीवास्तव