MP News: स्कूलों में बच्चों को संस्कारी बनाने सरकार पढ़ाएगी भारतीय संस्कृति का पाठ

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MP News: स्कूलों में बच्चों को संस्कारी बनाने सरकार पढ़ाएगी भारतीय संस्कृति का पाठ

पहले शिक्षक होंगे ट्रेंड फिर बच्चों को बताएंगे भारतीय सांस्कृतिक विविधता

भोपाल. प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चे अब भारतीय कला और संस्कृति का पाठ पढ़ेंगे। इसके लिए पहले प्रदेश मे अब शिक्षा को संस्कृति से जोड़ने स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद ये शिक्षक स्कूली बच्चों को कक्षाओं में अन्य विषयों की शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का पाठ पढ़ाएंगे। इस तरह अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान देकर सरकार संस्कारी बनाएगी।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा के उद्देश्यों में शिक्षा को संस्कृति से जोड़ने के लिए स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों एवं शिक्षक प्रशिक्षकों के लिए कार्यशाला मोड में प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे प्रदेश में आयोजित किए जाएंगे। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कैसे किया जाए बताया जाएगा। भारत की सांस्कृतिक विविधता की जानकारी दी जाएगी। शिक्षा में हस्तकला कौशल का समावेश किस तरह किया जाए यह बताया जाएगा। शिक्षा में पुतलीकला की क्या भूमिका हो सकती है यह भी शिक्षक सीखेंगे। एनईपी 2020 के अनुरुप शामिल पाठ्यक्रम की जानकारी भी शिक्षक सीखेंगे। शिक्षा में संग्रहालय की भूमिका भी शिक्षक जानेंगे।

19 जून से 6 मार्च 2025 तक होगा प्रशिक्षण-प्रशिक्षण की शुरुआत भोपाल संभाग से 19 जून से की जाएगी। जो 4 मार्च 2025 तक चलेगा। भोपाल के अलावा चंबल, नर्मदापुरम,जबलपुर, उजजैन,इंदौर, सागर,ग्वालियर, शहडोल, रीवा संभागों में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा.

स्कूली बच्चे सीखेंगे प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, सांस्कृतिक विविधता-

सरकारी स्कूलों में गणित, विज्ञान, भूगोल, इतिहास, भाषा का प्रशिक्षण तो दिया जाता है लेकिन भारतीय कला और संस्कृति का अलग से अध्ययन नहीं कराया जाता है। यह प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षक अपने स्कूलों में बच्चों को भारत की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत का संरक्षण किस तरह किया जाए यह सीखेंगे संस्कृति के बारे में जानेंगे। भारत में किस तरह की सांस्कृतिक विविधता है यह जानेंगे। इसके अलावा पुतली कला और हस्तकला के पारंपरिक ज्ञान का भी अर्जन कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति में संस्कृति को किस तरह से शिक्षा से जोड़ा जाना है यह भी बच्चे सीखेंगे।

इस तरह होगा प्रशिक्षण के लिए चयन-

जिन शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना है उनका चयन सीसीआरटी के निर्देशों का पालन करते हुए किया जाएगा। यह प्रशिक्षण उन्हीं शिक्षकों को दिया जाएगा जो 52 साल से अधिक उम्र के नहीं हो और उन्हें न्यूनतम शिक्षण के दो वर्ष का अनुभव हो। एक स्कूल से मात्र एक शिक्षक का इस कोर्स के लिए चयन किया जाएगा। जिन शिक्षकों में सीसीआरटी का प्रशिक्षण पूर्व में प्राप्त किया है उनका चयन इन कोर्सेस के लिए नहीं किया जाएगा। कक्षा एक से बारह तक पढ़ाने वाले शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा।

पूर्व प्रायमरी शिक्षक, हेड मास्टर, प्राचार्य, संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक, योगा शिक्षक, एसयूपीडब्ल्यू, खेल शिक्षक, लाइब्रेरियन, प्रयोगशाला सहायक तथा विशिष्ट विकलांग शिक्षकों को यह प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान यह भी ध्यान रखना होेगा कि विद्यालय में शिक्षण कार्य बाधित न हो। शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए कार्यमुक्त होंने से पहले उन्हें अपने विद्यालय प्रमुख के हस्ताक्षर से कार्य मुक्ति का प्रमाणपत्र साथ में ले जाना आवश्यक होगा तथा संबंधित के कार्यस्थल पर यथा समय उपस्थिति देने पर ही यात्रा और दैनिक देयकों के भुगतान प्रशिक्षण एजेंसी द्वारा किए जाएंगे।