‘NET’ Paper Leak Case : शिक्षा मंत्री ने स्वीकारा ‘शिक्षा विभाग में कई विसंगतियां, इन्हें ठीक करने की जरुरत!’

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‘NET’ Paper Leak Case : शिक्षा मंत्री ने स्वीकारा ‘शिक्षा विभाग में कई विसंगतियां, इन्हें ठीक करने की जरुरत!’

गड़बड़ी करने वाले कितने भी ताकतवर, किसी भी लॉबी के हों, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा!

नई दिल्ली। मेडिकल एंट्रेंस के लिए होने वाली ‘नीट परीक्षा’ के बाद ‘यूजीसी नेट परीक्षा’ का परचा लीक होने से देशभर में भारी बवाल हुआ। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद यूजीसी नेट परीक्षा रद्द हुई। इसके बाद शिक्षा विभाग के सचिव से मिली शिकायत के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 18 जून को आयोजित यूजीसी नेट परीक्षा की शुचिता से कथित रूप से समझौता करने के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी और 420 के तहत मामला भी दर्ज किया।
इस शिकायत में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 19 जून को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से इनपुट मिले थे। इनमें कहा गया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा देश के विभिन्न शहरों में दो शिफ्टों में आयोजित यूजीसी नेट-2024 परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है। उल्लेखनीय हैं कि यूजीसी-नेट जूनियर रिसर्च फेलोशिप के पुरस्कार, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए भारतीय नागरिकों की पात्रता निर्धारित करने के लिए एक परीक्षा है। यूजीसी-नेट का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) मोड में किया जाता है।

नए शिक्षा मंत्री ने गड़बड़ियां स्वीकारी
सड़कों से लगाकर सुप्रीम कोर्ट तक छाए पेपर लीक मामले में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कई गड़बड़ियां स्वीकार की। साथ ही इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट और प्रजातंत्र की निगरानी की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुछ महीने पहले हमारे पास पेपर लीक रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। सरकार को भी प्रमाण आधारित, तथ्य आधारित डील करने की भी आवश्यकता है, कुछ विसंगतियां भी सामने आई है। इसको ठीक करने की जिम्मेदारी भी सरकार की तरफ़ से हम लेते हैं।
उन्होंने माना कि एनटीए को तुरंत क्लीन चिट देना मेरी गलती हैं। मैने चैनल पर पहले कहा था कि इसमें कोई विसंगति नहीं हैं। वह मेरा पहला दिन था। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने रि-टेस्ट का आदेश दिया था उस समय तक इसमें कोई विसंगति है। मुझे पता नहीं था, लेकिन जब मैं इस मामले में अंदर तक गया और जांच एजेंसियों से पता चला तो ये खामियां नजर आई।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने पटना पुलिस की जांच में गड़बड़ी सामने लाने की प्रशंसा भी की। प्रधान ने आगे कहा कि लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरि हैं उसे ध्यान में रखकर गड़बड़ी नहीं हों, गड़बड़ी करने वाले कितने भी ताकतवर हो, कितनी भी बड़ी लाबी वाले हो, वह दोषी पाया जाता हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, पारदर्शिता के साथ काम करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। प्रजातंत्र में जो सच है उसका जिक्र करना चाहिए। इससे पहले धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि प्रश्नपत्र लीक होना एनटीए की संस्थागत विफलता है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने बताया कि पेपर लीक होने जैसे शैक्षिक धांधली मामलों में कड़ा कानून बनाया जा रहा हैं जो जल्दी ही अस्तित्व में आ जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को घोषणा की, कि एनटीए के कामकाज में सुधार और ‘शून्य त्रुटि’ परीक्षा आयोजित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी। हालांकि, समिति की संरचना के बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। लेकिन, कहा कि यह एनटीए की संरचना, कामकाज, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सिफारिशें करेगी।
शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट को रद्द करने का आदेश दिया था। क्योंकि, उन्हें इनपुट मिले थे कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है। इसके बाद मामले को गहन जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया है। मंत्रालय का यह फैसला मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ पर कथित अनियमितताओं को लेकर बड़े विवाद के बीच आया, जो अब सुप्रीम कोर्ट के सामने है।
जानकारी अनुसार शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि 18 जून की यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने और इसे सीबीआई को सौंपने का उसका निर्णय एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर और छात्र हितों की रक्षा के लिए लिया गया था। इस अधिकारी ने आगे कहा कि परीक्षा प्रक्रिया में उच्चतम स्तर की पारदर्शिता और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि यूजीसी-नेट जून 2024 की परीक्षा रद्द कर दी जाए। एक नई परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसके लिए जानकारी अलग से साझा की जाएगी। साथ ही, मामले की गहन जांच के लिए मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जा रहा है।

इस मामले में खुलासा कैसे हो रहा
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई द्वारा अगले दिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को दी गई जानकारी के अनुसार, कथित तौर पर यह पेपर मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर 5-6 लाख रुपए में बेचा जा रहा था। डार्कनेट पर भी उपलब्ध था। उन्होंने कहा कि अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए, सीबीआई I4C के साथ मिलकर काम करेगी और डार्कनेट एक्सप्लोरेशन के लिए अपने स्वयं के सिस्टम और सॉफ्टवेयर शुरू करेगी।

परीक्षा की शुचिता से समझौता किया
शिक्षा मंत्रालय की शिकायत के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन I4C से प्राप्त इनपुट से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के सचिव के संजय मूर्ति के संदर्भ नोट के अनुसार, परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और पवित्रता के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करने के लिए, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने उक्त परीक्षा को रद्द करने और मामले की गहन जांच के लिए मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का निर्णय लिया है। बहरहाल सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में अब संदर्भ नोट भी शामिल है।
उधर शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि सरकार परीक्षाओं की पवित्रता सुनिश्चित करने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पुनः दोहराया जाता है कि इस मामले में लिप्त पाए गए हर व्यक्ति व संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।