टेलीमेडिसीन के जरिए भी होगा सिकलसेल एनिमिया के मरीजों का इलाज, दिल्ली और भोपाल एम्स के साथ हुआ करार

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टेलीमेडिसीन के जरिए भी होगा सिकलसेल एनिमिया के मरीजों का इलाज, दिल्ली और भोपाल एम्स के साथ हुआ करार

 

भोपाल। आनुवंशिक बीमारी सिकलेसल एनिमिया से ग्रसित मरीजों को प्रदेश में बेहतर उपचार मिले इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पहले से ज्यादा संवेदनशील होकर काम कर रहा है। सिलसेल एनिमिया के मरीजों का उपचार अस्पतालों के अलावा अब टेलीमेडिसीन के जरिए भी विभाग करने जा रहा है। टेलीमेडिसीन के जरिए सिकलसेल एनिमिया के मरीजों को बेहतर उपचार मिले इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग दिल्ली और भोपाल एक्य के साथ करार किया है। प्रदेश में सिकलसेल एनिमिया के गंभीर 18 हजार मरीज चिंहित है। 1 लाख 20 हजार सिकलसेल एनिमिया के कैरियर वाहक है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि इस रोग से ग्रसित ज्यादातर मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित है। कई बार साधन के अभाव में ऐसे मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते है। टेलीमेडिसीन से जोड़ने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को यह सुविधा बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होगी।

सभी मेडिकल कॉलेज को जोड़ा जाएगा-

सिकलसेल एनिमिया के मरीजों को घर बैठे बेहतर उपचार मिले इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग दिल्ली और भोपाल एम्स के अलावा प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों को टेलीमेडिसीन की प्रक्रिया से जोड़ने के लिए रणनीति बना रहा है। जिससे इस रोग से ग्रसित मरीजों को घर बैठे आसानी से नामचीन डॉक्टरों से उपचार मिल सके। अभी हाल में ही स्वास्थ्य विभाग ने डिंडौरी के रहने वाले एक मरीज को टेलीमेडिसीन के जरिए भोपाल एम्स के डॉक्टरों से उपचार कराया है। संबंधित मरीजों को विभाग दोनों एम्स के डॉक्टरों का मोबाइल नंबर मुहैया कराने की तैयारी शुरू कर दिया है। स्वस्थ्य विभाग एक साल के अंदर प्रदेश के 50 लाख आदिवासी समाज के लोगों का स्क्रीनिंग करने का संकल्प लिया है। जिससे समय रहते हुए इस बीमारी से संबंधित मरीजों को चिंहित करके विभाग इनका उपचार करने की दिशा में काम कर सकें।

 

 

 

 

 

 

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