Surrogacy: 2 साल के अंदर 5 महिलाओं को मिला मातृत्व सुख, MP के मॉडल को सभी राज्यों ने अपनाया

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Surrogacy: 2 साल के अंदर 5 महिलाओं को मिला मातृत्व सुख, MP के मॉडल को सभी राज्यों ने अपनाया

भोपाल। सरोगेसी के तहत प्रदेश में दो साल के अंदर पांच महिलाओं को मातृत्व सुख का लाभ मिल चुका हैं। सेरोगेसी अधिनियम में संशोधन होने के बाद अब विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी सरोगेसी के तहत मां बनने का सुख प्राप्त कर सकती हैं। इससे पहले सरोगेसी के तहत युगल दंपत्ति ही सरोगेसी के तहत मां-बाप बनने का सुख प्राप्त कर पाते थे। सरोगेसी अधिनियम में संशोधन होने के बाद स्टेट मेडिकल बोर्ड में पहले से ज्यादा आवेदन आने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सरोगेसी के प्रारूप को जिस तरह से धरातल पर उतारा है। प्रदेश के इस मॉडल को सभी राज्यों ने अपने-अपने यहां लागू किया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरोगेट के तहत मां बनने के लिए दंपत्ति को पांच चरणों से गुजरना पड़ता है। स्टेट मेडिकल बोर्ड के परमीशन के बाद ही दंपत्ति को बच्चा पैदा करने का वैधानिक अधिकार मिलता है।

डिस्ट्रिक से लेकर स्टेट बोर्ड तक करना होता है सफर-

सरोगेसी अधिनियम में सुधार होने के बाद कई दंपत्तियों ने स्टेट मेडिकल बोर्ड में मां- बाप बनने के लिए आवेदन दिया है। निसंतान दंपत्ति और वीडो महिला को मां बनने के लिए पांच चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। तब कहीं जाकर स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को मां-बाप बनने का अधिकार देना पड़ता है। सरोगेट मदर के लिए खुद का बायोलॉजिकल चाइल्ड होना अनिवार्य है। नि:संतान दंपत्ति को सेरोगेट मदर का दो साल के लिए मेडिकल बीमा कराना अनिवार्य होता है। इसके बाद डिस्ट्रिक जज से दंपत्ति और एकल मां को परमीशन लेनी पड़ती है।