Hindenburg’s Report: हिंडनबर्ग ने नई रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगाए गंभीर आरोप तो बुच दंपत्ति ने इसे सिरे से खारिज कर कहा कि हमारा जीवन व वित्तीय स्थिति खुली किताब की तरह

अडानी ग्रुप,IIFL ने भी बताया आधारहीन तो भाजपा ने इसे अस्थिरता,अराजकता फैलाने की साजिश बताया,वहीं कांग्रेस,सपा, तृण मूल कांग्रेस,शिव सेना उद्धव गुट,राजद ने की जांच की मांग,

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Hindenburg’s Report: हिंडनबर्ग ने नई रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगाए गंभीर आरोप तो बुच दंपत्ति ने इसे सिरे से खारिज कर कहा कि हमारा जीवन व वित्तीय स्थिति खुली किताब की तरह

राजनीतिक,शेयर मार्केट विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट

अदाणी ग्रुप पर कई आरोप लगाने के करीब डेढ़ साल बाद हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार सुबह भारत में जल्द कुछ बड़ा होने वाला है, की चेतावनी देने के बाद शाम को फिर नई रिपोर्ट जारी कर सनसनी पैदा कर दी है। भारतीय शेयर मार्केट से जुड़े लाखों निवेशकों में इस रिपोर्ट से हड़कंप की स्थिति बन गई है। इस बार हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपरेसन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बार हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपरेसन पर तो कई गंभीर आरोप लगाए ही हैं, इसके अलावा रिपोर्ट में धवल बुच, गौतम अदाणी, ब्लैकस्टोन, Embassy Reit और IIFL जैसे नामों का जिक्र भी किया है। रिपोर्ट में हिंडनबर्ग का दावा है कि सेबी चीफ की अदाणी से जुड़ी ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट के अनुसार ”व्हिसलब्लोअर डॉक्यूमेंट से पता चला है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की ‘Adani siphoning scandal’ में इस्तेमाल की गई ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी थी.” कहा गया है कि वर्तमान सेबी चेयरपर्न और उनके पति धवल बुच के पास ठीक उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा एंड मॉरीशस फंड में छिपी हुई हिस्सेदारी थी, जो उसी कॉम्पलैक्स नेस्टेड स्ट्रक्चर में पाए गए थे, जिसका इस्तेमाल विनोद अदाणी ने किया था.

 

रिपोर्ट के अनुसार ”अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक बुच की अगोरा पार्टनर्स नामक एक ऑफशोर सिंगापुरी कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी हिस्सेदारी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 मार्च, 2022 को, चेयरपर्सन के रूप में उनकी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद, उन्होंने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर कर दिए।”

इधर भारत में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने आज सुबह सबसे पहले कहा कि जांच के दौरान सेबी को वे दस्तावेज भी दिए गए हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं, जब हम सेबी से नहीं जुड़े थे। इसके अलावा पूरी तरह से पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हम उचित समय पर एक विस्तार से बयान जारी करेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। उसने चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है। सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट पर संयुक्त रूप से अपना बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के मामले में हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई भी सच्चाई नहीं है। दंपती ने कहा है कि हमारा जीवन और वित्तीय लेनदेन एक खुली किताब की तरह है। पिछले कुछ सालों में आवश्यक सभी खुलासे पहले ही सेबी को सौंप दिए गए हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अदाणी ग्रुप ने भी सुबह ही खंडन किया है। ग्रुप ने कहा है कि- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया है। अदाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था। इसके बाद आज रविवार को सुबह 11 बजे के बाद तो पूरा मामला एक राजनीतिक रस्साकसी की भेंट चढ़ गया है। भाजपा ने जहां इसे पूर्व की तरह संसद सत्र के दौरान विदेशी धरती से अराजकता और अस्थिरता पैदा करने की एक साजिश बताया है वहीं कांग्रेस,सपा,शिव सेना उद्धव गुट, तृण मूल कांग्रेस ने इसकी जांच उच्च स्तर पर या जेपीसी से कराने की मांग कर दी है। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि पिछले कुछ सालों से जब भी संसद सत्र शुरू होता है। कोई विदेशी रिपोर्ट जारी हो जाती है। संसद सत्र से ठीक पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री जारी की गई थी। संसद सत्र से ठीक पहले जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी। यह पूरा घटनाक्रम संसद सत्र के दौरान ही होता है। विपक्ष के विदेश से ऐसे संबंध हैं कि वे भारत के हर संसद सत्र के दौरान अस्थिरता और अराजकता पैदा करते हैं। वे भ्रम फैलाकर भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करना चाहते हैं। अब वे सेबी पर हमला कर रहे हैं। कांग्रेस पिछले 30-40 सालों से हमेशा विदेशी कंपनियों के साथ क्यों खड़ी रहती है? यूनियन कार्बाइड के साथ क्यों खड़ी रहती है? हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि कांग्रेस का एक ही काम है, देश में अराजकता फैलाना और देश को विवादित मामलों में उलझाए रखना। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का हर कार्यकर्ता भारत को प्रगति और विकास के रास्ते पर ले जा रहा है। कांग्रेस सिर्फ भटकाने और सबको अंधेरे में रखने की कोशिश करती है। यह उनका शुरू से ही तरीका रहा है और वे इसी के अनुसार काम कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से कुछ खुलासे किए गए हैं। जिनकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा उचित जांच की जानी चाहिए। वहीं, पवन खेड़ा ने कहा है कि रिपोर्ट में यह चौंकाने वाले खुलासे सिर्फ SEBI प्रमुख और अदाणी समूह के बीच मधुर संबंधों को उजागर नहीं करते हैं, बल्कि वे बताते हैं कि इस सरकार में निगरानी संस्थानों में नियुक्तियां कैसे की जाती हैं? शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट पर सेबी के शामिल होने की खबर सामने आई है। ऐसे में उन्होंने सवाल उठाया कि अब इस मामले की जांच कौन करेगा, जिस तरह से संसद सत्र संपन्न हुआ, ऐसा लग रहा है कि कुछ गड़बड़ है। कांग्रेस के अलावा, तृणमूल कांग्रेस ने भी सेबी प्रमुख को घेरा है। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में उद्योगपति गौतम अदाणी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने इसे अदाणी स्टाइल बताते हुए आरोप लगाया कि सेबी चेयरमैन भी उनके समूह में निवेशक हैं। क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है। महुआ ने केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को टैग कर सका किया कि क्या हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बाद POCA कानून और PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज कर जांच की जाएगी। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के नए खुलासे के बाद समाजवादी पार्टी के नेता आई पी सिंह ने सेबी चेयरमैन का इस्तीफा मांग लिया है। सपा नेता कहा कि सेबी की कुर्सी पर भ्रष्ट लोग बैठे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल सेबी चेयरमैन माधवी बुच का इस्तीफा लेना चाहिए। आईपी सिंह ने एक्स पर लिखा कि सोमवार सुबह 9 बजे से पूर्व प्रधानमंत्री सेबी की चेयरमैन को इस्तीफा देने का आदेश दें। शेयर बाजार देश की आत्मा है। जांच एजेंसियों को गहराई से जांच करने की जरूरत है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद राजद सांसद मनोज झा ने कहा है कि देखिए कैसे हमारे सिस्टम में धांधली की गई है। जहां भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। उसे छिपाने की कोशिश की गई है। किसी भी गलत काम होने पर सेबी में शिकायत दर्ज कराई जाती है। जबकि सेबी खुद ही साफ नहीं है। आज लोग हमारे राष्ट्रीय ध्वज पर बयान देना शुरू कर देंगे। उन्हें खामियों को छिपाने की कोशिश करने के बजाय स्वीकार करना चाहिए।

 

हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया कि मौजूदा सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच के पास ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में छिपी कंपनी आईआईएफएल (IIFL) में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि आईआईएफएल कंपनी अतीत में जर्मनी के वायरकार्ड घोटाले सहित कई विवादों और घोटालों में शामिल रही है। हालांकि आईआईएफएल ने भी इस आरोप को आज सिरे से खारिज कर दिया है।

अब यदि हम हिंडनबर्ग रिसर्च की विस्तार से करें तो यह अमेरिका की एक फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। कंपनी के नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी है। सन 1937 में अमेरिका में हिंडनबर्ग एयरशिप हादसा हुआ था। इस हादसे में करीब 36 लोगों की मौत हुई थी। इस कंपनी का काम इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स को एनालाइज करना है। यह किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाती है। इसके बाद उस कंपनी और गड़बड़ी की रिपोर्ट पब्लिश करती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में एंडरसन की उम्र करीब 38 साल बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि एंडरसन ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशल बिजनेस में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद एंडरसन ने डेटा रिसर्च कंपनी में नौकरी की। जहां उसका काम पैसों के निवेश से जुड़ा था। यहीं से उन्हें मार्केट रिसर्च कंपनी शुरू करने का आइडिया मिला। एंडरसन के पास कितनी संपत्ति है, इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी मौजूद नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स में करीब 42 करोड़ रुपये बताई जा रही है। पहली बार सुर्खियों में ऐसे आए कि

एंडरसन ने सितंबर 2020 में इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी निकोला कॉर्पोरेशन (Nikola Corporation) पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी । इसके बाद वो सुर्खियों में छा गए। हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में निकोला पर आरोप लगाया गया कि कंपनी अपनी क्षमताओं के बारे में निवेशकों को गुमराह कर रही है। इस रिपोर्ट के आने के बाद निकोला कंपनी के शेयर बुरी तरह गिर गए थे। बाद में कंपनी जांच के निशाने पर भी आ गई। इसके बाद एंडरसन के काम की तारीफ और आलोचना दोनों हुईं।

वहीं माधबी पुरी बुच 21 साल की उम्र में शादी के बंधन में बंध गईं थी। धवल बुच एक मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पद पर करते थे। माधबी ने शादी को अपने करियर पर बोझ नहीं माना। उनका कहना था कि परिवार उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे अपने पति धवल बुच को अपना मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक बताती हैं। माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच फिलहाल मशहूर इनवेस्टमेंट कंपनी ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्शल में सलाहकार हैं। वो गिल्डेन के बोर्ड में नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक़ उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है। उन्होंने यहां से 1984 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन की थी। धवल बुच यूनिलीवर में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी थे। बाद में कंपनी के चीफ प्रॉक्यूरमेंट ऑफिसर बने। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर खंडन करते हुए कहा है कि रिपोर्ट में जिन व्यक्तियों का या जिन मामलों का जिक्र किया गया है। उनसे कमर्शियली अदाणी समूह का कोई लेना-देना नहीं है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कुछ विदेशी फंड में विनोद अदाणी और उनके करीबी सहयोगियों और सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच दोनों ने निवश किया था।

अब फिर से यदि हम विस्तार से रिपोर्ट की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि ”इस ऑफशोर सिंगापुर की एंटिटी को फाइनेंशियल स्टेटमेंट का खुलासा करने से छूट प्राप्त है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि यह अपने कंसल्टिंग बिजनेस से कितना रेवेन्यू प्राप्त करती है और किससे प्राप्त करती है. चेयरपर्सन के एक्सटर्नल बिजनेस इंटरेस्ट का ईमानदारी का आकलन करने वालों के लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी होती है।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 2019 में बुच के पति को ब्लैकस्टोन का एडवाइजर नियुक्त किया गया था, जो एक ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म है जो REITs में सबसे बड़े निवेशकों में से एक रही है. रिपोर्ट के अनुसार ”रेलेवेंट एक्सपीरिएंस न होने के बावजूद ब्लैकस्टोन ने बुच के पति को सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया. धवल बुच के कार्यकाल के दौरान, सेबी ने प्रमुख REIT रेगुलेटरी बदलावों को मंजूरी दी और सुविधा प्रदान की. इन बदलावों के दम पर ब्लैकस्टोन ने Embassy REIT में अपनी पूरी हिस्सेदारी $853 मिलियन में बेच दी.”

रिपोर्ट में कहा गया है ”धवल बुच के सीनियर एडवाइजर के रूप में कार्यकाल के दौरान, जबकि उनकी पत्नी सेबी की अधिकारी थीं, ब्लैकस्टोन ने ‘माइंडस्पेस एंड नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट’ को स्पॉन्सर किया, जो भारत का दूसरा और चौथा REIT था जिसे पब्लिकली आईपीओ के लिए सेबी की मंजूरी मिली.”

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ”हमें इस बात का अहसास नहीं था कि वर्तमान सेबी चेयरपर्न के पास ठीक उन्हीं अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड्स में छिपी हुई हिस्सेदारी थी, जो उसी कॉम्पलैक्स नेस्टेड स्ट्रक्चर में पाए गए थे, जिसका इस्तेमाल विनोद अदाणी ने किया था। हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया रिपोर्ट में कई सबूत पेश किए गए लेकिन सेबी ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नही लिया. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्हें व्हिसलब्लोअर दस्तावेज प्राप्त हुए हैं, जिनसे पता चला है कि सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच के पास अदाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी। अमेरिका की एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च LLC ने शनिवार को अपनी एक रिपोर्ट SEBI की चेयरमैन और उनके पति पर बड़े ही गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया कि SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अदाणी के ‘पैसे की हेराफेरी’ में इस्तेमाल किए गए दो ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। रिपोर्ट के अनुसार, दंपति ने बरमूडा और मॉरीशस फंडों में गुप्त हिस्सेदारी रखी थी, जो अदाणी ग्रुप की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली एक जटिल फाइनेंशियल स्ट्रक्चर का हिस्सा थे। मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से तुरंत इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन उससे आइए जानते हैं कि माधबी पुरी बुच कौन हैं।

SEBI की पहली महिला चेयरपर्सन

माधबी पुरी बुच 1 मार्च, 2022 से भारत के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की पहली महिला चेयरपर्सन हैं। वे एक कंसल्टिंग और इनक्यूबेशन फर्म, एगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड की फाउंडर-डायरेक्टर हैं, और SEBI प्रमुख बनने से पहले उन्होंने चीन में न्यू डेवलपमेंट बैंक में भी काम किया है। बुच के पास वित्तीय बाजार का तीन दशकों का अनुभव है। वह 1989 में ICICI बैंक में शामिल हुईं और एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम किया, देश के प्रमुख ब्रोकिंग संगठन का नेतृत्व किया, एक प्राइवेट इक्विटी प्रमुख में सीनियर पद पर रहीं और BRICS देशों के समूह की ओर से बनाए गए न्यू डेवलपमेंट बैंक में भी कुछ समय के लिए काम किया।

माधबी पुरी बुच के पास इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ( Get App अहमदाबाद से MBA की डिग्री है और सेंट स्टीफंस कॉलेज, नई दिल्ली से गणित में ग्रेजुएट की डिग्री है।

उन्होंने शंघाई में न्यू डेवलपमेंट बैंक के सलाहकार और प्राइवेट इक्विटी फर्म, ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल के सिंगापुर ऑफिस के प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभाई है। उन्होंने ICICI सिक्योरिटीज लिमिटेड में मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और CEO और ICICI बैंक के बोर्ड में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में भी काम किया। भारत लौटने पर, बुच ने Idea सेल्युलर लिमिटेड और NIIT लिमिटेड सहित कई प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पदों पर काम किया। उन्होंने एक छोटा सा फाउंडेशन भी बनाया है, जो जमीनी स्तर के NGO के साथ मिल कर कई प्रोजेक्ट चलाता है। माधवी पुरी बुच ने 05 अप्रैल, 2017 और 04 अक्टूबर, 2021 के बीच WTM के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान SEBI के पूर्व चेयरमैन अजय त्यागी के साथ मिलकर काम किया है। तत्कालीन SEBI अध्यक्ष अजय त्यागी के साथ उनके घनिष्ठ सहयोग ने भारत के रेगुलेटरी क्षेत्र में उनके असर को और भी मजबूत किया।

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कौन हैं धवल बुच? माधबी के पति धवल बुच का भी एक लंबा-चौड़ा करियर रहा है। हालांकि, सार्वजनिक रूप से वे कम ही चर्चाओं में रहते हैं। माधबी की तरह उनकी प्रोफेशनल जर्नी को कॉर्पोरेट जगत में बड़ी उपलब्धियों की तरह ही देखा जाता है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ- साथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत दिए गए वो अपर्याप्त थे।

हिंडनबर्ग ने कहा, “मौजूदा सेबी चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में सीक्रेट हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था।” रिपोर्ट में आगे कहा गया है- व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार ऐसा लगता है कि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से एक अडानी निवे द्वारा की गई थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टङ हिंडनबर्ग ने कहा कि ठीक उसी फंड का उपयोग किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था। एगोरा एडवाइजरी में हिस्सेदारी

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अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक प्रति भी पेश की है। इस रिकॉर्ड के मुताबिक सेबी चेयरपर्सन के पास एगोरा एडवाइजरी नामक कंसल्टेंसी बिजनेस में 99% हिस्सेदारी है, जहां उनके पति एक निदेशक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में इस इकाई ने कंसल्टेंसी से 2,61,000 डॉलर का राजस्व प्राप्त किया।हिंडनबर्ग ने कहा है कि यदि सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन को पहले स्वयं को ही आईने में देखकर इसकी शुरुआत करनी चाहिए थी।

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ज्ञात रहे कि पहले भी हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे ‘कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ करार दिया था। यह रिपोर्ट समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री से पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर बुरी तरह ध्वस्त हो गए थे। इस वजह से गौतम अडानी की निजी दौलत और रैंकिंग में भी बड़ी गिरावट आई। हालांकि, सेबी ने हिंडनबर्ग के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। और इस सब के बीच एक बड़ी चौकाने वाली घटना यह सामने आई है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आते ही SEBI ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लॉक कर दिया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि SEBI ने अपना X अकाउंट लॉक कर दिया और अब उसके पोस्ट कोई भी यूजर नहीं देख सकता। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उठाया। उन्होंने X पर SEBI के लॉक अकाउंट का एक स्क्रीनशॉट शेयर कर लिखा,”कोई सार्वजनिक संस्था ऐसा कैसे कर सकती है?” *सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच का अधिकृत बयान*

*“10 अगस्त, 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है। सभी आवश्यक खुलासे पिछले कई वर्षों से सेबी को पहले ही किए जा चुके हैं। हमें किसी भी और सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जिसमें वे दस्तावेज भी शामिल हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे, किसी भी और हर अधिकारी को जो उन्हें मांग सकता है। इसके अलावा, पूर्ण पारदर्शिता के हित में, हम नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, ने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करना चुना है।*

*माधबी पुरी बुच*

*धवल बुच।*