अवैध कॉलोनाइजरों पर प्रशासन की बड़ी कार्यवाही, बिना अनुमति सरपंच सचिव से सांठगांठ कर किया था अवैध कॉलोनी का निर्माण, FIR

1178
Land Mafia:

बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट

बड़वानी: कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा ने जनसुनवाई में सदगुरू धाम कालोनी में मूलभूत सुविधाओं के अभाव की प्राप्त शिकायत की विस्तृत जाँच एसडीएम बड़वानी श्री घनश्याम धनगर के माध्यम से करवाने के उपरान्त प्राप्त तथ्यों के आधार पर भूमि स्वामी श्रीमती भावना पति निशिकान्त शुक्ला एवं श्रीमती बबीता सिंह पति प्रदीपसिंह बघेल तथा अनुप कुमार अग्रवाल पिता छगनलाल अग्रवाल के विरूद्ध मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61(क, ख, ग) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के दिये गये आदेश पर गुरूवार को बड़वानी थाने में दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

एसडीएम द्वारा की गई विस्तृत जाँच अनुसार ग्राम करी की सदगुरू धाम कॉलोनी की प्राप्त शिकायत पर जाँच करने पर पाया गया कि कालोनाइजर श्री अनुप कुमार अग्रवाल ने प्लाट विक्रय के समय क्रेताओं को बताया था कि कॉलोनी पूर्ण रूप से वैध है एवं सभी अनुमतियाँ प्राप्त है। शीघ्र ही मूलभूत सुविधाए भी उपलब्ध कराई जायेगी। किन्तु तीन वर्ष पश्चात भी उक्त कॉलोनी में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

 

इस पर एसडीएम ने कॉलोनाइजर अनुप कुमार अग्रवाल के कथन लेने पर उन्होंने बताया कि सदगुरू धाम कॉलोनी की नगर तथा ग्राम निवेश खरगोन से कोई अनुमति नहीं ली गई है।

उक्त कॉलोनी अवैध रूप से बनाई गई है। उनके द्वारा 40 से 45 प्लाट बेचे गये थे। विक्रय पत्र में भूमि को आवासीय प्रायोजन हेतु बताते हुए व भूखण्ड मय प्लींथ (कुर्सी सहित) ग्राम पंचायत के भवन कर एवं प्रकाश रजिस्टर पर दर्ज दर्शाकर विक्रय किये गये हैं।

साथ ही कुछ विक्रय पत्रों में क्रेता को अनुसूचित जनजाति होने से धारा 165(6) के अंतर्गत कलेक्टर की विक्रय अनुमति की आवश्यकता नहीं दर्शाते हुये भी विक्रय पत्र निष्पादित कराया गया है।

इस प्रकार कॉलोनाइजर द्वारा विक्रय पत्रों में कहीं धारा 165(6) की अनुमति की आवश्यकता नहीं होना बताया गया। वहीं अन्य विक्रय पत्रो में आबादी भूमि दर्शाकर ग्राम पंचायत के दाखले के आधार पर विक्रय पत्रों का निष्पादन किया गया।

इसी प्रकार भू-स्वामी भावना पति निशिकान्त शुक्ला एवं बबीता सिंह पति प्रदीप सिंह बघेल द्वारा प्रश्नाधिन भूमि ग्राम करी की सर्वे नम्बर 13/1 की भूमि को ग्राम पंचायत करी के दाखला में दर्शाकर धारा 165(6) की बगैर अनुमति के विक्रय पत्र निष्पादन 2017 में किया गया। जिस पर उन्हें सूचना पत्र जारी कर उत्तर प्राप्त किया गया।

इस पर उनके द्वारा बताया गया कि ग्राम की भूमि उनके द्वारा वहीं के कृषक से क्रय की गई, तत्समय प्रचलित नियम अनुसार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बड़वानी से व्यपवर्तन एवं कलेक्टर बड़वानी से धारा 165 (6) ख के आदेश प्राप्त होने पर उनके नाम दर्ज हुई थी, और यह भूमि 2017 में अनुप कुमार अग्रवाल को विक्रय की गई थी।

ग्राम पंचायत कार्यालय पिपलाज (करी) के जावक रजिस्टर का अवलोकन करने पर पाया गया कि जावक रजिस्टर में कई कोरे पन्ने छोड़ते हुये उक्त भूमि की जावक प्रविष्टि की गई है।

इस प्रकार सरपंच, उपसरपंच, सचिव द्वारा पदीन दायित्वों का खुले रूप से उल्लंघन कर सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना ग्राम पंचायत में उक्त भूमि को आबादी में दर्ज कर कालोनाइजर को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचाया गया।

डायवर्सन प्रकरण का अध्ययन करने पर पाया गया कि 2017 में पटवारी हल्का नम्बर 5 में स्थिति व्यवसायिक भूमि में से 1.50 एकड़ को आवासीय प्रायोजन में व्यपवर्तन किये जाने बाबत् प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के न्यायालय में पेश हुआ। जहाँ पर भू-राजस्व का निर्धारण करते हुए सशस्त्र अनुमति दी गई थी कि भूमि विक्रय की अनुमति सक्षम प्राधिकारी से लेकर ही की जा सकेगी।

वर्तमान में राजस्व अभिलेख का निरीक्षण करने पर पाया गया कि श्रीमती भावना, श्रीमती बबीता सिंह एवं अनुप कुमार के नाम 1/3 अंश के रूप में कृषि भिन्न आशय के रूप में दर्ज है। जिससे स्पष्ट होता है कि अवैध कालोनी विकसित करने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से श्रीमती भावना, श्रीमती बबीता सिंह की भूमिका है।

अतः जाँच में स्पष्ट है कि उक्त लोगों ने अनुमति का उल्लंघन करते हुए पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 (क, ख, ग) का उल्लंखन करने का अपराध किया है।

प्रकरण में ग्राम पंचायत सचिव श्री श्रवण अवास्या के कथन लेने पर उन्होने बताया कि दाखला पंजी रजिस्ट्री एवं आधार कार्ड नक्शा के आधार पर अनुमति एवं दाखला उनके द्वारा बनाये गये हैं और यह कार्य उन्होंने उप सरपंच प्रेमचन्द नागौर के कहने पर बनाये हैं। कॉलोनी वैध है या अवैध उन्हें नहीं पता।

इसी प्रकार सरपंच श्रीमती लीलीबाई चैहान ने बताया कि वे पढ़ी-लिखी नहीं है, केवल हस्ताक्षर करना जानती है।

सचिव जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता था। उस पर वे हस्ताक्षर अवश्य करती है। किन्तु इस प्रकरण के कागजातो पर उनके हस्ताक्षर नहीं है।

वहीं 2017 के तत्कालीन सचिव मुकेश सेन ने बताया कि 2017 में जारी स्वामित्व प्रमाण पत्र पर उनके हस्ताक्षर है, किन्तु ऐसा उन्होने सरपंच के हस्ताक्षर देखकर किये है। किन्तु उन्हें नहीं ज्ञात कि दाखला बनाने का क्या नियम है। कॉलोनाइजर जो पत्र बनाकर लाये थे, उस पर उन्होने उप सरपंच के कहने पर हस्ताक्षर किया था।

इसी प्रकार ग्राम रोजगार सहायक संदीप पाटीदार के कथन लेने पर पाया गया कि उन्होंने जावक पंजी में कोरे पृष्ठ सरपंच, उपसरपंच व सचिव के कहने पर रिक्त छोड़ा था। स्वामित्व के प्रमाण पत्र पर अंकित जावक क्रमांक उनके द्वारा नहीं की गई है।

जाँचकर्ता अधिकारी एसडीएम ने अपने मत में स्पष्ट किया है कि भूमि स्वामी श्रीमती भावना शुक्ला, श्रीमती बबीता बघेल तथा अनुप कुमार अग्रवाल एवं ग्राम पंचायत पिपलाज (करी) के तत्कालीन सचिव मुकेश सेन, वर्तमान सचिव श्रवण अवास्या, ग्राम रोजगार सहायक संदीप पाटीदार के विरूद्ध थाने में एफआईआर दर्ज करवाना उचित होगा।

जबकि ग्राम पंचायत सरपंच श्रीमती लीलीबाई चैहान, उपसरपंच प्रेमचन्द्र नागौर के विरूद्ध मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के अंतर्गत तथा तत्काल उप पंजीयक बड़वानी महेश कुमार कश्यप व सुश्री निर्मला किसपोटा तथा तत्कालीन तहसीलदार बड़वानी आदर्श शर्मा के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना उचित रहेगा|