मन्दसौर का “मन्द” न हो सुर

मन्दसौर को मिले संभाग का दर्जा

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मन्दसौर का “मन्द” न हो सुर

मन्दसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट 

प्राचीन दशपुर की ख्याति हूणों को हराने की रही, अंग्रेजों को भगाने की रही, स्वतंत्रता की मशाल जलाने की रही। अच्छी और गर्व की बात है।

पर आजादी के बाद मन्दसौर को हर बुनियादी और हक़ की मांग के लिये सदैव संघर्ष करना पड़ा, चाहे गवर्नमेंट कॉलेज, ब्रॉड गेज, मेडिकल कॉलेज, हवाई पट्टी, फूड प्रोसेसिंग उद्योग, खेल स्टेडियम, हॉर्टिकल्चर कॉलेज, एक्सप्रेस हाईवे, नलजल योजना, लिफ्ट इरिगेशन, चंबल का पानी, शिवना शुद्धिकरण ,रेलवे दोहरीकरण, नई ट्रेनों का आवागमन और ठहराव, अफ़ीम भाव वृद्धि, डोडाचूरा खरीद, मादक द्रव्यों की अवैध तस्करी और अपराध, रोजगार के लिये उद्योगों की स्थापना, स्लेट पेंसिल आदि आदि अनेक हैं, कुछ मिली कुछ आधी अधूरी हैं, आशा की लो जगती जागती रहती है।

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हर बार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने उम्मीद कायम रखी है, यही उन्होंने कहना है और किये जाने का आश्वासन देना है?

बहरहाल फिर मन्दसौर के बुनियादी हक़ को लुटे जाने की आशंका प्रतीत होती है? पर यह होगा नहीं, यह नहीं होने देंगे।

भौगोलिक, पारिस्थितिक, सड़क मार्ग, रेल मार्ग, हवाई मार्ग, चित्तौड़गढ़ से रतलाम तक रेलवे दोहरीकरण रेल लाइन, प्रदेश की शीर्ष और स्थापित कृषि उपज मंडी, प्रदेश की सबसे बड़ी और एक शताब्दी से अधिक पुरानी स्थापित नगर पालिका, सर्वाधिक सोयाबीन, लहसुन, अफ़ीम उत्पादन में अग्रणी, साक्षरता की अगली पंक्ति में, वर्तमान के उज्जैन संभाग में सबसे बड़ा शासकीय महाविद्यालय मन्दसौर जहां सर्वाधिक विद्यार्थियों और उज्जैन के बाद सबसे अधिक विषयों का अध्ययन, श्रेष्ठ परिणाम, खेलों में प्रदेश क्या राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीम गेम और इंडिविजुअल गेम्स में उल्लेखनीय प्रदर्शन, जागरूकता के पैमाने पर भी मन्दसौर अग्रणी है, सीमावर्ती जिलों नीमच, प्रतापगढ़, कोटा, चित्तौड़गढ़, रतलाम से हरसमय कनेक्टिविटी, प्रशासन पुलिस और हर विभागों के दफ्तरों, पर्याप्त स्थान, देशी-विदेशी सैलानियों पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र, गांधीसागर अभयारण्य, चीतों की प्रस्तावित बसाहट, विद्युत उत्पादन केंद्र, पर्यावरण के साथ सोलर एनर्जी में स्थापित, अद्वितीय अष्टमुखी पशुपतिनाथ महादेव मंदिर और निर्माणाधीन पशुपतिनाथ लोक, धर्म क्षेत्र कर्म क्षेत्र में अगुवाई करने वाले मन्दसौर को “संभागीय मुख्यालय” का दर्जा देना नितांत जरूरी और आवश्यक है।

वर्तमान में अकेले मन्दसौर जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों के 955 गांव हैं वहीं नीमच, जावरा संसदीय क्षेत्र समेत आंकड़ा 2000 गांवों का बैठता है। मन्दसौर जिले में कोई 10 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में साढ़े तेरह लाख से अधिक आबादी है। गत लोकसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र में लगभग 20 लाख मतदाता थे। सबकी आस है कि मन्दसौर को संभाग का हक़ मिले और विकास की नई इबारत नए उत्साह और उमंग से लिखी जाय।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो आज सर्वाधिक अनुकूल स्थितियां हैं। जिले की एकमात्र सुरक्षित सीट मल्हारगढ़ से निर्वाचित विधायक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ वित्तमंत्री का सबसे महत्वपूर्ण महकमे के प्रमुख हैं। लोकसभा सांसद लगातार तीसरी बार मन्दसौर के इतिहास में सर्वाधिक मतों से विजयी होने वाले प्रतिनिधि हैं। मन्दसौर क्षेत्र से प्रदेश की ओर से वरिष्ठ किसान नेता को राज्यसभा के लिये चुना गया है। अन्य छह विधायक सत्तारूढ़ दल के सरकार में हैं। विपक्षी भी दरकिनार नहीं है जब मन्दसौर से विपक्ष के जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए हैं और यह सुखद है कि पक्ष-विपक्ष दोनों ही दलों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मंशा भी मन्दसौर को संभाग का दर्जा दिलाने में है।

अब नागरिकों की अरसे से की जारही जायज़ और हर दृष्टि से सार्थक मांग को मूर्त रूप प्रदान किया जाय। जनता लड़े पर उसकी लड़ाई और वाज़िब मांग को हमने चुने वे जनप्रतिनिधि लड़े तो आसानी होगी। निश्चित ही सेहरा भी उनके ही सिर होगा और हम अंचलवासी श्रेय भी उन्हें ही देंगे।

अब जबकि राज्य सरकार ने संभाग, जिले और नगरीय क्षेत्रों के पुनर्गठन एवं परिसीमन के लिए वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की है अर्थात काम गति पकड़ने वाला है, मन्दसौर पीछे नहीं रहना चाहिए यह समाज का, नागरिकों का, प्रशासकीय मशीनरी का, वातावरण का और जनप्रतिनिधियों का गुरुतर दायित्व है विश्वास करते हैं मन्दसौर के स्वर “मन्द” नहीं होंगे, पुरजोर “शोर” कर हक़ प्राप्त करेंगे। हम सबको भी सज़ग और सक्रिय रहना है आवश्यक हुआ तो चरणबद्ध लड़ाई भी लड़ना है इस विश्वास के साथ कि मन्दसौर को संभागीय मुख्यालय का दर्जा शासन की जारी होने वाली पहली सूची में मिलेगा।