अन्य राज्यों की तर्ज पर MP के अतिथि शिक्षकों को नहीं मिलेगा नियमितिकरण का लाभ

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अन्य राज्यों की तर्ज पर MP के अतिथि शिक्षकों को नहीं मिलेगा नियमितिकरण का लाभ

हाईकोर्ट गए अतिथि शिक्षकों के मामलों पर सुनवाई के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने नियमितिकरण से किया इंकार

भोपाल. मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में तीन साल से पंद्रह साल तक लगातार अतिथि शिक्षक के रुप में सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने याचिका लगाई थी। लेकिन शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के निर्देश पर सुनवाई कर मध्यप्रदेश के नियमों का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित किए जाने का प्रावधान नियम न होंने की बात कहते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदन अमान्य कर प्रकरणों का निराकरण किया है।

देवास जिले के घटियाकला सोनकच्छ निवासी याचिकाकर्ता राजेश कुमार चंद्रवंशी ने उच्चन्यायालय खंडपीठ इंदौर और इसी तरह ग्वालियर और जबलपुर हाईकोर्ट में भी कई अतिथि शिक्षकों ने उन्हें नियमित करने की मांग को लेकर याचिका लगाई थी।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं के प्रकरण में सुनवाई कर एक से दो माह के भीतर निर्णय लेने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ताओं ने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है तथा डीएड, बीएड प्रशिक्षित है और तीन से पंद्रह वर्षो तक लगातार अतिथि शिक्षक के रुप में उन्हें पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में भी अतिथि शिक्षको को नियमित किया गया है। इस आधार पर याचिकाकर्ताओं ने नियमित करने की मांग की है।

उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुक्रम में याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन का प्रचलित भर्ती नियम, निर्देश में परीक्षण लोक शिक्षण संचालनालय ने किया। मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा सेवा शैक्षणिक संवर्ग सेवा शर्ते एवं भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती से रिक्त पदों के लिए मध्यप्रदेश में जो प्रावधान है उसमें शिक्षक पात्रता परीक्षा के उपरांत चयन परीक्षा के माध्यम से शिक्षक भर्ती की जाती है। सीधी भर्ती के शिक्षकों के पदों के लिए उपलब्ध रिक्तियों की पच्चीस प्रतिशत रिक्तियां अतिथि शिक्षक वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। जिनके द्वारा न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों में एवं दो सौ दिवस मध्यप्रदेश शासन द्वारा संचालित शासकीय विद्यालयों में अतिथि शिक्षक के रुप में काम करना जरुरी है। अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में रिक्त रहे पदों की अन्य पात्रताधारी अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है।

इन पच्चीस फीसदी आरक्षित पदों पर ही अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान है। लेकिन अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित करने का कोई प्रावधान, नियम नहीं है इसलिए इन याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन अमान्य कर प्रकरण निराकृत कर दिए गए है।