21वीं सदी में प्रदेश के 24वें स्थापना दिवस समारोह में मुखिया बतौर रहेंगे मोहन…
इक्कीसवीं सदी में मध्यप्रदेश अपना 24वां स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्रित्व काल का यह पहला स्थापना दिवस समारोह है। इससे पहले के 23 स्थापना दिवस समारोह में से 19 स्थापना दिवस भाजपा और 4 स्थापना दिवस कांग्रेस के खाते में आए हैं। इसमें सर्वाधिक 17 स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश ने मंच पर पाया है। उसके बाद इक्कीसवीं सदी के पहले तीन स्थापना दिवस समारोह में दिग्विजय सिंह, उनके बाद दो स्थापना दिवस समारोह में बाबूलाल गौर और 2019 में कमलनाथ एक बार मुख्यमंत्री बतौर स्थापना दिवस समारोह में मौजूद रहे। तो उमा भारती ऐसी मुख्यमंत्री रहीं, जिनके हिस्से में स्थापना दिवस समारोह का अवसर बतौर मुख्यमंत्री नहीं मिल सका। वह दिसंबर 2003 में मुख्यमंत्री बनीं और अगस्त 2004 में इस्तीफा देकर पद से हटीं, तो फिर पद पर दोबारा लौटकर नहीं आ पाईं। अब स्थापना दिवस समारोह की गिनती के हिसाब से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नए नवेले हैं और उनके कार्यकाल का यह पहला स्थापना दिवस समारोह खास है। और उनके कार्यकाल के पहले स्थापना दिवस समारोह की निगाहें मोहन को इसलिए भी खास तौर पर निहारेंगी कि मध्यप्रदेश को उनके सान्निध्य का आधिक्य कितना रंग लाता है। कमलनाथ की तरफ भी स्थापना दिवस समारोह ने जी भरकर देखा था। उस मंच पर शिवराज को भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाते कमलनाथ ने बराबरी से तवज्जो दी थी। पर शिवराज ने स्थापना दिवस समारोह को इतना जी भरकर देखा कि अगली बार नाथ की जगह शिवराज ही प्रदेश के सर्वेसर्वा बन समारोह की शोभा बढ़ाते नजर आए। वहीं नाथ के हिस्से में बस ‘बिकाऊ-टिकाऊ’ जैसे शब्द ही शेष बचे थे।
खैर अब बारी मोहन की है। लाड़ली बहनों पर वह खूब प्रेम बरसा रहे हैं। रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव का उनका कंसेप्ट अब प्रदेश में पांच कदम रखने के साथ-साथ उद्योगपतियों को लुभाने के लिए देश के बाद विदेशी धरती पर कदम रखने की तैयारी कर चुका है। प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ पेंशनरों की सुध लेने का काम मोहन बखूबी कर रहे हैं। सनातन और हिंदुत्व तो मोहन के मन में समाया लगता है और इसके अनुरूप वह फैसले लेने में भी तत्पर नजर आए हैं। उद्योगों के जरिए वह रोजगार सृजन के प्रति भी आश्वस्त दिख रहे हैं। उनके समय में उज्जयिनी अब नए वैभव की तरफ निहार रही है। सिंहस्थ 2028 की तैयारियां इतिहास रचने को तैयार हैं। अखाड़ों का स्थायी विकास नया इतिहास रचने जा रहा है। तो उज्जैन को धार्मिक राजधानी का दर्जा मिल रहा है। कृष्ण पाथेय के जरिए वह हजारों तीर्थ आकार लेने को अपने हाथ आगे बढ़ा रहे हैं, जहां कृष्ण के कदम पड़े थे। रामवन पथ गमन को विकास के पंख लगने का विश्वास जग गया है। प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग के जरिए प्रदेश नया आकार लेने की तैयारी कर रहा है। जिले भले ही उतने ही रहें, पर प्रशासनिक डील डौल स्वस्थ मध्यप्रदेश की झलक दिखाने की तैयारी में है। तो बीस साल बाद का परिसीमन राजनैतिक इकाईयों की सूरत बदलने को तय समय पर कदम आगे बढाएगा ही। केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध नदी जोड़ो योजना मध्यप्रदेश और राजस्थान के संबंधों को सुदृढ करने कदम आगे बढ़ा रही है। पशुपालन और दुग्ध उत्पादन की कवायदें हों या गौशालाओं की बात और विश्वास के साथ विकास की आस सब तरफ सबकी निगाहें हैं। एक नवंबर को मोहन यादव के कार्यकाल के 10 माह 18 दिन के कार्यकाल में उनके विचारों का बीजारोपण हो चुका है। स्थापना दिवस समारोह की निगाहें मंच पर मौजूद मोहन पर टिकेंगी और अगले स्थापना दिवस की तरफ कदम आगे बढ़ा देंगी।
मोहन यादव के हिस्से में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अनुराग जैन के रूप में नए मुख्य सचिव को प्रदेश को आर्थिक संकट से उबारना है। अनुराग के चेहरे ने मोहन की छवि और ताकत में इजाफा किया है। तो अब उन्हें प्रदेश में लोक सेवाओं की गारंटी, पारदर्शिता, भ्रष्टाचार के मामले में नो टॉलरेंस की नीति सहित सैकडों चुनौतियों का सामना करना है। वहीं प्रदेश को अब अनुराग जैन की तरह ही साफ छवि के पुलिस मुखिया की तलाश है, जो कानून व्यवस्था के लिहाज से प्रदेश की नई पारी की धाक जमा सके। स्थापना दिवस समारोह उपलब्धियों और चुनौतियों के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव को निहारेगा और आगे बढ़ जाएगा। फिर एक साल बाद उपलब्धियों और चुनौतियों का बहीखाता सबके सामने होगा। उस मंच का दृश्य देखने के लिए अगले स्थापना दिवस तक इंतजार करना पड़ेगा। फिलहाल 21वीं सदी में प्रदेश के 24वें स्थापना दिवस समारोह में मुखिया बतौर मोहन सबका मन मोहने मौजूद रहेंगे…।