मोहन का एक साल:विरासत के साथ विकास की यात्रा मोहन की प्राथमिकता…

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मोहन का एक साल:विरासत के साथ विकास की यात्रा मोहन की प्राथमिकता…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संग मध्यप्रदेश की एक साल की यात्रा का एक अहम पड़ाव यह है कि विरासत और विकास संग-संग आगे बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश गौरवशाली विरासत और संस्कृति से समृद्ध है। इसे सहेजने तथा आध्यात्मिक अभ्युदय की दिशा में श्रीराम वन गमन पथ, श्रीकृष्ण पाथेय का निर्माण, पीएमश्री पर्यटन वायुसेवा, वीर भारत न्यास का शिलान्यास, विक्रमोत्सव के आयोजन में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का शुभारंभ, शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत् अंकित करना। सांस्कृतिक पुनर्जागरण के क्रम में रक्षाबंधन, श्रावण उत्सव तथा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व,गोवर्धन पूजा और दीप पर्व का आयोजन इसका प्रमाण हैं। तो दूसरी तरफ रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव और यूके-जर्मनी से निवेश लाने की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कवायद यह सिद्ध करती है कि मध्यप्रदेश विरासत और विकास की यात्रा को समानांतर रूप से आगे बढ़ा रहा है।

जैसा कि खुद डॉ. मोहन यादव का मानना है कि भारत का ह्दय, अपना मध्यप्रदेश वन, जल, अन्न, खनिज, शिल्प, कला, संस्कृति, उत्सव और परंपराओं से समृद्ध है। पुण्य सलिला माँ नर्मदा का सान्निध्य और भगवान महाकालेश्वर का आशीर्वाद हमें प्राप्त है। यह असंख्य वीरों, बलिदानियों और राष्ट्र संस्कृति के प्रति समर्पित महान विभूतियों की धरती है। यह भगवान परशुराम की जन्मस्थली, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली और आदि शंकराचार्य की तपोस्थली है। यहां गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती ने स्वत्व के लिए प्राणों का उत्सर्ग किया था।राष्ट्र में अपने सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित करने वाली पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की कर्मस्थली है। उनके त्रिशताब्दी समारोह के आयोजन वर्ष में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश को प्राकृतिक संपदा के आधार के साथ इतिहास का गौरव प्राप्त है। अब हम विकास के साथ विरासत को लेकर आगे बढ़ेंगे।

डॉ. यादव के मुताबिक हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए विकसित भारत निर्माण का संकल्प दिया है। इस संकल्प की सिद्धि के लिये उन्होंने ज्ञान यानि गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी के सम्मान का नया सूत्र वाक्य दिया। ये चार वर्ग विकास के आधार स्तम्भ हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश विकास और कल्याण के लिये युवा शक्ति, गरीब कल्याण, किसान कल्याण और नारी सशक्तिकरण मिशन के तहत कार्य करने जा रहे हैं। युवा शक्ति मिशन शिक्षा, कौशल विकास, रोज़गार, उद्यमिता, नेतृत्व विकास, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्य की योजना बनाकर मिशन मोड में कार्य करेगा। युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़ने के साथ हमने शासकीय नौकरियों में एक लाख से अधिक युवाओं के भर्ती का अभियान शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश के 55 जिलों में पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ, कुलपतियों को कुलगुरु का मान, शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा, पर्यावरण और योग ध्यान पाठ्यक्रम का समावेश किया गया है। युवा शक्ति मिशन में युवाओं के विकास और निर्माण के सभी कार्य संभव होंगे। गरीब कल्याण मिशन स्वरोज़गार तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, आवास, शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधा आदि की दिशा में कार्य करेगा। नारी शक्ति मिशन के तहत बालिका शिक्षा, लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना, लखपति दीदी योजना, महिला स्व-सहायता समूहों के सशक्तिकरण आदि कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ किये जायेंगे।किसान कल्याण मिशन में कृषि और उद्यानिकी को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कार्य होंगे। किसानों को राहत प्रदान करने के साथ कृषि की उपज बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास किये जायेंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि विकसित मध्यप्रदेश निर्माण के संकल्प को पूरा करने में इन चारों मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

 

रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा और नर्मदापुरम में आयोजन हो चुका है। हैदराबाद, कोयंबटूर तथा मुंबई में रोड शो और उद्योगपतियों को निवेश के लिये प्रदेश में आमंत्रित करना उद्योग विस्तार का उपक्रम है। यूके-जर्मनी से 78000 करोड़ का निवेश लाना और फरवरी 2025 में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का न्यौता देना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच का विस्तार है। रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव से विपुल क्षेत्रीय स्थानीय उत्पाद के अनुसार उद्योग स्थापना का क्रम आरंभ होगा और औद्योगिक विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेगा। तो केन-बेतवा और पार्वती-काली-सिंध चंबल नदी लिंक परियोजनाओं पर तेजी से कार्य मोहन यादव की सिंचित मध्यप्रदेश की संकल्पशक्ति का उदाहरण है। इस अभियान में सदानीरा नदियों के जल को मौसमी नदियों के साथ जोड़ने से अन्नदाता किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त जल मिलेगा,पेयजल की समस्या समाप्त होगी और धरती का जल स्तर बढ़ेगा। कृषि के साथ गौ-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक गांव में गौ-शाला खोलना सनातनी भाव का प्रतीक है। डॉ. मोहन यादव के मुताबिक गाय हमारी संस्कृति और कृषि का आधार है। प्रदेश में हम गौ-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष मना रहे हैं।

तो सुशासन के लिए होने वाले प्रयास में साइबर तहसील परियोजना को सभी 55 जिलों में लागू किया गया है। यह पहल करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। थानों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण, प्रदेश में प्रशासनिक सीमाओं का पुनर्निधारण जैसे कार्य नई दिशा का सूचक हैं।

तो मध्यप्रदेश अपनी गौरवशाली परंपराओं को सहेजते हुए विकास और प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर रहे। राज्य शासन द्वारा दशहरे पर शस्त्र-पूजन और दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का आयोजन इस बात का प्रतीक है। प्रदेश की स्थापना दिवस पर परम्परागत मलखंब कला का प्रदर्शन भी इस भाव का प्रकटीकरण है। अतीत को सहेज कर समय के साथ चलने की यह विशेषता प्रदेश को विश्व में विशिष्ट स्थान प्रदान करे, एक साल में मोहन की यही सोच सामने आई है। प्रदेश के गौरवशाली अतीत के अनुरूप विरासत और विकास के कार्य साथ-साथ होंगे, यही डॉ. मोहन यादव का संकल्प है। विरासत के साथ विकास की यात्रा मोहन की प्राथमिकता

है…।