कर्म महत्त्वपूर्ण अवधारणा हैं, सभी धर्म ग्रंथो का मूल हैं : पंडित मुस्तफा आरिफ!

गीता जयंती पर पंडित मुस्तफा आरिफ की नव सृजित 786 पदों की रचना "गीता भारती" का प्रणयन!

160

कर्म महत्त्वपूर्ण अवधारणा हैं, सभी धर्म ग्रंथो का मूल हैं : पंडित मुस्तफा आरिफ!

Ratlam : डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में गीता जयंती पर लोकाचार में गीता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित पंडित मुस्तफा आरिफ ने गीता को 786 पदों में रचने के अपने संकल्प को ‘आओ सत्यमेव जयते कहे’ आदि प्रारंभिक पदों के गायन से ग्रन्थ का प्रणयन एवम शुभारम्भ किया। मुख्य आतिथ्य प्रदान कर रहें पण्डितश्री चेतन शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता सभी शास्त्रों का सार हैं। यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनाई जाती हैं। गीता नीति का सन्देश देती है। गीता कर्म की ही उद्भावना हैं।

IMG 20241212 WA0080

विशेष आतिथ्य प्रदान कर रहें हितेश जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा की गीता शोध का विषय हैं।गीता के सातवे अध्याय में कृष्ण ने कहा है कि ‘हे अर्जुन! मैं तुझको ज्ञान दें रहा हूं वह विज्ञान सहित है। विज्ञानियों ने आज्ञा चक्र को जाग्रत करने का कोई फार्मूला ईजाद नहीं किया। गीता से पिनियल ग्रन्थि की जाग्रति और ज्ञान का उदय भारत का विज्ञान हैं।

 

जगदीश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता कृष्ण का हृदय है, गीता में कृष्ण का वास हैं। निष्काम कर्म का संवाद हैं गीता। प्रिया उपाध्याय ने अर्जुन कृष्ण के संवाद को अपने गीत ‘युद्ध है धर्म का ये लड़ों पार्थ तुम! राह सच की है आगे बढ़ो पार्थ तुम! की सस्वर अभिव्यक्ति की।

IMG 20241212 WA0082

पंडित अखिल स्नेही ने कहा कि कृष्ण और अर्जुन का संवाद वर्तमान के लिए हैं। इस लोक और परलोक तक का संदेश देती है गीता! हमारा मन ही कुरुक्षेत्र है। ‘तू कौरव तू पांडव मनवा, तू रावण तू राम!’ आपने परम् भागवताचार्य हरिप्रसाद शर्मा के ग्रन्थ गीता संगीत के पदों का गायन कर लोकाचार में गीता का संदेश दिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहें महर्षि शिवशंकर संजय दवे ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गीता नित्य हैं। वर्तमान के जीवन मूल्यों में नई पीढ़ी में लोकाचार में गीता की महती आवश्यकता हैं। गीता पाठ शासन ने भी अनिवार्य किया है। तो हमें भी शासित और जाग्रत होना होगा। क्योंकि गीता जाग्रति का ग्रन्थ हैं। गीता एक ऐसा दर्पण है जो उसमें झांकता है उसे अपना प्रतिबिम्ब उसमें दिखाई देता है। जीवन का योग है गीता ! जीवन सूत्र है गीता! गीता जीवन का वर्तमान है! इस अवसर पर हार्दिक अग्रवाल, आकाश अग्रवाल, रश्मि उपाध्याय, सीमा राठौर, दीपा नागर, सरिता नागर, कीर्ति पंचोली, सुमन शर्मा आदि सुधिजनों की उपस्थिति रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवम गीता के महानायक श्रीकृष्ण का पूजन दीप प्रज्वलन एवम मंगला चरण से किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ शोभना तिवारी ने तथा आभार अखिल स्नेही ने माना।