

Narmadapuram Open Jail: जेल में 23 कैदी सपरिवार कर रहे जैविक खेती और गौ-सेवा
संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रपट
नर्मदापुरम। जेल का नाम सुनकर सबके मन में यह विचार आता है कि जेल के अंदर विभिन्न अपराधों जैसे लूट, हत्या और मारपीट करने वाले लोगों को कड़ी सजा दी जाती होगी। लेकिन प्रदेश की पहली खुली जेल नर्मदापुरम की कहानी इससे अलग है। मुख्य धारा से जुड़ने की इच्छा रखने वाले और जेल में सजा के दौरान बेहतर रिकॉर्ड रखने वाले प्रदेश भर की जेल से चिन्हित कैदियों को खुली जेल नर्मदापुरम में रखा जाता है। वे अपने परिवार के साथ जीवन यापन करते हैं और बाहर जाकर काम भी करते हैं।
फिलहाल नर्मदापुरम की खुली जेल में 23 कैदी हैं और वे यहां की 10 एकड़ भूमि में जैविक खेती कर रहे हैं। यहां कैदी हरी सब्जियां और गेहूं की खेती कर रहे हैं और उसमें जैविक खाद का उपयोग करते हैं। बाकी समय में कैदी गौ-माता की सेवा भी करते आ रहे हैं। ऐसा करने से उनके आपराधिक पृष्ठभूमि के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है। यहां सेंट्रल जेल में टमाटर, पालक, बैगन, प्याज के साथ अन्य जैविक सब्जियां भी उगाई जा रही हैं। इन सब्जियों का उपयोग जेल के रसोई घर में किया जाता है। इसके अलावा सब्जी का अधिक उत्पादन होने पर इन सब्जियों को बाजार में भी ले जाकर बेचा जाता है। इस जेल में लगभग 23 कैदी परिवार के साथ रहते हैं और उनके रहने के लिए 26 सीमेंटेड कुटीर बने हुए हैं।
एक जेल कैदी ने बताया कि यहां पर वर्मी पोस्ट प्रक्रिया से खाद बनाकर हम खेती में उपयोग करते हैं और इसके अलावा सड़क पर आवारा घूम रही निराश्रित और दुर्घटनाओं में घायल गौ-माता को लाकर खुली जेल में शेड बनाकर उनको रखा जाता है। इन गायों से रोजाना 10 से 12 लीटर दूध भी मिलता है और जो गाय दूध नहीं देती हैं, उनकी भी रोजाना सेवा की जाती है। इन गायों के लिए जेल की भूमि पर ही घास लगा कर उनके चारे,पानी की व्यवस्था की गई है।