Congress’s New Formula : मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिलों की कमान अब कांग्रेस दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग को देगी!

पार्टी संगठन को मजबूत करने और प्रदेश में वोट बैंक बढ़ाने के लिए कांग्रेस का नया फॉर्मूला!

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Congress’s New Formula : मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिलों की कमान अब कांग्रेस दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग को देगी!

Bhopal : देश और प्रदेश में लगातार मिल रही हार से सबक लेते हुए कांग्रेस हाईकमान ने संगठन को मजबूत करने और वोट बैंक बढ़ाने लिए नया फार्मूला बनाया है। इसके तहत प्रदेशों में दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। इस फार्मूले का मप्र में सबसे पहले अमल होगा। मप्र में कांग्रेस जिलों की कमान दलित, आदिवासी, ओबीसी वर्ग के पदाधिकारियों को देगी। प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए अलग फॉर्मूला अपनाया जा सकता है।

अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी जैसे जिलों में जहां सभी विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, वहां सामान्य और ओबीसी वर्ग के नेताओं को कमान देकर राजनीतिक संतुलन बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने और राहुल जी ने एक प्रोसेस किया। ग्राउंड लेवल से इनपुट लिया। हम भविष्य में किसी भी इलेक्शन के कैंडिडेट सिलेक्शन की प्रोसेस में जिला अध्यक्षों को इन्वॉल्व करने की तैयारी में हैं।

ऐसे में माना जा रहा है कि अब कांग्रेस में जिला अध्यक्षों का पॉवर बढ़ेगा। इसको देखते हुए अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति काफी सजगता और सतर्कता से होगी। कांग्रेस के 72 संगठनात्मक जिलों में से 6 जिलों में अध्यक्षों के पद खाली पड़े हैं। इनमें कटनी, रायसेन, रतलाम ग्रामीण, बैतूल शहर, खंडवा शहर, खंडवा ग्रामीण शामिल हैं। बैतूल में पिछले साल ही शहर और ग्रामीण को अलग किया गया था। रायसेन में तो डेढ़ साल से जिला अध्यक्ष का पद रिक्त है।

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राहुल गांधी दे चुके हैं संकेत

पटना की ‘पलायन रोको रोजगार दो’ रैली को राहुल गांधी के बयान से नई दिशा मिली और जोश जागा। राहुल के इस भाषण से मप्र में कांग्रेस संगठन में होने वाली नियुक्तियों को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। राहुल ने कहा कि पहले बिहार में हमारे जिला अध्यक्षों की लिस्ट में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे। अब जिला अध्यक्षों की नई लिस्ट में दो तिहाई ईबीसी, ओबीसी, दलित, माइनॉरिटी के हैं। उनके इस बयान से साफ है कि मप्र में कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में दलित, आदिवासी, ओबीसी, महिलाओं और अल्पसंख्यक वर्गों के नेताओं को मौका दिया जाएगा। मप्र में कांग्रेस के 72 संगठनात्मक जिलों में से 34 जिला अध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं। जबकि, 6 पद रिक्त हैं।

जिला अध्यक्ष की ताकत बढ़ेगी

पार्टी संगठन के भीतर हुए मंथन के बाद तय हुआ कि विधायक या विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की पसंद के कार्यकर्ता को पद देने के बजाय संगठन में जिला अध्यक्ष की पसंद से नियुक्तियां हों। ऐसे में यदि विधायक या हारे हुए कैंडिडेट पार्टी छोड़ देते हैं, तो भी विचारधारा से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता पार्टी छोडकर नहीं जाएं। इससे जिला अध्यक्षों की ताकत बढ़ेगी और वे ज्यादा बेहतर तरीके से पार्टी का संचालन कर पाएंगे।