Pegasus : फिर बाहर आया पेगासस का भूत, अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट छापी

भारत ने इजरायल से 2017 में खरीदा पेगासस स्पाईवेयर 15 हजार करोड़ रुपए के रक्षा सौदे का था हिस्सा

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New Delhi : केंद्र सरकार ने 2017 में इजराइल का जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Spy Software Pegasus) खरीदा था। यह खुलासा अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (The New York Times) की रिपोर्ट में किया गया। इसमें कहा गया कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले दो अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपए) का जो रक्षा सौदा इजरायल से किया था, उसमें पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) की खरीद भी शामिल थी। इस रक्षा डील में भारत ने कुछ हथियारों के साथ एक मिसाइल सिस्टम भी खरीदा था। इस मुद्दे को कांग्रेस उठाने की कोशिश में है।

अब तक न तो भारत और न इजरायल की तरफ से पुष्टि हुई है कि दोनों देशों के बीच पेगासस (Pegasus) का सौदा हुआ है। हालांकि, जुलाई 2021 में मीडिया समूहों के एक कंसोर्शियम ने खुलासा किया था कि यह स्पाईवेयर दुनियाभर के कई देशों में पत्रकारों-व्यापारियों की जासूसी के लिए इस्तेमाल हो रहा है। भारत में भी इसके जरिए कई नेताओं और बड़े नामों की जासूसी की बात कही गई थी।

अमेरिकी अखबार ने सालभर लंबी चली जांच के बाद खुलासा किया। अमेरिका की जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने भी इजरायल की NSO फर्म से पेगासस की खरीद की थी। FBI ने इसे घरेलू निगरानी के लिए इस्तेमाल करने की योजना के तहत इसकी कई वर्षों तक टेस्टिंग भी की। लेकिन, पिछले साल एजेंसी ने पेगासस (Pegasus) का उपयोग बंद करने का फैसला किया। रिपोर्ट में यह साफ नहीं है कि FBI का यह फैसला पेगासस का राज खुलने से पहले आया या बाद में।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) को दुनियाभर में गुपचुप निगरानी के लिए इस्तेमाल किया गया। मैक्सिको ने इसका इस्तेमाल पत्रकारों और सरकार के विरोधियों पर नजर रखने के लिए किया, जबकि सऊदी अरब ने इसके जरिए महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकार जमाल खशोगी की जासूसी के लिए किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल के रक्षा मंत्रालय ने जिन देशों में पेगासस (Pegasus) के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी, उनमें पोलैंड, हंगरी और भारत के साथ कई अन्य देश शामिल थे।

भारत में कैसे आया पेगासस
अखबार का दावा है कि जुलाई 2017 में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल पहुंचे थे, तब उनका संदेश साफ था कि भारत अब अपने फलस्तीन के लिए प्रतिबद्धता के पुराने रुख में बदलाव कर रहा है। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच काफी करीबी देखी गई। भारत ने इजराइल से आधुनिक हथियार और जासूसी सॉफ्टवेयर (Spy Software) खरीदने का सौदा कर लिया। यह पूरा समझौता करीब 15 हजार करोड़ रुपये का था। इसके केंद्र में एक मिसाइल सिस्टम और पेगासस ही था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके कुछ समय बाद ही नेतन्याहू भी भारत के दौरे पर गए थे, जो कि वर्षों में किसी इजरायली PM के लिए इस देश का पहला दौरा था। इसके बाद जून 2019 में UN के आर्थिक और सामाजिक परिषद में भारत ने इजरायल के समर्थन में वोट करते हुए फलस्तीन को मानवाधिकार संगठन में ऑब्जर्वर का दर्जा देने के खिलाफ कदम उठाया। यह पहली बार था जब भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच किसी एक देश को प्राथमिकता दी थी।