नर्मदा जयंती पर जैत गौरव दिवस मनाकर विकास के नए मॉडल की शुरुआत…

शिव के साथ ग्राम सभा का संकल्प पारित जैत को बनाएंगे आदर्श गांव...

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मध्यप्रदेश में नर्मदा जयंती का दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गांव जैत के जन्मदिन और गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। यहां नर्मदा के तट पर ग्राम सभा ने शिव की मौजूदगी में नई परंपरा को आत्मसात किया। शिवराज माइक पर एक-एक प्रस्ताव पढ़कर ग्रामसभा से पारित करवाते दिखे। सोच यही कि यह विकास का सबसे अद्भुत मॉडल देश के सामने है।  सरकार और समाज की सहभागिता से जैत को हिंदुस्तान का आदर्श गांव बनाएंगे।

और जैत की तर्ज पर मध्यप्रदेश के सभी गांव और नगर अपना जन्मदिन और गौरव दिवस मनाएंगे। उत्सव मनाएंगे जो एक से तीन दिन तक का भी हो सकेगा। मूल अवधारणा यह है कि इस उत्सव में देश-दुनिया में कहीं भी रहने वाले गांव-शहर के लोग शामिल होंगे जो गांव-नगर के विकास में सहभागी बनेंगे। विकास में समाज-सरकार की सहभागिता होगी। अपनी जड़ो से जुड़े रहने की न केवल इच्छा पूरी होगी बल्कि मनोवैज्ञानिक संतुष्टि मिलेगी। सरकार के साथ गांव और गांव से बाहर रहने वाले सभी लोग अपना योगदान देकर गांव को आदर्श बनाएंगे।

शिव की सोच है कि जैत में हमारा नरा गढ़ा है तो आदर्श गांव बनाने के इस अद्भुत मॉडल की शुरुआत भी जैत से ही क्यों नहीं? नर्मदा जयंती पर उत्सव का माहौल रहा जैत में और बहुत सारे प्रस्ताव ग्राम सभा ने पारित किए और संकल्प लिया कि एक साल में जैत को हिंदुस्तान का पहला आदर्श गांव बनाकर दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा बनकर मिसाल पेश करेंगे। साथ ही विकास के नए मॉडल में होड़ करने की चुनौती देंगे।

जैत के लोगों ने शिव की मंशा को आदर्श मानकर प्रस्ताव पारित होने के बाद मुट्ठी बांधकर मां नर्मदा के जयकारे के साथ संकल्प लिया कि हम अपनी बात से नहीं पलटेंगे। किसी ने विकास के लिए जमीन देने की बात कही, तो शिव पुत्र कुणाल ने स्वच्छ गांव के लिए डस्टबिन मुहैया कराने का संकल्प लिया। साधना सिंह महिला सशक्तिकरण में सहभागी बनेंगीं तो शिव ने भी अपनी जमीन देने का प्रस्ताव दिया। संकल्पना के पीछे मूल सोच यही कि बेहतर विकास के लिए सिर्फ सरकार के प्रयास काफी नहीं है।

समाज की सहभागिता ही आदर्श गांव बनाने में सक्षम है। किस्सा भी सुनाया शिवराज ने, कि एक जगह स्कूल बिल्डिंग बनने पर गांव वालों से पूछा कि सब ठीक चल रहा है। तो जवाब मिला कि देख लो दीवारों में दरार पड़ रही है। कहा कि विरोध क्यों नहीं किया तो जवाब मिला कि सरकारी काम है, मुझे क्या लेना-देना। यही उदाहरण इस नई सोच की जनक बनकर आज सबके सामने है। और समाज-सरकार की सहभागिता से विकास का मॉडल नवाचार और अभिनव प्रयोग के रूप में अपनी यात्रा जैत से शुरु कर चुका है।

जैत उत्सव में शिवराज ने पूरे गांव का भ्रमण किया। जैत के अपने उस मकान से यात्रा शुरु की, जो उन्होंने सांसद बनने के बाद बनवाया था। जो आज भी  साधारण व्यक्ति का घर दिखता है तो अपने उस पुराने घर को भी देखा, जिसमें सांसद बनने से पहले तक रहे थे। पुराने जैत में भी भ्रमण किया तो नए जैत में भी पांव-पांव घूमे। देश-दुनिया में मामा के नाम से ख्यात शिवराज को जैत में बच्चे “बड़े पापा” कहकर भी पुकारते नजर आए। तो ग्राम सभा के पहले गांव के बड़े बुजुर्गों का सम्मान किया, आशीर्वाद लिया और अहसास किया कि अब तो हमारी उम्र भी बहुत हो गई है।

ग्राम सभा की शुरुआत कन्या पूजन, दीप प्रज्वलन और सबका स्वागत करने के साथ। फिर शिव बोले कि जब तक गांव वालों में तडप नहीं होगी तब तक गांव आदर्श नहीं बनेगा। विचार आया कि गांव का जन्मदिन मनाया जाए। उस दिन गांव के सब लोग गांव में आएंगे विकास की योजना बनाएंगे। शिवराज तेरा नरा तो जैत में ही गढ़ा है। जैत से ही शुरू करें। बताया कि कुणाल कल ही निगेटिव हुए हैं कोरोना हो गया था।

बोले पापा हमारा भी गांव है। हमने कहा चलो। साधना तो हैं ही गांव के लिए समर्पित। फिर शुरु हुआ प्रस्ताव पारित होने का सिलसिला। शिव बोले जैत के लोग तय करें कि गांव साफ रहना चाहिए कि नहीं। ग्रामसभा प्रस्ताव पारित करे गांव साफ रखेंगे। प्रस्ताव पारित हुआ। तय किया कि सब अपने घर का कचरा डस्टबिन में डालेंगे।कुणाल ने जिम्मेदारी ली कि डस्टबिन रखने की व्यवस्था करेंगे। तय हुआ कि कचरा घाट के बाहर गड्ढा खोदकर डालेंगे। कोशिश होगी कि उससे खाद बन जाए। तो पहली बात पूरी हुई गांव के स्वच्छता मिशन की।

सिलसिला आगे बढ़ा और शिव ने जानकारी दी कि नल-जल के लिए केवट मोहल्ला में कुछ घर बचे थे। बहनों ने बताया था, उनका एस्टीमेट बन गया। फिर दूसरा संकल्प हम पानी फालतू बर्बाद नहीं करेंगे। और ग्राम पंचायत ऐसी व्यवस्था करेगी कि स्नानघर का पानी भी सड़क पर न जाए। उसे एक जगह ले जाएंगे। फिर ट्रीट करके नर्मदा या कहीं और जाए। तीसरा प्रस्ताव कि जैत की ग्राम सभा तय करे कि पेड़ लगाकर खुशी मनाएंगे। जन्मदिन, शादी, पिता माता की पुण्यतिथि पर पेड़ लगाएंगे। प्रस्ताव पारित हुआ।

जगह जल्दी तय होगी तो सुझाव भी कि नर्मदा किनारे, अपने बाड़े में और खेत की मेढ़ पर भी लगा सकते हैं। बात आवास की हुई कि किन-किन को घर नहीं मिले। शिव ने बताया कि 173 नाम जुडे हैं। कहा कि शाहगंज में हमने देखा कि एक जैसे घर बने हैं। तैयार हैं एक जैसे घर एक जैसी डिजाइन लैट्रिन बाथरूम रसोईघर एक जैसी व्यवस्था। एक सी पुताई ताकि गांव सुंदर दिखे। सब तैयार हों तो एक साथ सीमेंट, लोहा ले आएंगे सामग्री खरीदकर एक साथ घर बनाएंगे। सबने हामी भरी और प्रस्ताव पारित हुआ।

फिर सबकी पढाई की चिंता। गरीब भी है तो उसकी पढाई की व्यवस्था सब मिलकर करेंगे। शिव बोले चिंता न करो हम भी शामिल हैं। कोचिंग करानी होगी कोचिंग कराएंगे। सब तैयार। फिर बेटी के जन्म पर ढोल मिठाई बांटने और खुशी मनाने का प्रस्ताव पारित। फिर बेटी की शादी मिलजुलकर कर जैत से नई परंपरा की शुरुआत करने का प्रस्ताव पारित। फिर आंगनवाड़ी ठीक से चले और कुपोषण के खात्मे का प्रस्ताव पारित।

इसके लिए एक पुरा, आधा बोरा एक बोरा जितना देना हो मर्जी से अन्न देने की शुरुआत पर सहमति। फिर आजीविका मिशन। स्व सहायता समूह की बहनों को ट्रेनिंग का प्रस्ताव पारित। पीएस के साथ साधना जी से यह काम देखने की गुजारिश।  इच्छा कि बहन की कमाई कम से कम दस हजार रुपया महीना हो। सामग्री बनवाएंगे और बेचने में भी मदद करेंगे। घूंघट का जमाना बदल रहा है।

महिला सशक्तिकरण जरूरी है। भाईयों से निवेदन कि घर की महिलाओं को ट्रेनिंग करने दें। यह भरोसा कि आजीविका मिशन का काम आदर्श रूप में जैत से चलेगा। फिर बात रोजगार और स्किल्ड ट्रेनिंग की। उद्यम पर चर्चा और जवाबदारी कि पीएस उमाकांत उमराव कोआर्डिनेट करेंगे। तो यह संकल्प भी कि जैत में सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होना चाहिए। गांव की अलग-अलग समिति बने जो यह जिम्मेदारी ले कि आदर्श ढंग से काम हो।

फिर अंत में यह कि एक चीज और बच रही। अपना गांव नशामुक्त होना चाहिए या नहीं। तय हुआ कि जैत को पूरी तरह नशामुक्त गांव बनाना है। बोलो नर्मदा मैया की जय। अभियान चलाकर संकल्प लेकर यह काम पूरा करेंगे। तो उमा की शराबबंदी का फार्मूला भी नर्मदा जयंती पर जैत से मिल ही गया।और फिर नर्मदा तट पर एक भव्य मंदिर निर्माण की बात। परिक्रमावासी के भोजन की व्यवस्था गांव वालों द्वारा मिलकर करने की बात। फिर मुद्दे की बात कि जगह नहीं है। कम्युनिटी हॉल, सीएम राइज़ स्कूल के लिए पांच एकड जमीन चाहिए। तो आवाज आई कि मैं जमीन दूंगा। शिव ने कहा कि मैं भी योगदान करूंगा। मेरी जमीन थोड़ी दूर है अदला-बदली कर लेंगे। दिल दुखा कर कुछ नहीं लेना।

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तो सभी प्रस्ताव पारित कि अपना गांव जैत हिन्दुस्तान का सबसे अच्छा गांव बनाएंगे। फिर खेड़ापति मैया से नर्मदा मैया तक चुनरी यात्रा की जानकारी देकर शिव की ग्रामवासियों से अपील कि सरकार के बड़े अफसर बैठे हैं और पूरा मीडिया है, जैत की इज्जत का सवाल है पलट मत जाना भाईयो। और फिर हाथ उठाकर दोनों मुट्ठी बांधकर न पलटने का संकल्प भी नर्मदा मैया की जय के साथ संपन्न। तो अब यही उम्मीद  कि यह अभिनव प्रयोग सफल हो और देश को पीपीपी से हटकर विकास का नया मॉडल मिल सके।