
Kissa-A-IAS: IAS Anurag Verma: निरंतर आगे बढ़ने और नई चुनौतियों से जूझने का जज्बा
सुरेश तिवारी
जहां सिस्टम अक्सर कठोर दिखता है, वहीं अनुराग वर्मा जैसे अफसर उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं। देश की नौकरशाही में बहुत कम अफसर ऐसे होते हैं, जिनका दिल जनता के लिए धड़कता है। अनुराग वर्मा उन्हीं चुनिंदा अधिकारियों में हैं, जिन्होंने हर चुनौती को अवसर में बदलकर न सिर्फ प्रशासन की छवि उज्जवल की, बल्कि हजारों दिलों में जगह बनाई। कोरोना काल में जब लोग डरे-सहमे थे, अनुराग वर्मा हरदा के कलेक्टर बनकर सबसे आगे खड़े रहे- कभी भूखे को खाना खिलाया, कभी प्रवासी मजदूरों को घर पहुँचाया, तो कभी खुद चौराहों पर खड़े होकर व्यवस्था संभाली। उनके नेतृत्व में हरदा में लंबे समय तक कोई कोविड केस नहीं आया- यह सिर्फ प्रशासनिक कौशल नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और मानवता की जीत थी।
2012 बैच के IAS अधिकारी अनुराग वर्मा, रायबरेली (उत्तर प्रदेश) के मूल निवासी हैं और मध्य प्रदेश कैडर में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने SDM छतरपुर के रूप में प्रशासनिक सेवा की शुरुआत की और हर जगह अपनी मेहनत और संवेदनशीलता से अलग पहचान बनाई। मुरैना में जिला पंचायत के सीईओ, सागर में नगर निगम कमिश्नर, स्वच्छ भारत मिशन के मिशन डायरेक्टर और फिर कलेक्टर के रूप में हरदा, मुरैना और सतना में शानदार काम किया।


हर पोस्टिंग में अनुराग वर्मा ने सिर्फ अफसर नहीं, बल्कि एक अभिभावक, मार्गदर्शक और दोस्त की भूमिका निभाई। वे आम लोगों से सीधे संवाद रखते हैं, जरूरतमंद तक मदद पहुंचाना उनकी सबसे बड़ी ताकत है। सीमावर्ती क्षेत्रों में खुद चेकपोस्ट पर जाकर जवानों का हौसला बढ़ाया, कभी मौके पर ड्यूटी संभाली, उनकी वजह से प्रशासन और जनता के बीच भरोसा और अपनापन मजबूत हुआ।


साल 2021… कोरोना की आखिरी लहर के बाद लोग ज़िंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में थे। ऐसे में 14 दिसंबर को सतना के नए कलेक्टर बने अनुराग वर्मा- जिले में कदम रखते ही उन्होंने 102 कोरोना अनाथ बच्चों को “बालरंग” होली में अपने घर बुलाया, उनके साथ रंग खेला, मुस्कान लौटाई और हर त्यौहार को इन बच्चों के नाम कर दिया। अनुराग का यही अपनापन उन्हें आम आदमी का खास आदमी बनाता है।

संवेदनशील IAS अफसर अनुराग ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए समर कैंप शुरू कराया, जिसमें हर बच्चा शामिल हो सकता था। इस नवाचार ने प्रदेशभर में “सतना मॉडल समर कैंप” की शुरुआत करवा दी। भर गर्मी की लू में 12 घंटे लगातार सीमांकन कर 1552 जमीनों का रिकॉर्ड बना डाला, जो एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और नगरीय निकाय- चारों चुनावों को शांतिपूर्वक कराने का रिकॉर्ड भी अनुराग के नाम है।

सतना में तीन साल में वे हर वर्ग के लिए मददगार बने, कभी मास्टर साहब, कभी गरीब बच्चों के लिए दानदाता, कभी मुफ्त पीएससी-यूपीएससी क्लासेस के आयोजक। सुप्रीम कोर्ट से हारी सरकारी जमीन बचाई, बड़े केस री-स्टार्ट किए और कलेक्टरी को आमजन से जोड़ दिया। सतना में यूपीएससी-एमपीपीएससी निःशुल्क कोचिंग की शुरुआत कर छात्रों को सफलता के लिए प्रेरित किया और अपने अनुभव साझा किए। यह कोचिंग 2022 से लगातार संचालित हो रही है।

अनुराग वर्मा ने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी तरह हिंदी मीडियम से की थी। वह पिछले अधिकारी हैं जिन्होंने यूपीएससी की तैयारी भी हिंदी माध्यम से ही की। उन्होंने मेंस परीक्षा में भी हिंदी माध्यम चुना और एक विषय हिंदी साहित्य रखा, जिससे उन्हें अच्छे अंक मिले और चयन हुआ।

अनुराग वर्मा ने अपने सेवा-भाव, संवेदनशीलता और प्रशासनिक नवाचारों से दिखा दिया कि एक अफसर चाहें तो सिस्टम को आम लोगों के लिए उम्मीद और बदलाव का जरिया बना सकता है। उनकी कार्यशैली और उपलब्धियां आज की नौकरशाही के लिए प्रेरणा हैं- सचमुच, आम आदमी के IAS अधिकारी जो खास हो गए।


IAS अनुराग वर्मा जैसे लोग प्रेरणा हैं उन लोगों के लिए जिनके सपने तो बड़े हैं, लेकिन उनके हिस्से का आकाश उन्हें विरासत में नहीं मिलता बल्कि खुद गढ़ना होता है। यही वजह है कि उनका यूपीएससी में चयनित होना और आईएएस बनना आज भी हिंदी अभ्यर्थियों में आत्मविश्वास भर रहा है। अनुराग आज जब अपने संघर्ष की इन सुनहरी यादों की तरफ मुड़कर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि काफी कुछ बदल गया है…बहुत कुछ ऐसा भी है जो बिल्कुल नहीं बदला…और इच्छा है कि कभी बदले भी न, ‘निरंतर आगे बढ़ने और कुछ अच्छा करते रहने की इच्छा और नई चुनौतियों से जूझने का जज्बा।’

बिना किसी शान-ओ-शौकत में पले, बिना कोचिंग लिए एक मामूली परिवार से अपनी जीवन यात्रा शुरू कर आईएएस बन चुके अनुराग आज अगर अपने दौर के नौजवानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं, तो उनकी कामयाबी की मिसाल सिर्फ उनके जीवन का उजाला नहीं, बल्कि उनके हिस्से के जीवन का सबक पूरी युवा पीढ़ी की भी राह को रोशन कर रहा है। इसीलिए वह आज के नौजवानों को ये सीख देना भी अपनी जिम्मेदारी मान रहे हैं कि ‘वे हिम्मत न हारें क्योंकि उनकी मंज़िल उनका इंतज़ार कर रही है।
वर्तमान में अनुराग मध्य प्रदेश शासन के दो कॉरपोरेशन के प्रबंध संचालक है। वहां भी वे कई नवाचार कर रहे हैं।
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