

Kissa-A-IPS: IPS Agam Jain: संवेदनशील अफसर, लेखक और रियल लाइफ सिंघम
सुरेश तिवारी
IPS Agam Jain: जब भी किसी IPS अफसर की छवि हमारे मन में बनती है, तो अक्सर सख्ती, अनुशासन और कड़क आदेशों की तस्वीर उभरती है। लेकिन IPS अगम जैन उन अफसरों में शामिल हैं, जिनकी पहचान प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ संवेदनशीलता, मानवीय दृष्टिकोण और साहित्यिक अभिरुचि से भी होती है।
राजस्थान के उदयपुर से ताल्लुक रखने वाले अगम जैन 2016 बैच के IPS अधिकारी हैं और फिलहाल छतरपुर (मध्य प्रदेश) के SP के रूप में अपनी अलग छाप छोड़ रहे हैं।
प्रशासनिक सफर और उपलब्धियां
IPS Agam Jain ने अपने प्रशासनिक करियर में कई मिसालें कायम की हैं। रसूखदार अपराधियों पर कार्रवाई हो या भारत बंद के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना, उन्होंने हर चुनौती को मजबूती से संभाला। छतरपुर में माफियाओं के खिलाफ सख्त एक्शन, 24×7 ओपन डोर पॉलिसी और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को जागरूक करने के लिए वे जाने जाते हैं। वे मानते हैं कि पुलिसिंग सिर्फ कानून लागू करना नहीं, बल्कि समाज में भरोसा और सकारात्मकता पैदा करना भी है।
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छतरपुर कप्तान अगम जैन ने उपद्रवियों को बता दिया की वर्दी की ताकत क्या होती है। उन्होंने छतरपुर में अपनी सूझबूझ और बहादुरी से प्रदर्शनकारियों को मौके से खदेड़ दिया। वे अकेले ही सिंघम की तरह भीड़ से भिड़ गए। सिपाहियों को पीछे धकेल खुद मोर्चा संभाल लिया।
IPS ने दिखा दिया वर्दी की ताकत
21 अगस्त 2024 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कुछ ऐसा घटित हुआ कि कुछ ही समय बाद पूरे देश में इस घटना और उसके बाद पुलिस के एक्शन की चर्चा होने लगी। देखते ही देखते पूरे देश में छतरपुर पुलिस का एक्शन सुर्खियां बटोरने लगा।
दरअसल, 21 अगस्त को भारत बंद का आंदोलन पूरे देश भर में चल रहा था। छतरपुर जिले में भी भारत बंद आंदोलन का आह्वान किया गया था। इसी के चलते बड़ी संख्या बीएसपी, भीम आर्मी एवं अन्य दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर थे। इसी बीच भीम आर्मी और बीएसपी के कुछ कथित कार्यकर्ताओं ने उपद्रव करना शुरू कर दिया। शहर में कई जगहों पर आम दुकानदारों के साथ मारपीट करने लगे और तोड़ फोड़ शुरू कर दी। आंदोलन बेकाबू होने लगा। बड़ी संख्या में आंदोलनकारी शहर के चौबे तिराहा के पास पहुंचे और नारेबाजी करने लगे। इसी बीच पुलिस और प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच बहस शुरू हो गई जिससे माहौल और बिगड़ने लगा। मौके पर पहुंचे SP अगम जैन ने तुरंत मोर्चा संभाला। उन्होंने सिपाहियों को पीछे किया और हाथ में डंडा लेकर भीड़ से भिड़ गए। मौके से सभी प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया। उन्होंने उपद्रव कर रहे लोगों पर जमकर डंडे बरसाए।
प्रमुख पोस्टिंग्स
1. 2016 बैच के IPS Agam Jain की ट्रेनिंग के बाद उन्हें MP कैडर आबंटित हुआ और पहली नियुक्ति मध्य प्रदेश में हुई।
2. उन्होंने मध्य प्रदेश के राज्यपाल के एडीसी (ADC to Governor) के रूप में भी सेवाएं दीं।
3. इसके बाद झाबुआ जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) बने।
4. वर्तमान में वे छतरपुर (मध्य प्रदेश) के पुलिस अधीक्षक (SP) हैं, जहां उनकी कार्यशैली और जनता से जुड़ाव की खूब चर्चा है।
साहित्यिक अभिरुचि और लेखन
IPS Agam Jain: प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अगम जैन एक उम्दा लेखक भी हैं। उनकी चर्चित किताब ‘कभी गाँव कभी कॉलेज’ कॉलेज में पढ़ने वाले चार ग्रामीण दोस्तों की जिंदगी, संघर्ष, दोस्ती और गांव की मासूमियत को हास्य-व्यंग्य के अंदाज में पेश करती है। यह उपन्यास छोटे कस्बों की संस्कृति, सामाजिक दबाव और बदलती सोच का आईना है। उनकी दूसरी किताब ‘UPSC डिकोड’ भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। अगम जैन की भाषा सरल, संवाद दिलचस्प और किस्सागोई इतनी जीवंत है कि पाठक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करता है।
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युवाओं के रोल मॉडल
IPS Agam Jain: सोशल मीडिया पर भी अगम जैन काफी एक्टिव हैं और युवाओं को मतदान, समाज सेवा और सकारात्मक सोच के लिए लगातार प्रेरित करते रहते हैं। कई बार मंचों पर सम्मानित हो चुके अगम जैन अपनी प्रशासनिक ईमानदारी, मानवीय दृष्टिकोण और लेखनी के जरिए नई पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। वे मानते हैं कि दुख को भी मुस्कान के साथ पेश किया जाए, ताकि पाठक सोचने के साथ-साथ मुस्कुरा भी सकें।
कहानी सर्किट हाउस की
आईपीएस अगम जैन की लेखनी की खूबसूरती उनके अनुभवों और संवेदनशीलता में झलकती है। प्रस्तुत है उनकी एक शानदार रचना- “कहानी सर्किट हाउस की” “हिंदुस्तान के सर्किट हाउसों का अंग्रेजों जितना पुराना इतिहास है। अंग्रेजों जैसे ही वे यहां रहते हुए भी यहां के लोगों के ना हो सके। हर जिले और पुरानी तहसीलों में एक बड़ा सा सफेद पुता और लाल टपरों से मुकुटबद्ध एक हवेलीनुमा घर, जिसके सामने से पूरा शहर दाएं बाएं होता लेकिन हर कोई अंदर नहीं जा पाता। सर्किट हाउस अधिकतर लोगों के लिए एक लैंडमार्क से अधिक कुछ नहीं हो पाता। अपने शहर में पर अपना सा नहीं।
सर्किट हाउस में दीवार पर लिखे “मेरा जीवन ही मेरा संदेश” जैसे वाक्यों के नीचे टेबल पर गांधीजी जैसे महापुरुषों की एक मूर्ति रखी होती है जिसकी धूल सरकारी महानुभावों की आवाजाही के आधार पर हटती रहती है।
सर्किट हाउस की असली दास्तां तब शुरू होती है जब वहां रुके मेहमान रात में सो जाते हैं। खानसामा मामलतदार के अतिथियों से निवृत्ति पाकर बाहर दालान में आ जाता है। खानसामा यानि महाराज। किसी ने लिखा है कि महाराज की ये उपाधि सिर्फ प्रजा के राजा, साधु और खानसामा को ही नसीब हुई है। सही भी है। एक धन स्वस्थ रखता है, एक मन और एक तन।
सर्किट हाउस के महाराज दालान में उस बरगद के नीचे आकर बैठ जाते हैं जिसकी पीढियां महाराज की पीढ़ियों के साथ ही यहां टिकी हुई हैं। बरगद से लगा पीपल भी उतना ही पुराना होने का दावा करता है और दोनों ऐसे सटे हैं जैसे एनसीआर बन गए हों। गिलहरी पीपल के नोएडा से बरगद के गुड़गांव पर फुदकती ही रहती।
चबूतरे पर बैठ एक पैर हवा में लटकाए और एक पैर ठोड़ी से टिकाकर महाराज पान निकालते हैं। मैन गेट पर खड़ा चौकीदार महाराज के पान पर रीझकर चबूतरे पर चला आता है। अंधेरे में इधर उधर देखता हुआ ताकि उसकी कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह ना लगे। उसके पीछे लाल और काले दो कुत्ते भी चले आते हैं जो देर रात सर्किट हाउस के सामने से तेज़ गति से निकलने वाली मोटर साइकिलों पर भोंककर अपनी ड्यूटी बजाएंगे।
खानसामा चौकीदार को पान देकर बताता है कि इस हाउस में कई लार्ड साहब आकर रुके हैं। उसके दादा बताकर गए हैं कि वे पास के जंगल में शिकार करने आते थे। फिर उसके पिता बताते थे कि एक बार एक साहब महीने भर रुके थे किसी केस की जांच के लिए और फल सब्ज़ी के अलावा कुछ नहीं खाते थे। फिर इन महाराज के सामने एक नए अधिकारी की ऐसी प्रजाति भी आई थी जो रात में तीन बजे पुलाव बनवाते थे।
चौकीदार नया है, सुनता रहता है। पास के गांव से यहां आकर रात में सीटी बजाकर भाग जाता था, अब खुद ऐसे सिरफिरों से परेशान रहता है। जहां आप जा नहीं सकते उस जगह से कुढ़कर मसखरी करने की सूझना स्वाभाविक ही है।
सर्किट हाउस के प्रभारी तहसीलदार ने बहुत मेहनत की इस अंग्रेजी स्मारक को संजोए रखने की लेकिन आए दिन की परेशानी। कभी लैट्रिन की निकासी अटक जाती थी, कभी छत की पुताई का पतझड़ हो जाता, दीवार में ड्रिल करने पर चूना ही निकलता रहता और चूहे छछूंदर के साथ कभी-कभी सांप भी बरामदे में आराम करता हुआ मिल जाता।
ऐसे में इसी से लगा एक नया भवन लगभग बनकर तैयार है। नए तरह के कमरे, बाथरूम और किचन। महाराज चौकीदार को बताता है कि शायद नई बिल्डिंग के साथ नया कुक भी आ जाएगा। हो सकता है उसे अपने परिवार के लिए कुछ और ढूंढना पड़ेगा। चौकीदार अभी भी सिर्फ सुन ही रहा है, कुछ कहता नहीं है।
दोनों इधर उधर देखते रहते हैं। रात गहरी हो रही है। खानसामा को सुबह उठकर नाश्ता भी बनाना है। वो उठकर अंदर जाता है और चौकीदार मेन गेट पर। अंदर से गांधीजी की मूर्ति उठ कर नई बिल्डिंग में जा चुकी है। उस खाली हुई टेबल पर महाराज अपना बिस्तर लगा लेता है।
महाराज लेटे-लेटे सोचता है कि इस विरासत ने उसके परिवार को कितना कुछ दिया है पर ये भी है कि उसके परिवार के बिना यह विरासत अधूरी है। महाराज अपने ऊपर लिखे “मेरा जीवन ही मेरा संदेश” को देखते-देखते सो जाता है। ऐसी गहरी और निश्चिंत नींद में कि वाकई उसका जीवन उसका संदेश बन जाता है।
IPS Agam Jain की यही खासियत है- वे जहां भी होते हैं, वहां संवेदनशीलता और इंसानियत की छाप छोड़ जाते हैं। उनकी कहानियों में भी वही गर्माहट और अपनापन झलकता है, जो उनकी प्रशासनिक शैली में दिखता है। वे सचमुच नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं।