Kalidas Prasang: महाकवि कालिदास ने भारत को समूचे विश्व में गौरवान्वित किया

नृत्यनाटिका व स्थानीय कलाकारों की प्रभावी प्रस्तुति ने मन्त्र मुग्ध किया

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मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। प्रदेश के संस्कृति विभाग एवं कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के तत्वावधान में आठवां कालिदास प्रसंग का आयोजन पं. मदनलाल जोशी सभागार में हुआ।

शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि नवीकरणीय ऊर्जा व पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग विशिष्ट अतिथि सांसद सुधीर गुप्ता थे। अध्यक्षता वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने की।

विशेष अतिथि के रुप में संस्कृत के वरेण्य विद्वान पं. रामकुमार शर्मा जयपुर वरिष्ठ रंगकर्मी श्री श्रीपाद जोशी उज्जैन कलेक्टर गौतम सिंह एवं एसपी अनुराग सुजानिया मंचासीन थे।

समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री श्री हरदीपसिंह डंग ने कहा कि महाकवि कालिदास का मंदसौर से संबंध यहां के विद्वान साहित्यकारों और इतिहासकारों ने सिद्ध किया है।

उनके मेघदूत ग्रंथ में अफगानिस्तान से लेकर श्रीलंका तक के परिक्षेत्र का वर्णन है वास्तव में कविकुलगुरु के रूप में महाकवि कालिदास ने पूरे विश्व में भारत के गौरव को बढ़ाया है।

ऐसी विभूति पर केंद्रित समारोह सराहनीय है। हम अपनी विरासत को संजोये और आने वाली पीढ़ी को सौंपे।

सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि यह प्रेरणा और ऊर्जा का प्रसंग है प्राचीन दशपुर का इतिहास इतना गौरवपूर्ण है कि जिन हूण आक्रांताओं से डरकर चीन ने सुरक्षा के लिए लंबी दीवार बनाई थी उन हूणों को दशपुर के सम्राट यशोधर्मन ने पराजित किया और दशपुर को संपूर्ण राष्ट्र की राजधानी बनाया।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि कालिदास प्रसंग का यह गौरवपूर्ण आयोजन मंदसौर के प्राचीन गौरव पूर्ण इतिहास को अभिव्यक्त करता है। पूरे विश्व में जिन्हें कविकुलगुरु माना ऐसे महाकवि कालिदास का दशपुर से संबंध होना अत्यंत ही गौरवपूर्ण है।

उन्होंने अपने ग्रंथों में दशपुर और अष्टमूर्ति का उल्लेख किया है जो मंदसौर से उनके गहरे संबंध को वर्णित करता है।

श्री सिसोदिया ने कहा कि उज्जैन की तर्ज पर मंदसौर में कालिदास समारोह के आयोजन की स्वीकृति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी यह क्षेत्र की गौरवपूर्ण संस्कृति का सम्मान है।

संस्कृत के वरेण्य विद्वान केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ. रामकुमार शर्मा ने कहा कि कालिदास प्रकृति के कवि हैं उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से भोग वादी संस्कृति से जन मानस का ध्यान हटाकर उन्हें परमात्मा व प्रकृति से जोड़ा है।

आज जबकि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ़ बढ़ रही है ऐसे में महाकवि कालिदास का साहित्य हमें प्रकृति और परमात्मा से जोड़ कर एक नई प्रेरणा देता है।

वरिष्ठ रंगकर्मी नाट्य निर्देशक, अभिनेता श्रीपाद जोशी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। इतिहास के साथ हुए खिलवाड़ को सही परिप्रेक्ष्य में देश और समाज के सम्मुख रखना चाहिए|

आरंभ में कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के प्रभारी निदेशक डॉ. संतोष कुमार पंड्या ने स्वागत उद्बोधन दिया और अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी।

उद्घाटन अतिथियों ने भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिकृति पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया। अतिथि परिचय वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल ने दिया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी ने किया। आभार कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार बारोद ने माना।

♦️ अंतरराष्ट्रीय नृत्यांगना मंजिरी किरण की प्रस्तुति

समारोह में मंजिरी किरण महाजन जयपुर व उनके दल ने मेघदूतम पर बहुत ही प्रभाव पूर्ण प्रस्तुति दी। कथक शैली में भाव भंगिमाओं के साथ जीवन्त किया जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा।

टैलेंट ग्रुप ऑफ मंदसौर और संगीत महाविद्यालय के कलाकारों ने भी अपनी अभिनव प्रस्तुतियों से सभी को प्रभावित किया।

इनमें कथक नृत्यांगना सन्नाली शर्मा, तबला प्रशिक्षक निशांत शर्मा, गायिका आयुषी देशमुख, साक्षी शिंदे, पार्श्वगायक आशीष मराठा, नेहा कुरैशी, हर्षिता मेहर, रागिनी असवार, प्रियंका गन्धर्व, अतुल साकेत, नीलेश बाथम, ऐश्वर्य देशमुख, राहुल सोनी, वायलिन आर्टिस्ट गौरव जोशी, विश्वेश पंवार, हार्दिका दुबे, चेतन व्यास, साक्षी शर्मा, सलोनी ढेबाना, राधिका साकल्ले, हर्षिता सेंगर, चंचल कुमावत, ध्रुव जैन, भावना लोहार और नरेंद्र कुमार त्रिवेदी की प्रस्तुतियां सराही गई।

कालिदास अकादमी की ओर से मंजिरी किरण महाजनी (जयपुर) संगीत महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. उषा अग्रवाल और मंदसौर टैलेंट ग्रुप के सूत्रधार नरेंद्र त्रिवेदी का सम्मान किया गया।

रवि व्यास ने कालिदास का चित्र बना कर जयपुर के विद्वान डॉ. शर्मा को भेंट किया। अतिथियों को भगवान पशुपतिनाथ की तस्वीर भेंट की। समारोह में नगर व अंचल के साहित्य, संस्कृति रंगकर्म से जुड़े गणमान्य जन बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।

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♦️ लोकप्रिय व्याख्यान एवं शोध संगोष्ठी

पुराविद एवं इतिहासकार डॉ कैलाश चंद्र पांडेय (निदेशक, दशपुर प्राच्य शोध संस्थान), महिदपुर के अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्रा संग्राहक, अश्विनी रिसर्च सेंटर के चेयरमैन डॉ. आर सी ठाकुर, श्री विपिन सुरावत, प्रो. वीणा सिंह, डॉ. निशा महाराणा, पंडित विष्णु ज्ञानी, डॉ संगीता सिंह रावत, प्रो. के आर सूर्यवंशी, पंकज शर्मा, डॉ. दिनेश तिवारी, सीमा जैन
सहित विभिन्न स्थानों के विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये।

कालिदास प्रसंग समारोह में मंदसौर जिला सामाजिक समरसता समूह द्वारा संयोजक सत्यनारायण सोमानी, वाल्मिकी समाज प्रमुख राजाराम तंवर, प्रदीप भाटी एवं अन्य द्वारा श्री संतोष पंड्या, अनिल बारोद, ब्रजेश जोशी, डॉ. घनश्याम बटवाल का शॉल, श्रीफल और साफा बांधकर सार्वजनिक सम्मान किया।

वाल्मिकी समाज प्रमुख राजाराम तंवर ने मंदसौर में लगातार किये जारहे कालिदास समारोह की सराहना की और कहा कि देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त विद्वानों के साथ स्थानीय प्रतिभाओं को भी अवसर मिल रहा है। सौभाग्य की बात है। शिक्षाविद अजीजुल्लाह ख़ालिद ने पहली बार लगी मुद्रा प्रदर्शनी को दुर्लभ निरूपण किया।