Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: सबसे लंबे समय तक केंद्र में सचिव बने रहने का रिकॉर्ड इस IAS के नाम

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista

सबसे लंबे समय तक केंद्र में सचिव बने रहने का रिकॉर्ड इस IAS के नाम

मोदी सरकार में सबसे लंबे समय तक केंद्र में सचिव बने रहने का रिकॉर्ड ए पी साहनी के नाम रहेगा। जून 2017 में उन्होंने इलैक्ट्रानिक तथा सूचना तकनीकी मंत्रालय के सचिव का कार्यभार संभाला।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: सबसे लंबे समय तक केंद्र में सचिव बने रहने का रिकॉर्ड इस IAS के नाम

 

वे साढ़े चार साल से अधिक समय तक इसी मंत्रालय के सचिव रहे और इस वर्ष 28 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। वे 1984 बैच के आंध्र प्रदेश काडर के IAS अफसर है। हालांकि कि इस बात की भी चर्चा है उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार मिल सकता है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: सबसे लंबे समय तक केंद्र में सचिव बने रहने का रिकॉर्ड इस IAS के नाम

इसके पहले डी एस मिश्रा चार साल तक शहरी विकास और आवास मंत्रालय के सचिव रहे थे। 1984 बैच के IAS मिश्रा इन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव हैं। उन्हें रिटायर्मेंट के तीन दिन पहले एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था।

मुख्यमंत्री के सामने पार्टी कार्यकर्ताओं की अजीबोगरीब हरकत

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शुक्रवार को शहडोल आगमन पर एक अजीबोगरीब घटना सामने आई जब बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने अपने ही पार्टी के कार्यक्रम को बिगाड़ने की कोशिश की। मुख्यमंत्री वहां पर 500000 बेरोजगारों को रोजगार देने की एक योजना के राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लोकार्पण समारोह में पहुंचे थे।

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दरअसल शहडोल के जयसिंह नगर विकास खंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद के खिलाफ बीजेपी के मंडल अध्यक्ष सहित अन्य कार्यकर्ताओं का यह आरोप था कि जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वित्त आयोग से आवंटित राशि का ठीक ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, उन्हें बर्खास्त किया जाए।

इस बात को लेकर एक जुलूस निकालकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने अपने ही सरकार के अति महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में प्रदर्शन किया और सीएम से मांग की कि सीईओ को बर्खास्त किया जाए।

ऐसे में यह प्रश्न सहज ही पैदा होता है कि जब सरकार बीजेपी की है और बीजेपी कार्यकर्ता सीधे मुख्यमंत्री को शिकायत करने के पहले सीईओ जिला पंचायत, कलेक्टर और कमिश्नर से भी इस मामले में शिकायत कर सकते थे लेकिन उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री के प्रतिष्ठा पूर्ण कार्यक्रम में,

जो जिले के हिसाब से भी सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जा सकता है, में एक तरह से विघ्न पैदा कर अपनी बात को रखने की कोशिश की। इससे यह शक जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं गड़बड़ इन कार्यकर्ताओं में भी रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद सीईओ इन कार्यकर्ताओं की बात को तवज्जो नहीं दे रहा था इसलिए उसे सबक सिखाने की दृष्टि से यह घटनाक्रम रचा गया।

क्योंकि इस अंदर की बात की जानकारी सीईओ जिला पंचायत, कलेक्टर और कमिश्नर को थी इसलिए वे बजाय उनसे शिकायत करने के सीधे मुख्यमंत्री के पास पहुंचे थे वह भी जुलूस और प्रदर्शन की शक्ल में। बहरहाल जो भी हो मुख्यमंत्री ने भी इसकी शिकायत की जांच सीईओ और कलेक्टर को नहीं देकर कमिश्नर को सौंपी, यह बताने के लिए कि जांच बड़े स्तर पर की जाएगी। बताया गया है कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी घटनास्थल पर ही स्वयं मुख्यमंत्री को भी मिल गई कि अंदर का मामला क्या है?

पूर्व मुख्य सचिव- सलाहकार की सलाह से राजस्थान सरकार की वाहवाही

राजस्थान सरकार एक मामले में देश में सबसे अग्रणी हो गई है। वहां की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना, जिसमें 2004 के बाद के कर्मचारियों को पेंशन प्रावधान समाप्त कर दिए थे, वे फिर से चालू कर वहां के अधिकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।
बताया गया है कि इस योजना को लागू करने के पीछे 89 बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी निरंजन आर्य हैं जो पूर्व मुख्य सचिव है और अब गहलोत के सलाहकार हैं।

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Niranjan Arya 1

आर्य के बारे में बताया जाता है कि वे ऐसे मुख्य सचिव थे जिनके दरवाजे हमेशा खुले रहते थे और कोई भी उनसे कभी भी मिल सकता था। गहलोत ने इस दलित अधिकारी को भारी विरोध होने के बावजूद,उनकी कार्य क्षमता को देखते हुए कार्य कुशलता को देखते हुए पहले राज्य का मुख्य सचिव और बाद में अपना सलाहकार बनाया।

पुरानी पेंशन प्रणाली लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्य भी इसे शीघ्र लागू करेंगे क्योंकि उन पर भी अपनी ही पार्टी के अनेक नेताओं, विपक्षी नेताओं के साथ ही अधिकारियों कर्मचारी संगठनों का दबाव बढ़ता जा रहा है।

कमलनाथ एकला चलो रे

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता कमलनाथ इन दिनों एकला चलो की नीति अपना रहे हैं। उनके द्वारा गत सप्ताह विंध्य और चंबल क्षेत्र किए गए दौरे तो यही बता रहे है। यह दौरे भीड़ की दृष्टि से भले ही सफल कहे जाएं लेकिन इन दोनों स्थानों पर केवल कमलनाथ के समर्थक ही सक्रिय देखे गए। इन दौरों में कहीं भी दिग्विजय सिंह,अरुण यादव, सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज नेता दिखाई नहीं दिए, ना ही उनकी कोई भूमिका दिखाई दी। दोनों स्थानों पर भी इन नेताओं के समर्थक भी सक्रिय दिखाई नहीं दिए।

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माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में गत दिनों हुए कुछ मामलों के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बढ़ गई है और इसका खामियाजा अंततः पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा।

शिवसेना सांसद सावंत से आखिर क्यों मिले गोविंद मालू?

इस बात से इंकार नहीं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आंख में महाराष्ट्र की कांग्रेस-शिवसेना सरकार हमेशा किरकिरी बनी रहती है। भाजपा की पूरी कोशिश भी है कि किसी तरह महाराष्ट्र सरकार में दो फाड़ हो जाए और ये गठबंधन टूट जाए। ये भाजपा की राजनीतिक जरुरत भी है। लेकिन, जब भाजपा और शिवसेना में इतनी कटुता हो, तो उसके किसी नेता का मुंबई जाकर शिवसेना के बड़े नेता से अकेले मुलाकात करना सवाल खड़े करता है।

ऐसे में मुंबई (दक्षिण) के शिवसेना सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत से भाजपा नेता गोविंद मालू की मुलाकात कई शंकाओं को जन्म दे रही है।

 

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गोविंद मालू ने मुंबई जाकर अरविंद सावंत से क्या बात की, इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। मालू का कहना है कि उनसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई जिसमें वर्तमान स्थिति, नए उद्योगों और व्यापार की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई। लेकिन, राजनीतिक मुद्दों पर उनकी क्या बात हुई, ये नहीं पता चला! वे भाजपा का कोई संदेश लेकर मिले या फिर कोई और बात है, ये बात कहीं से तो रिसकर बाहर आएगी! … इंतजार कीजिए!

रिटायर्ड IAS के प्रति सरकार की अनदेखी

मध्यप्रदेश में इसी माह आयोग, मंडलों और सार्वजनिक उपक्रमों में अध्यक्ष उपाध्यक्ष की नियुक्तियों में एक रिटायर्ड IAS, जो पार्टी के लिए हमेशा उपयोगी और सक्रिय रहे हैं, की अनदेखी की चर्चा सियासी गलियारों में हो रही है।
बताया गया है कि इस रिटायर्ड आईएएस ने न सिर्फ पार्टी बल्कि सरकार के बचाव में भी कई बार महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

न सिर्फ सरकार और पार्टी बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री के कई न्यायालयीन मामलों में भी व्यक्तिगत वफादारी दिखाकर वह कार्य किया है जो कोई नहीं कर सकता था। ऐसे में उन्हें पार्टी और सरकार और निगम मंडलों में कोई पद ना मिलने से लोगों को आश्चर्य हो रहा है।

दरअसल यह IAS पिछली शिवराज सरकार में एक बोर्ड के उपाध्यक्ष थे। वे स्वयं और पार्टी फोरम में सभी लोग आश्वस्त थे कि जब भी आयोग और मंडल में पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी तो इन्हें फिर से उसी पद पर नवाजा जाएगा। लेकिन जब सूची आई तो उनका नाम नदारद था। इससे वे तो निराश हुए ही, पार्टी के ऐसे सदस्य जो रिटायरमेंट के बाद पार्टी में आए थे, काफी हताश हो गए है। इसका असर यह भी हो रहा है कि अब पार्टी में ऐसे काबिल रिटायर्ड अधिकारी पार्टी ज्वाइन करने से हिचक रहे हैं जो इस दिशा में सोच रहे थे।

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बता दे कि ये वे ही रिटायर्ड IAS अधिकारी है जिन्होंने पिछले चुनाओं के दौरान चुनाव आयोग में पार्टी के पक्ष को रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया था।

ऐसे कमिटेड व्यक्ति की अनदेखी होने से पार्टी के साथ ही आम लोगों में भी अच्छा संदेश नहीं गया है।

और अंत में खबर दिल्ली से

राजधानी दिल्ली में केंद्रीय सचिवालय सेवा (CSS) के अधिकारियों ने बीते हफ्ते, गुरुवार, को कार्मिक मंत्रालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। इनकी मुख्य मांग पदोन्नति को लेकर थी। इनका कहना था कि लगभग दस साल से इस सेवा के अधिकारियों को समय से पदोन्नति नहीं दी जा रही है। अब देखना है कि सरकार इनके आक्रोश को के किस तरह और कितना दूर करती है?