Indore Foundation Day : इंदौर की स्थापना का 306वां दिवस 3 मार्च को मनेगा

सरकार ने 'इंदौर गौरव दिवस' (Indore Pride Day) अहिल्याबाई की जन्मतिथि पर 31 मई को तय किया  

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Indore : शहर के स्थापना दिवस को लेकर पेंच अभी फंसा हुआ है। इंदौर के स्थापना दिवस को ‘इंदौर गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाना तय किया गया था।

प्रशासन ने एक समिति बनाई जिसने अहिल्याबाई की जन्मतिथि 31 मई के दिन ‘इंदौर गौरव दिवस’ मनाने की अनुशंसा (Recommendation to celebrate ‘Indore Gaurav Diwas’ on 31st May) की।

इसे राज्य सरकार ने भी मान लिया! लेकिन, मंडलोई-जंमीदार परिवार ने इंदौर का स्थापना दिवस 3 मार्च को मनाने की तैयारी की है। वे इसी दिन को इंदौर की स्थापना का दिन मानते हैं।

इस परिवार के मुताबिक, सन 1715 में करमुक्त शहर के रूप में इंदौर ने मालवा की सरजमीं पर व्यापार के नए अवसर उपलब्ध कराए (Indore, as a tax-free city in 1715, provided new opportunities for trade on the land of Malwa) थे।

संस्थापक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने शहर में व्यापार को विस्तार देने के लिए जयपुर के राजा सवाई राजा जयसिंह और दिल्ली की मुग़ल सल्तनत को इंदौर को ‘चौथ’ (कर) मुक्त करने के लिए सहमत (Agreed to make Indore tax free)  कर मालवा की उन्नति के लिए नए रास्ते खोले थे।

शहर की 305 सालों की इस विरासत का जश्न (Celebrating this legacy of 305 years) मनाने के लिए हर साल की तरह इस बार भी 3 मार्च को रावजी बाजार स्थित बड़ा रावला में राव राजा राव नंदलाल मंडलोई जमींदार के वंशजों द्वारा इंदौर का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा।

हर वर्ष की तरह इस उत्सव को राव राजा श्रीकांत मंडलोई जमींदार, रानी माधवी मंडलोई जमींदार और युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार द्वारा आयोजित किया जाएगा।

युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार का कहना है कि पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के प्रकोप के कारण इस आयोजन को बेहद सादगी से मनाया गया था।

परंतु, इस साल इंदौर के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शहर की उन्नति में योगदान देने वाले प्रबुद्धजनों का सम्मान (Honoring the enlightened people who contributed to the progress of the city) किया जाएगा।

साथ ही एक खास कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को शहर के गौरवशाली इतिहास से रूबरू करवाने के साथ ही शहर की उन्नति के लिए काम करने वाले लोगों से परिचित करवाना भी है।

होलकर रियासत को सौंपी थी जागीर

इंदौर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए युवराज वरदराज ने कहा कि 18वीं शताब्दी में इंदौर एक छोटा-सा गांव था। इस गांव को मालवा की व्यापारिक राजधानी बनाने के श्रेय हमारे पूर्वज और इंदौर के पहले राजा राव राजा राव नंदलाल मंडलोई को जाता है। परमार काल से यहां मंडलोई वंश का शासन रहा है, तब राजकीय कार्य कंपेल से किए जाते थे।

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समय के साथ राजकार्य इंदौर से किया जाने लगा। राव राजा राव नंदलाल मंडलोई जयपुर के सवाई राजा जय सिंह के साथ घनिष्ठ संबंध रखते थे, और जयपुर राजघराना मुगलों के करीब था।

इंदौर से करमुक्त व्यापार शुरू करने के लिए राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने ही मुगलों और मराठा शासकों को सहमत किया था, जिसके बाद कन्याकुमारी से लेकर चीन तक जो भी व्यापार इंदौर के जरिए किया जाता, वह करमुक्त कर दिया गया था। यह विश्व का पहला सेज़ का उदाहरण है।

प्रशासन ने 31 मई तय किया

इंदौर का जन्मदिन मनाने के लिए 12 फ़रवरी को प्रशासन, जनप्रतिनिधि और वरिष्ठजनों की बैठक हुई। इसमें फैसला लिया गया कि चार सदस्यीय कमेटी एक तारीख तय कर ले और सरकार को प्रस्ताव भेज दे। हालांकि, ज्यादातर जनप्रतिनिधियों ने देवी अहिल्याबाई की जन्मतिथि 31 मई को ही इंदौर का जन्मदिन, गौरव दिवस के रूप में मनाने की पैरवी की। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि देवी अहिल्याबाई इंदौर का गौरव रही हैं।

दुनियाभर में उन्हीं के नाम से इंदौर की पहचान है, इसलिए इंदौर का गौरव दिवस से उनकी स्मृति जुड़ी रहना चाहिए। समिति को 31 मई के अलावा अन्य तारीखों पर भी विचार करने को कहा गया था। लेकिन, समिति  सिफारिश पर राज्य सरकार ने 31 मई को ही ‘इंदौर गौरव दिवस’ मनाने की घोषणा की।