एक कहावत है कि जौहरी को ही हीरे की परख होती है। जबकि मध्यप्रदेश पुलिस में कुछ यूं हो रहा है कि जौहरी की विदाई हो रही है और पुलिस महकमे के मुखिया के रूप में “हीरा” की तलाश सुधीर सक्सेना पर आकर खत्म हो गई है। और इस हीरे की तलाश की है जौहरी बनकर प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुधीर सक्सेना को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटाकर मध्यप्रदेश को सौंप दिया है।
वैसे दो साल पहले कुछ इसी तरह का घटनाचक्र वर्तमान डीजीपी जौहरी के साथ भी हुआ था और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से ऐन वक्त पर लौटकर उन्होंने प्रदेश पुलिस महकमे का मुखिया बनकर दो साल की शानदार पारी खेली है। मजेदार बात यह है कि कमलनाथ चले गए, पर उनकी पसंद जौहरी शिवराज सरकार में भी पसंदीदा बने रहे। इसके उलट मुख्य सचिव के रूप में नाथ की पसंद गोपाल रेड्डी को बड़े बेआबरू होकर कूचे से निकलना पड़ा था।
16 मार्च 2020 को मोहंती को जबरन कुर्सी से हटाकर रेड्डी को बिठाकर नाथ ने सोचा था कि भाजपा ने उनकी सरकार को भले ही न रहने दिया हो लेकिन सीएस के उनके फैसले को सम्मान देकर रेड्डी को रहने ही देगी। पर 23 मार्च 2020 को शिवराज मुख्यमंत्री बने और 24 मार्च 2020 ही सीएस के रूप में रेड्डी का आखिरी दिन साबित हुआ। खैर सुधीर सक्सेना खरा हीरा हैं, यह सोच पूरे पुलिस महकमे की है। सक्सेना के 2024 में रिटायरमेंट से पहले तक मध्यप्रदेश उम्मीद कर सकता है कि कानून व्यवस्था बेहतर होगी और प्रदेश में अपराधियों में खौफ बढ़ेगा और जनता को राहत भी मिलेगी।
प्रदेश सरकार ने केंद्र से सुधीर सक्सेना की सेवाएं मूल कैडर में वापस देने के लिए अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें वर्तमान जिम्मेदारी से मुक्त कर मध्य प्रदेश को सौंप दिया है।
मध्य प्रदेश के डीजीपी विवेक जौहरी का कार्यककाल 4 मार्च को खत्म हो रहा है। ऐसे वक्त में सीनियर आईपीएस अफसर सुधीर सक्सेना के प्रदेश में वापस आने से इस बात के कयास तेज हो गए हैं कि उनके हाथ में ही अब मध्य प्रदेश पुलिस की कमान सौंपी जाएगी।सीनियर आईपीएस अफसर सुधीर सक्सेना भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में 2021 से बतौर सचिव (सुरक्षा) जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
डीजीपी की दौड़ में सक्सेना के अलावा पवन जैन और राजीव टंडन के नाम शामिल थे। मध्यप्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईपीएस सुधीर सक्सेना मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं। 1992 से 2000 तक अलग-अलग जिले में एसपी रहे। 2012 से 2014 तक वह सीएम शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी रहे हैं। इसके अलावा वो 2014 से 2016 तक इंटेलिजेंस चीफ रहे। वो सीआईएसएफ के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल चुके हैं। साल 2002 में उन्हें सीबीआई में नियुक्ति किया गया था। यहां भी कई पदों पर रहे और उन्हें कई मामलों में सराहा गया था।
कहा जा सकता है कि सुधीर सक्सेना को हर तरह की पुलिसिंग का बेहतर अनुभव है। उनके बारे में सबकी राय है कि वह बहुत सुलझे हुए अफसर हैं। ईमानदार अफसरों में शुमार सक्सेना शालीन, सबकी बात सुनने वाले और सोच समझकर फैसला करने वाले अधिकारी हैं। सज्जनों के प्रति कोमल हैं तो अपराधियों के लिए कठोर हैं, अनुशासित हैैं और देशभक्ति-जनसेवा को जीने वाले हैं। सीएम कार्यालय से लेकर पीएमओ तक काम करने का अनुभव उनके खाते में है। तो कैडर राज्य के साथ प्रतिनियुक्ति पर रहने का अनुभव भी उन्हें बराबरी से है।
हर जगह अपनी कार्यशैली का लोहा उन्होंने मनवाया है। सक्सेना का नवंबर 2024 में रिटायरमेंट है और नियुक्ति मिलने पर, जो कि लगभग तय ही है उन्हें डीजीपी के रूप में करीब ढाई साल का समय मिलेगा। ऐसे में उनके कार्यकाल में ही विधानसभा 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 होंगे। तो भरोसा किया जा सकता है कि प्रदेश से जौहरी जाएंगे तो मुखिया के रूप में हीरा की तरह चमक बिखेरने के लिए सुधीर सक्सेना आमद देंगे। पुलिस अफसर के तौर पर सक्सेना की चमक “हीरा” जैसी ही है, यह बात और है कि यह हीरा पन्ना से नहीं बल्कि ग्वालियर से है।