Ripun Bora resigns : असम PCC के पूर्व अध्यक्ष ने कांग्रेस छोड़ TMC जॉइन की!

सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजकर असम कांग्रेस की असलियत बताई

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New Delhi : कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और असम सांसद रिपुन बोरा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस छोड़ने के बाद वे TMC में शामिल हो गए।

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद रिपुन बोरा TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। TMC ने ट्वीट कर रिपुन बोरा का स्वागत किया है। टीएमसी ने लिखा कि, रिपुन बोरा पूर्व पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री, असम में शिक्षा मंत्री, पूर्व राज्यसभा सांसद और असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है! वह आज अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में हमारे साथ शामिल हुए।

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपनी स्टूडेंट लाइफ से साल 1976 से कांग्रेस से जुड़ा रहा हूं। मैं पार्टी के विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी निभाई, लेकिन आज मैं भारी मन से पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं आपका और कांग्रेस की लीडरशिप का मुझपर जताए गए भरोसे के लिए धन्यवाद करना चाहता हूं। इस्तीफा देते वक्त मैं ये कहना चाहता हूं कि पिछले कुछ सालों में भारतीय जनता पार्टी सांप्रदायिक बंटवारे का सिंबल बन गई है, ये लोकतंत्र, संविधान, धर्म निरपेक्षता, अर्थव्यवस्था और देश के लिए बड़ा खतरा है।

अपने इस्तीफे में रिपुन बोरा ने कहा कि भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाए असम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक वर्ग मुख्य रूप से मुख्यमंत्री के साथ BJP सरकार के साथ गुप्त समझौता कर रहा है।

उन्होंने यह भी लिखा कि, कुछ नेता निजी स्वार्थ के लिए पार्टी के हित और विचारधारा से भाजपा के पक्ष में समझौता कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर भाजपा को रोकने के लिए एकजुट और आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाए पुरानी पार्टी के नेता अपने निहित स्वार्थों के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। इसकी वजह से बीजेपी को फायदा मिल रहा है और कांग्रेस हाशिए पर खिसक गई। इससे कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। इन सबके बीच मेरा गृहराज्य भी अछूता नहीं है।

2016 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद आपने मुझे असम PCC अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। तब से मैंने कांग्रेस को राज्य में उभारने के लिए कड़ी मेहनत की। जिसमें पंचायत, उपचुनाव और लोकसभा चुनाव में काग्रेस ने बीजेपी के सामने चुनौती पेश की। साल 2021 के विधानसभा चुनावों में यही वजह है कि लोगों को लगने लगा था कि कांग्रेस राज्य में सत्ता हासिल करेगी। लेकिन, अंदरुनी लड़ाई के चलते कांग्रेस ने लोगों का भरोसा खो दिया, इस वजह से लोगों ने हमें सरकार बनाने के लिए जनादेश नहीं दिया।