Flashback: मेरी यादों के एल्बम में बैतूल की कई जीवंत यादें!

966

Flashback: मेरी यादों के एल्बम में बैतूल की कई जीवंत यादें!

21 मई, 1985 को मैंने दमोह के कार्यकाल के बाद अपने प्रभार को पूर्ण आत्म संतुष्टि तथा प्रसन्नता के साथ सौंप दिया।दमोह में सभी वर्गो के लोगों के द्वारा आत्मीय विदाई देने से मैं भाव विभोर था। वहाँ कुछ ऐसे संबंध भी बने जो आज चार दशक बाद भी अचल हैं। अगली सुबह जल्दी ही सड़क मार्ग से रवाना होकर मैं बैतूल पुलिस अधीक्षक का प्रभार उसी दिन लेने के लिए निकल पड़ा। मेरे साथ लक्ष्मी तथा मेरी दोनों बेटियां थी जिनमें एक गोद में ही थी। विंध्य के पठार के पूर्वी भाग बुंदेलखंड से निकलकर भोपाल होते हुए अब्दुल्लागंज के आगे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ गंगा और नर्मदा का जल विभाजन होता है। उसके आगे विंध्य रेंज की ढलान उतर कर नर्मदा घाटी में उतरे तथा होशंगाबाद में नदी पार कर धीरे-धीरे सतपुड़ा में चलते हुए उसकी गोद में स्थिति बैतूल दोपहर बाद पहुँचे। उसी दिन मैंने पुलिस अधीक्षक का प्रभार ले लिया।

 

WhatsApp Image 2022 04 19 at 11.20.58 PM

बैतूल जिला मध्य प्रदेश के शांतिप्रिय क्षेत्र में आता है तथा पुलिस के समक्ष बहुत बड़ी चुनौतियां नहीं आती है।पुलिस की कार्य पद्धति को चुस्त दुरुस्त बनाए रखना तथा जनता की समस्याओं को सतत हल करते रहना ही मुख्य कार्य था।ज़िले का व्यापक भ्रमण करते रहना मुझे बहुत अच्छा लगता था। बैतूल प्राकृतिक दृष्टि से अत्यधिक सुंदर स्थान है। बैतूल में श्री डी आर एस चौधरी कलेक्टर थे जो अतिशीघ्र अच्छे मित्र बन गए। उन्होंने मुझे ज़िले की सभी प्रकार की जानकारियां दी। शहर और ज़िले के सभी महत्वपूर्ण शासकीय और अशासकीय लोगों से बहुत गर्मजोशी से मिलवाया।इनमें एक एस के मिश्रा भी थे जो उस समय उद्योग विभाग में मैनेजर थे लेकिन बाद में वे IAS में आ गए तथा मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव होकर सेवानिवृत्त हुए।शीघ्र ही ज़िले के सामाजिक और राजनैतिक रूप से महत्त्वपूर्ण लोगों से मेरा संपर्क हो गया जिससे प्रशासनिक कार्य में सहायता मिलती थी।

कलेक्टर चौधरी साहब एक उच्च ब्यूरोक्रेट परिवार से थे। उनकी लाल रंग की मारुति कार सबके लिए कौतूहल का विषय थी। वे नियमित रूप से सायंकाल क्लब जाते थे तथा उनकी प्रेरणा से मैं भी मुख्यालय में रहने पर नियमित रूप से क्लब जाने लगा जहां मैं टेनिस और बिलियर्ड्स खेला करता था।वहाँ पर आने वालों में DFO बी के दवे, EE प्रधान, विनोद डागा (जो बाद में विधायक बने और अब नहीं रहे ), शेखर सुमन, पी एस गौड़, आर के तिवारी और प्रो. एन सी जैन नियमित रूप से आते थे। यह दिनचर्या का एक बड़ा महत्वपूर्ण भाग बन गया था।

WhatsApp Image 2022 04 19 at 11.20.58 PM 1

दो महीने बाद ही कलेक्टर चौधरी साहब का स्थानांतर हो गया और उनके स्थान पर श्रीमती लवलीन कक्कड़ पदस्थ हुई। उनके पति मुकेश कक्कड़ के बड़े भाई मेरे साथ इलाहाबाद में हॉस्टल में रहते थे तथा मेरे क्लास फेलो थे। श्रीमती लवलीन एक आकर्षक व्यक्तित्व की तथा अपने कार्य में दक्ष महिला थी। वे केवल अपने शासकीय कार्य तक ही सीमित रहती थी तथा ज़िले के कुछ विषयों पर चर्चा के लिए मुझे अपने निवास कार्यालय पर आमंत्रित कर लेती थी अथवा मेरे घर आ जाती थीं। एक बार अति वृष्टि होने पर एक दूरस्थ बाँध के ख़तरे में आ जाने पर बड़ी दिलेरी के साथ वे मेरे साथ वहाँ गई और आवश्यक व्यवस्थाएँ की।

WhatsApp Image 2022 04 19 at 11.20.57 PM

बैतूल के लगभग सभी राजनीतिक नेता संयम और नम्रता से व्यवहार करते थे। वहाँ के सांसद हाकी खिलाड़ी असलम शेरखान यदा कदा ज़िले में आते थे, परन्तु वे जब भी आते थे तो मेरे घर पर चर्चा के लिए आते थे। वहाँ के पत्रकार भी काफ़ी शालीन थे।सभी पत्रकारों में एक विशिष्ट स्थान रखने वाले रामजी श्रीवास्तव थे जो एक उदीयमान युवा पत्रकार थे। दैनिक भास्कर में लिखी उनकी आदिवासी क्षेत्र पर एक लेख श्रंखला पर उन्हें समता पुरस्कार प्राप्त होने पर जापान जाने का सौभाग्य मिला था। उनसे मेरी मित्रता बढ़ती गई। आज भी हम लोग जन परिषद नामक संस्था चला रहे हैं जो पिछले 33 वर्षों से कार्यरत है।यह संस्था अनेक सामाजिक कार्यों के साथ आठ अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस पर्यावरण के ऊपर आयोजित कर चुकी है।

एक शांतिप्रिय ज़िले के पुलिस अधीक्षकों को अक्सर पुलिस मुख्यालय अन्य कार्यों से ज़िले से बाहर भेजता रहता है। बैतूल से मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक आम सभा में ड्यूटी के लिए अविभाजित बस्तर के कोंटा क़स्बे में भेजा गया। नागपुर और रायपुर होते हुए पूरे बस्तर ज़िले में उत्तर से प्रवेश कर उसके दक्षिणी छोर पर बसे कोंटा पहुँचा।इस यात्रा में वर्षा से पूरी तरह हरे हो गए बस्तर की सुंदरता देखने का अवसर मिला।तेज पानी लगातार बरस रहा था। तीन दिन तक बरसते पानी में आम सभा स्थल की तैयारियां करनी पड़ीं।राजीव गांधी जैसे ही सोनिया गांधी के साथ हेलीकॉप्टर से उतरे तो संयोगवश पानी हल्का हुआ और फिर रूक गया।आम सभा से उनके रवाना होने के कुछ देर बाद बरसात फिर शुरू हो गई। इसके कुछ ही दिनों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह के इंदौर आगमन पर मेरी ड्यूटी इंदौर लगायी गई। वहाँ मुझे रेजीडेंसी में उनके ठहरने की व्यवस्था का प्रभारी बनाया गया।

 

वहाँ पर कड़ी सुरक्षा के बीच मुझे ज्ञानी जी के साथ सुबह रेसीडेंसी में टहलते हुए देर तक बात करने का अवसर मिला। उन्होंने रेज़िडेंसी में लगी एक विशेष बागड़ ( हेज ) की क़लम राष्ट्रपति भवन भेजने का निर्देश दिया।भोपाल गैस ट्रैजेडी की पहली वर्षगांठ के अवसर मुझे यूनियन कार्बाइड फ़ैक्ट्री के गेट के बाहर ड्यूटी पर लगाया गया।अक्टूबर 1985 में मुझे इंटेलिजेंस ब्यूरो की तीन सप्ताह की ट्रेनिंग पर नई दिल्ली भेजा गया। यह ट्रेनिंग काफ़ी उच्च स्तर की थी और कुछ वर्षों बाद मुझे पुलिस मुख्यालय के इंटेलिजेंस विभाग में काम करने में काफ़ी सहायक हुई। इस प्रशिक्षण के लिए जब मैं बैतूल से रवाना हो रहा था तो मेरे घर पर एक अधीनस्थ पुलिस अधिकारी आए और उन्होंने रूपये का एक लिफ़ाफ़ा निकल कर कहा ‘सर इसे रख लें, दिल्ली में काम आएगा’। मैं उनके इस व्यवहार से आश्चर्यचकित रह गया लेकिन विनम्रता और दृढ़ता के साथ उन्हें वापस कर दिया।

जनवरी 1986 में भारत के अन्य भागों की तरह बैतूल में भी एक अनोखे जलूस का आयोजन किया गया।यह अयोध्या में मंदिर बनाए जाने हेतु राम शिला ले जाने के लिए निकाला जाने वाला जुलूस था। दावा किया गया था कि प्रत्येक गाँव से एक ईंट लाकर जिला मुख्यालय पर उन्हें एकत्र कर अयोध्या ले जाया जाएगा। उस समय तक किसी भी साधारण जन या प्रशासनिक अधिकारियों को अयोध्या के राम मंदिर या विश्व हिंदू परिषद की योजना के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं थी।यह जलूस मेरे सामने निकलने वाला पहला जलूस था इसलिए मैंने कलेक्टर श्रीमती लवलीन कक्कड़ के साथ मज़बूत सुरक्षा व्यवस्था लगायी।

 

बैतूल की सड़कों पर बहुत विशाल जुलूस निकला और सभी पुराने लोगों ने मुझे बताया कि बैतूल मे इतना बड़ा जुलूस उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा है।इस जुलूस के आकार और इसमें सम्मिलित लोगों के हाव भाव देखकर मैं भी हतप्रभ रह गया।कुछ चिंतन करने के बाद मैंने पुलिस मुख्यालय को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी जिसमें मैंने कहा कि यह घटना आज ही समाप्त होने वाली नहीं है और आगामी समय में निश्चित रूप से यह देश व्यापी ध्यान आकृष्ट करने में सफल होगी।आज भूतलक्षी प्रभाव से इसके आगामी वर्षों की घटनाओं का स्मरण कर मुझे लगता है कि जैसे वह लगभग मेरा दैवीय पूर्वानुमान था।

बैतूल में कुछ ऐसे स्थानों पर रूकने का अवसर मिला जिनकी प्राकृतिक छटा अद्भुत थी।भौंरा स्थित फ़ॉरेस्ट रेस्ट हाउस में सपरिवार एक बार रूकने का अवसर मिला जहाँ भोर के समय बहुत ही सुंदर छटा दिखाई दी। कुकरू खामला बैतूल ज़िले का 3700 फ़ीट पर स्थित सर्वाधिक ऊँचा और सुंदर स्थान है। यहाँ की मनोहारी घाटियाँ घने वनों से आच्छादित है। इस ऊँचाई पर कॉफी प्लांटेशन सफलतापूर्वक किया गया है। बैतूल ज़िले में, जो सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसा हुआ है, पदस्थ होना प्रकृति प्रेमी व्यक्ति के लिए वरदान के समान था।