Bulldozer Action : बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ MP हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

हाई कोर्ट ने कहा 'इस याचिका पर सुनवाई का अभी कोई कारण नहीं!'

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High Court's Order

Bulldozer Action : बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ MP हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

Jabalpur : हाई कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्रदेश सरकार को उन मामलों के ब्योरे देने के निर्देश देने की अपील की गई थी, जहां पुलिस ने ‘कानून के अधिकार के बिना’ विभिन्न मामलों में आरोपियों या संदिग्धों के घरों को गिरा दिया। याचिका में सरकार को इस प्रकार की कार्रवाई नहीं करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया। अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने यह याचिका दायर कर राज्य सरकार को मामलों के ब्योरे उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी.

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति पीके कौरव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमारा विचार है कि इस याचिका को जनहित याचिका के तौर पर विचारार्थ स्वीकार करना उचित नहीं होगा। अगर याचिकाकर्ता का मामला स्वीकार भी किया जाए कि कुछ लोगों के कुछ मकान ढहा दिए गए हैं! यकीनन उनके पास खुद के और अपनी संपत्ति के बचाव का कानूनी अधिकार है। हम वर्तमान याचिकाकर्ता की और से पेश की इस याचिका पर सुनवाई का कोई कारण नहीं पाते। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

बुलडोजर पर विवाद यहां से शुरू हुआ

बुलडोजर मामले पर विवाद की शुरुआत रामनवमी पर खरगोन में दंगा भड़कने के बाद दंगाइयों ने घरों और दुकानों को आग लगा दी थी। इस मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ा और सरकार ने आरोपियों की पहचान कर उनके घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिए। इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई गई। यह याचिका जमीयत उलेमा ए हिंद ने लगाई है। याचिका में एक वर्ग विशेष को टारगेट करने का आरोप लगाया गया। इस याचिका पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उपद्रवी सरकार के काम को उग्रवाद बता रहे हैं। जबकि, दंगाइयों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है। न्यायालय का जो आदेश मिलेगा वो सिर माथे पर होगा।

बीजेपी में भी बुलडोजर पर सवाल उठे

प्रदेश में दंगे के आरोपियों के खिलाफ सरकार की बुलडोजर कार्रवाई पर बीजेपी के नेताओं ने भी सवाल उठाए हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय विश्नोई ने अपनी ही सरकार को बुलडोजर मामले में घेरा था। उन्होंने कहा था कि बुलडोजर चलाने के बजाए शराब बिक्री पर रोक लगाई जाना चाहिए। उन्होंने अपनी सरकार को बुलडोजर के मामले में घेरते हुए ट्वीट किया और लिखा कि मप्र को यदि उत्तर प्रदेश का अनुसरण करना है, तो गांव-गांव में बिक रही शराब को रोकें. बुलडोज़र के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिलेगा ज्यादा वोट मिलेंगे। अजय विश्नोई आज कल पार्टी से नाराज हैं और ऐसे बयान देते आ रहे हैं।