Rajbada Renovation : ऐतिहासिक स्वरूप में लौट रहा राजवाड़ा, जीर्णोद्धार का 70% प्रतिशत काम पूरा

राजवाड़ा का जो हिस्सा हादसे में जला था, अब उसकी सुंदरता वापस लौटी

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Indore : जीर्णोद्धार के बाद शहर की पहचान कहा जाने वाला राजवाड़ा अब अपने मूल स्वरूप में लौट रहा है। पिछले तीन साल से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यहां जीर्णोद्धार का काम (Renovation here under Smart City Project) हो रहा है। राजवाड़ा का 70% काम पूरा हो चुका है। राजवाड़ा का जो हिस्सा जल गया था, अब वो फिर पहले की तरह खूबसूरत नजर आने लगा।

ऐतिहासिक इमारत राजवाड़ा के अंदर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया। अब ये राजबाड़ा पहले की तरह खूबसूरत हो गया। राजवाड़ा के जीर्णोद्धार से पहले इस्तेमाल होने वाले मटेरियल में उड़द की दाल और शहद समेत कई चीजों का इस्तेमाल (Use of many things including urad dal and honey) किया गया। इसलिए कि पुराने वास्तुविद के मुताबिक इस तरह की चीजें इमारत की सुंदरता को हमेशा बरक़रार रखती हैं।  कई महीनों से राजवाड़ा के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। इन दिनों नवीनीकरण का सबसे जटिल काम जारी है। राजवाड़ा की मुख्य इमारत की ऊपरी तीन मंजिलों के हर हिस्से को मजबूत बनाया जा रहा है। कई हिस्सों की लकड़ियां सड़ चुकी थीं और उनके जोड़ खुल गए थे उन्हें बदला जा रहा है। जो ऊपरी हिस्सा कमजोर हो गया था, उसे भी मजबूती दी जा रही है।

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दंगों में जला था राजबाड़ा

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों के दौरान राजवाड़ा में आग लगने के कारण उसके अंदर का काफी हिस्सा जल गया था। जीर्णोद्धार की सबसे बड़ी चुनौती उस हिस्से को मूल स्वरुप में लाने की थी। वो अब फिर ठीक ठाक दिखाई देने लगा है। करीब तीन साल पहले जले हुए हिस्से के बाद बचा हुआ भाग बारिश के दौरान ढह गया था। इसके बाद स्मार्ट सिटी ने जीर्णोद्धार का काम शुरु किया। राजवाड़ा के अंदर का वह हिस्सा फिर से तैयार हो गया है।

 

संरचना सुदृढ़

जीर्णोद्धार के लिए लकड़ी व टार रॉड का उपयोग करके पिलर को बांधा जा रहा है। जहां के ज्वाइंट खराब हो चुके है, लकड़ी सडक़र पोली हो गई है, वहां ग्राउटिंग कर स्ट्रक्चर को मजबूती दी जा रही है। राजवाड़ा के बाहरी हिस्से में प्लास्टर का कार्य और खिड़कियों की मरम्मत का कार्य चल रहा है।

 

तीन साल से काम

यह काम तीन साल पहले शुरू हो गया था, लेकिन दो बार लगे कोरोना लॉकडाउन के कारण अब तक पूरा नहीं हो पाया। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। राजवाड़ा की मुख्य इमारत के निचली चार मंजिलों के मजबूतीकरण का काम पूरा हो चुका है।

 

इतिहास में राजबाड़ा

जानकारों के अनुसार सन 1747 में मल्हारराव प्रथम ने राजवाड़ा के निर्माण की शुरुआत की थी। राजवाड़ा संगमरमर, लकड़ी, ईट, मिट्टी और गारे का फ्रेंच, मुगल और मराठा आर्किटेक्ट से बनी भव्य और खूबसूरत इमारत (Grand and beautiful building made by French, Mughal and Maratha architects) है। सन 1761 में मल्हारराव प्रथम के समय राजवाड़ा का निर्माण कार्य रुका रहा। जिसके बाद सन 1765 के बाद राजवाड़ा बनकर तैयार हुआ था। राजवाड़ा सात मंजिला महल है। नीचे की तीन मंजिले मार्बल की बनी है और ऊपरी चार मंजिलों को सागौन की लकड़ी से बनवाया गया था। राजवाड़ा का प्रवेश द्वार 6.70 मीटर ऊंचा है। यह द्वार हिंदू शैली के महलों की तर्ज पर बना है।

होलकरों का दरबार हॉल जिसे गणेश हॉल कहा जाता है, वह फ्रेंच शैली का अप्रतिम नमूना (Quintessence of french style) है। राजवाड़ा के ठीक सामने एक सुंदर सा बगीचा है, जिसके मध्य में महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा स्थापित है। सन 1801 में सिंधिया के सेनापति सरजेराव घाटगे ने इंदौर पर आक्रमण किया और राजवाड़ा के एक बड़े हिस्से को जला दिया। 1834 में फिर एक बार राजवाड़ा में अचानक आग लगने से उपरी मंजिल पूरी तरह जल गई थी। 1984 में इंदिरा गांधी हत्याकांड के समय भी राजवाड़ा में आग लगा दी गई थी। 2006 में इंदौर की तत्कालीन महारानी उषादेवी होलकर ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और सन 2007 में यह काम पूरा हुआ था।