भोपाल. मध्यप्रदेश में बेटी के जन्म को अब बोझ के रूप में नहीं लिया जाता बल्कि बेटी के जन्म की खुशियाँ मनाई जाती है। इस अवधारणा को बदलने में प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना मुख्य आधार रही है। रियल गार्जियन के रूप बालिका के जन्म से लेकर विवाह तक की में जिम्मेदारी निभाने के लिये एक अप्रैल 2007 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की थी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की बेटियों के प्रति शुरू से संवेदनशील सोच रही है। इसी सोच के साथ उन्होंने प्रदेश में जन्म लेने वाली बालिकाओं के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंग अनुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार कर उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला को रखने के लिये ही इस योजना को लागू किया। योजना की सफलता के एक दशक बाद उसे कानूनी स्वरूप देने के लिए प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी अधिनियम 2018 भी प्रभावशील किया गया।
प्रदेश में आज 42 लाख से अधिक बालिकाएँ लाड़ली लक्ष्मी योजना में शामिल हैं। योजना के सफल क्रियान्वयन और सकारात्मक परिणामों का डंका पूरे देश में बजा है। अनेक राज्यों ने न सिर्फ मध्यप्रदेश की इस योजना की सराहना की है अपितु इसे अपने राज्य में लागू भी किया है।
योजना की शुरूआत जिस मंशा से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी, उसका सुखद एहसास प्रदेश के लाभान्वित परिवारों ने महसूस किया है। आज प्रदेश के 39 लाख से अधिक परिवार ऐसे है, जिनके घरों में जन्मी बालिका की सभी जिम्मेदारियाँ प्रदेश सरकार निभा रही है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना ने बेटियों के प्रति रूढ़िवादी परम्पराओं को भी दर किनार किया है। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन ने प्रदेश के कई जिलों में लिंगानुपात में भी सुधार किया है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण भिंड जिले में देखने को मिला है।
वर्ष 2012 में मध्यप्रदेश में लिंगानुपात 1000 पुरूष पर 927 महिला का था, जो आज बढ़ कर 956 हो गया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा इस कारगर योजना को और अधिक प्रभावी और कारगर बनाने के लिये योजना को नया कलेवर दिया जा रहा है। अब लाड़ली लक्ष्मियों को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने, उन्हें सशक्त, समर्थ, सक्षम और आत्म-निर्भर बनाने के लिये अनेक प्रावधान किये जा रहे हैं।
बेटियों को उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, रोजगार और स्व-रोजगार से जोड़ने की पहल भी सरकार कर रही है। अब योजना में शामिल सभी बालिकाओं की शिक्षा की निरंतरता के लिए कक्षावार ट्रेकिंग का पोर्टल विकसित किया जाएगा।
लाड़ली लक्ष्मियों को उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन दिया जाएगा।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कॉउंसलिंग और कोचिंग की व्यवस्था, स्टार्टअप, लघु-मध्यम उद्योग और निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने के लिए भी जरूरी प्रशिक्षण एवं कौशल उन्नयन के मौके उपलब्ध करवाने की व्यवस्था सरकार करने जा रही है।
प्रदेश में 42 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियाँ
प्रदेश में 42 लाख से अधिक बालिकाएँ लाड़ली लक्ष्मी योजना में पंजीकृत हैं। लाड़लियोंका भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए योजना की लाभार्थी बालिका को कक्षा 6 में प्रवेश पर 2 हजार रूपए, कक्षा 9वीं में प्रवेश पर 4 हजार रूपए, कक्षा 11वीं में प्रवेश पर 6 हजार रूपए और कक्षा 12वीं में प्रवेश पर6 हजार रूपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। बालिका के 12वीं की परीक्षा में शामिल होने और 18 वर्ष की आयु तक विवाह न करने तथा 21 वर्ष पूर्ण होने पर एक लाख रूपए के भुगतान की व्यवस्था है।
12वीं के बाद पढ़ाई के लिए 25 हजार रूपए मिलेंगे
हाल ही में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योजना में पंजीकृत बालिकाओं को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी करने पर आगे की शिक्षा अथवा व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहन स्वरूप 25 हजार रूपए की राशि उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया है।