Jhabua Chaupal: जब सांसद फरियाद लेकर एसपी के पास पहुंचे

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जब सांसद फरियाद लेकर एसपी के पास पहुंचे

गांव के सरपंच, तडवी और आम आदमी की तरह भाजपा सांसद गुमानसिंह डामोर की बात पुलिस ने भी नहीं सुनी तो मजबूर होकर सांसद को SP के पास जाना पडा!

विक्रांत भूरिया ने डीलिस्टिंग पर सांसद के बयान का वीडियो ट्विटर पर डाला था। इस मामले में सांसद, विक्रांत भूरिया पर एफआईआर दर्ज करवाना चाहते थे! पहले तो सांसद ने अपनें भाई अजय सिंह डामोर को थाने पर शिकायती आवेदन के साथ भेजा! लेकिन, एफआईआर नहीं हुई! इसके बाद सांसद को ही शिकायती आवेदन थाने भिजवाना पडा!

 Jhabua Chaupal: जब सांसद फरियाद लेकर एसपी के पास पहुंचे

फिर भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया! तब, सांसद डामोर पुलिस अधीक्षक के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचे! सांसद के आवेदन पर चार दिन बाद पुलिस कोतवाली में विक्रांत पर मामला दर्ज किया गया! सांसद के दिए गए बयान को प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने राजनीतिक रूप से भुना लिया! दोनों नेताओं के ट्विटरवार में भूरिया इक्कीस साबित हुए।

किसके षडयंत्र का शिकार हुए विक्रांत भूरिया!

दिग्विजयसिंह और कमलनाथ ने मिलकर विक्रांत भूरिया को राजनीति का शिकार बनाया है! राजा साहब ने विक्रांत को प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद का झुनझुना थमाते हुए व्यस्त कर दिया, ताकि वो अपने क्षेत्र में समय न दे सकें। विक्रांत को 2023 में विधानसभा का टिकट मिल भी जाए तो, जीत का सेहरा शायद न बांध सके!

 Jhabua Chaupal: जब सांसद फरियाद लेकर एसपी के पास पहुंचे

 

दिग्विजयसिंह और कमलनाथ ने मिलकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम का कांटा कांग्रेस से हमेशा के लिए निकाल फैंका है! इससे दोनों नेता पुत्रों का पार्टी में आगे बढने का रास्ता साफ हो गया! कांग्रेस के पास जब तक आदिवासी नेता के नाम पर कांतिलाल भूरिया का चेहरा है, तब तक विक्रांत की जगह कांग्रेस में तो बनी रहेगी लेकिन, विधानसभा तक पहुंचना उनके लिए कठिन साबित होगा! यह तो 2023 मे पता चलेगा कि ज्योतिरादित्य के बाद, विक्रांत भूरिया भी दिग्विजयसिंह ओर कमलनाथ के निशाने पर तो नहीं थे।

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शैलेष दुबे के अच्छे दिन की शुरूआत हो गई क्या!

लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूरियां बनाकर चल रहे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शैलेष दुबे को ‘जनजातीय सुरक्षा मंच’ के बैनर तले आयोजित डीलिस्टिंग की महारैली और जनसभा की व्यवस्था का बडा जिम्मा दिया गया था। संगठन और सत्ता के तालमेल को साधने में दुबे को महारथ हासिल है! अल्प समय के जिला अध्यक्ष कार्यकाल में उनकी विवादित छवि के कारण भाजपा ने उन्हें दरकिनार कर दिया था! कुछ तो उन्हें अपनों ने दगा दिया ओर कुछ संगी साथी की संगति ने उनके कार्यकाल के दामन पर दाग लगवा दिया! इतना कुछ होने के बाद भी डीलिस्टिंग जैसे मुददे के कार्यक्रम का दायित्व दुबे को देना उनकी राजनीतिक कलंक को धोने से कम नहीं है! माना जा रहा है कि भाजपा या संगठन मे दुबे को कोई महती जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, इसके लिए दुबे को कब तक इंतजार करना पडेगा यह यह तो समय ही तय करेगा!

आलीराजुपर में भाजपा के चुनावी मुददे यह होंगे!

आलीराजुपर विधानसभा सीट को कांग्रेस के कब्जे से हासिल करनें के लिए रणनीति तैयार कि जा रही है! आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव की रणनीति मे राम मंदिर और डीलिस्टिंग जैसे मुददे भी होंगे! आलीराजपुर के पूर्व विधायक ओर वर्तमान प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष नागरसिह चौहान ने भाजपा कार्यालय पर बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण मे इन्हीें मुददों पर कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा की!

BJP's State Office
Election

उन्होनें जोर देते हुए कहा कि हमकों बोलना पड़ेगा कि डीलिस्टिंग का मतलब यह है कि, जो लोग ईसाई बन गए, धर्मांतरित हो गए, पूजा पद्वति को भूल गए, देवी देवताओं को नहीं मानते, राम भगवान और भोलेनाथ को नहीं मानते वो आदिवासी नहीं हो सकते उनको अधिकार नहीं मिलना चाहिए! नागरसिंह चौहान कांग्रेस के मुकेश पटेल से हार चुके है और 2023 के चुनाव परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए अभी से जुट गए!

महेश पटेल की ऐसे हुई कांग्रेस में वापसी!

आलीराजुपर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष महेश पटेल को 6 वर्ष के निष्कासन का वनवास प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कुछ ही महिनों में वापस ले लिया! भगोरिया पर्व के दौरान कांतिलाल भूरिया उनके पुत्र विक्रांत भूरिया के साथ महेश पटेल के विवाद के बाद पीसीसी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था! झाबुआ जिले के पेटलावद विधानसभा के कांग्रेस विधायक की पुत्री के विवाह समारोह में कमलनाथ, दिग्विजयसिंह, कांतिलाल भूरिया, विक्रांत भूरिया और आलिराजपुर विधायक मुकेश पटेल शामिल हुए।

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लेकिन, महेश ने इस समारोह से दूरी बनाए रखी! महेश की गैरमौजूदगी की चर्चा कांग्रेसियों मे पूरे समय होती रही! उसके बाद आलीराजपुर मे सोशल मीडिया पर चले एक मैसेज ने कांग्रेस मे अंदरूनी हलचल मचा दी! माना जा रहा है कि, यह मैसेज महेश पटेल या उनके समर्थकों द्वारा चलाया गया अदृश्य तीर था, जो सही निशाने पर जाकर लगा! इस मैसेज मे बगावती तेवर थे! मैसेज हाईकमान तक पहुंच गया और अगले दिन महेश की कांग्रेस में घर वापसी हो गई! महेश ने कांग्रेस और कांतिलाल को जोर का झटका धीरे से दे दिया!

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