अब स्टार्टअप में टेक ऑफ का टाइम है … इंदौर की तरफ निगाहें फिर …

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अब स्टार्टअप में टेक ऑफ का टाइम है ... इंदौर की तरफ निगाहें फिर ...
मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता को गौरव करने के नए-नए अवसर देने के लिए कटिबद्घ है। इंदौर में स्टार्टअप के महाआयोजन में चाहे नई पॉलिसी लाकर प्रदेश सरकार दावा कर रही हो कि अब भारत के नक्शे पर एक बार फिर इंदौर देश-दुनिया में अपना परचम फहराएगा। चाहे मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान गर्व के साथ कह रहे हों कि इंदौर और प्रदेश में स्टार्ट-अप में जो काम हो रहा है, उसमें 700 करोड़ का निवेश इसी साल आना एक बड़ी उपलब्धि है।
और दावा भी कर रहे हों कि अब स्टार्टअप में बैंगलूरू-हैदराबाद यह समझ लें कि इंदौर मैदान में आ गया है और सबको पीछे छोड़ने की हिम्मत रखता है। चाहे वरिष्ठतम नौकरशाहों में शुमार अनुराग जैन यह कहते हुए गर्व से भर रहे हों कि जब इंदौर की उपलब्धियों पर दिल्ली में चर्चा होती है, तो वह गर्व से भर जाते हैं। और जब बात इंदौर की आती है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गर्व से भरे ही नजर आते हैं कि इंदौरवासी कमर कस लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
इन सबके मूल में मालवा के सिरमौर इंदौर की वही प्रवृत्ति है, जिसमें जिद, जुनून और जज्बा है कि जीतने की ठान ली तो फिर जीतकर ही रहेंगे। चाहे फिर जान की बाजी ही क्यों न लगानी पड़े। चाहे फिर जवानी को अथक परिश्रम कर जीत की कसौटी पर कुर्बान क्यों न करना पड़े? और हम सभी मध्यप्रदेशवासियों का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है, जब हमारा इंदौर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करता है। जैसा कि स्टार्टअप समारोह में एक बार फिर इंदौर में हुए आयोजन ने हम सबको गर्व से भर दिया है।
बात जब इंदौर की होती है, तो मां अहिल्या का चेहरा सामने आ जाता है। हाथ में शिव की मूर्ति लिए मां अहिल्या की वह प्रतिमा के सामने सभी का सिर बिना किसी मनोयोग के स्वत: ही झुक जाता है। और चाहे मोदी हों या फिर शिवराज, राजकाज का जो आदर्श मां अहिल्या ने सामने रखा…उसकी बराबरी संभव नहीं है। तो देश के सबसे स्वच्छ शहर में लगातार प्रतिमान स्थापित करने का जो उदाहरण इंदौर ने पेश किया है, उससे साबित हो गया है कि अब शायद देश के सभी राज्य यह मान चुके हैं कि इंदौर आदर्श है और आकलन करना महज औपचारिकता है।

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इंदौर ने कोरोना काल हो या फिर दूसरे कई क्षेत्र की उपलब्धियों की चर्चा हो, यह बार-बार साबित किया है कि हमें सर्वश्रेष्ठ में शुमार होने की आदत है। इंदौर की उपलब्धियों में नगर निगम आयुक्त से लेकर इंदौर कलेक्टर तक का लंबा सफर तय करने में अपनी सोच का लोहा मनवा चुके मनीष सिंह के योगदान को भी नहीं नकारा जा सकता,  तो उसी मंच पर मौजूद इंदौर के पूर्व कलेक्टर पी. नरहरि की कार्यशैली भी उपलब्धियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। जिन्हें इंदौर ने सब कुछ दिया, तो जिन्होंने इंदौर की सेवा में दिन-रात मेहनत कर साबित किया कि मालवा का यह शहर अजब है और गजब है। चाहे इंदौर की स्वच्छता की बात हो या इंदौर के विकास की, चाहे आईटी सेक्टर में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रहा इंदौर हो या फिर प्रदेश की आर्थिक राजधानी बतौर साढ़े आठ करोड़ जनता को समृद्ध कर रहा इंदौर हो…इंदौर के नाम पर सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है, तो इंदौर के सामने सिर श्रद्धा से झुक भी जाता है।
तो इंदौर के मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो कहा, वह यह कि दुष्यंत कुमार जी ने कहा था कि कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारो।अटल जी ने भी कहा था कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और आज मैं कह रहा हूं कि तुम मुझे आयडिया दो, मैं तुम्हें अवसर दूंगा। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि तुम साढ़े तीन हाथ के हांड-मांस के पुतले नहीं हो। तुम ईश्वर के अंश हो, अमृत के पुत्र अनंत ईश्वर के भंडार हो, दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो तुम ना कर सको।

 

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तो इंदौर और मध्यप्रदेश में जो स्टार्टअप्स का ईकोसिस्टम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आपने तैयार किया है, तो आपको भरोसा भी है कि मध्यप्रदेश का इंदौर शहर का युवा इस चुनौती को भी स्वीकार कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महिला और दो पुरुष युवा उद्यमियों से बात की है, उन्हें भी भरोसा हो गया होगा कि इंदौर का नाम देश में स्टार्टअप के नक्शे पर गर्व करने का अवसर देगा, तो मध्यप्रदेश एक बार फिर इतिहास रचेगा। इंदौर और मध्यप्रदेश ने
सफलता के नए आयाम हासिल किए हैं और स्टार्टअप में भी टेक ऑफ के बाद सबसे ऊंची उड़ान भरने को तैयार है। तो अब स्टार्टअप में टेक ऑफ का टाइम है …और एक बार फिर इंदौर की तरफ निगाहें हैं, जो भरोसा दिला रही हैं कि हम जीतेंगे और गर्व से भरेंगे …।