कलेक्टर और CEO में खींचतान के पीछे क्या!
MP के कई जिलों में कलेक्टर और जिला पंचायत के CEO के बीच अकसर खींचतान की स्थिति बनी रहती है। विशेष कर उन जिलों में जहां दोनों अधिकारी IAS होते हैं, इसलिए कोई भी झुकना नहीं चाहता! ऐसे में कई बार ऐसा भी होता है, कि बात सीमा रेखा लांघकर बाहर आ जाती है। दोनों के बीच सामंजस्य के हालात न बनने का सबसे बड़ा कारण होता है केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का करोड़ों रूपया! कई बार ये रूपया CEO के अधिकार में होता है, तो कभी कलेक्टर के! लेकिन, हर स्थिति में कलेक्टर की सहमति जरुरी है। मामला लाखों-करोड़ों का होता है इसलिए कोई भी समझौते की पहल नहीं करता!
चूंकि दोनों अधिकारी IAS होते हैं और बैच की वरिष्ठता में दो-तीन साल का ही अंतर होता है तो कोई आगे बढ़कर सामंजस्य बनाने की पहल नहीं करता! हाल ही में एक आदिवासी जिले में महिला कलेक्टर और जिला पंचायत के CEO में इतनी ठन गई कि कमिश्नर को दखल देना पड़ा! जिले में दोनों अधिकारी डायरेक्ट IAS हैं।
कुछ माह पूर्व बड़वानी जिले में भी जहां कलेक्टर प्रमोटी थे और सीईओ डायरेक्ट आईएएस। दोनों के बीच भारी विवाद हुआ था। यहां तक की CEO ने कलेक्टर के खिलाफ शासन को लिखा भी था। क्योंकि वहां पर कलेक्टर पावरफुल थे इसलिए खामियांजा CEO को ही भुगतना पड़ा और उनका उसी वक्त तत्काल स्थानांतरण भी किया गया था। लेकिन केवल तबादला इस समस्या का इलाज नहीं प्रतीत हो रहा है। इसके लिए सरकार को कुछ और सोचना होगा और ऐसा सिस्टम डिवेलप करना होगा ताकि इस तरह के विवाद ही ना हो।। लगता है सरकार के पास इस समस्या का फिलहाल कोई इलाज दिखाई नहीं दे रहा है!
300 करोड़ के प्लॉट, भू-माफिया और कलेक्टर का तबादला
हाल ही में प्रदेश सरकार ने कलेक्टर एसपी के जो तबादले किए, उसके पीछे कोई न कोई कारण नजर आता है! खरगोन और सिवनी से अधिकारियों को हटाए जाने के पीछे वाजिब कारण थे! पर, रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का हटना समझ से परे है! उन्हें रतलाम से खरगोन भेजे जाने के पीछे आसान कारण तो ये समझ आता है, कि खरगोन कलेक्टर अनुग्रहा पी को वहां से हटाया गया तो कुमार पुरुषोत्तम को भेज दिया। क्योंकि, वे बरसों से मालवा-निमाड़ में रहे हैं और यहाँ के लोगों का मिजाज जानते हैं। लेकिन, सालभर में ही उन्हें रतलाम से हटाए जाने का सबसे बड़ा कारण था भूमाफिया का विरोध!
रतलाम के भूमाफिया काफी ताकतवर माने जाते हैं। वे किसी ऐसे अफसर को वहां नहीं रहते देते, जो उनके हितों के बीच में आए। माना जा रहा है कि कुमार पुरुषोत्तम ने इन भूमाफिया पर नकेल डालने की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें हटना पड़ा। रतलाम कलेक्टर ने पिछले दिनों शहर की सभी नई-पुरानी कॉलोनियों का सर्वे करवाकर ये जानकारी निकलवाई थी, कि उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग के लिए 15% प्लॉट छोड़े हैं या नहीं! जब जानकारी सामने आई, तो पता चला कि कई कालोनाइजर ने इस नियम का पालन नहीं किया! पुरानी कॉलोनियों में भी 15% प्लॉट नहीं छोड़े गए!
इसके बाद कार्रवाई होने की रूपरेखा बनी! क्योंकि, भूमाफिया ने इस आड़ में करीब 300 करोड़ के 800 प्लॉट की अफरा-तफरी की थी! कलेक्टर ने इन प्लांट्स को कमजोर वर्ग के लोगों को आवंटन के संबंध में कार्यवाही प्रारंभ कर दी थी। कोई और कलेक्टर होता तो शायद भू-माफिया से सांठ-गांठ कर लेता, पर कुमार पुरुषोत्तम इस तासीर के नहीं हैं! वे कार्रवाई पर अड़ गए और कुछ कॉलोनियों में बुलडोजर घूमे भी! जब भू-माफिया के सारे दांव फेल हो गए, तो उनके सामने एक ही विकल्प था कि कलेक्टर को ही हटवाया जाए और इसमें वे कामयाब रहे! आखिर 300 करोड़ रुपए की जमीन हाथ से निकलना भूमाफियाओं को कैसे सहन होता! लेकिन, इस सबसे अलग बात ये कि सालभर में कुमार पुरुषोत्तम जनता में इतने लोकप्रिय हो गए थे कि उनका तबादला निरस्त करने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चल पड़ी! रतलाम का आम आदमी कुमार पुरुषोत्तम के तबादले से खुश नहीं है। कुमार ने अपने कार्य प्रणाली से आम आदमी का विश्वास जीतने में सफलता हासिल की थी।
पिछड़ा वर्ग के आगे बढ़ते नेता की काबलियत!
नेताओं की काबलियत कब सामने आ जाए और कब वे पार्टी के बड़े नेताओं की आंख में चढ़ जाएं कहा नहीं जा सकता। हाल ही में मध्यप्रदेश के एक कांग्रेस नेता को अचानक कुछ अच्छे अवसर मिले और वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की पसंद में शामिल हो गए। ये नेता है अरुण यादव जिनका कद इस समय पार्टी में ऊंचाई पर है। उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों से सामंजस्य बनाने के साथ कांग्रेस पार्टी को भी अपनी राजनीतिक प्रतिभा से प्रभावित कर दिया।
उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी उन्हें पार्टी ने कृषि से सम्बन्धित एक समिति में जगह दी थी। बताते हैं कि इस शिविर में उन्होंने प्रेजेंटेशन भी अच्छा दिया। अरुण यादव को पार्टी के गंभीर नेताओं में गिना जाता है। वे न तो अनर्गल बयानबाजी करते हैं न कभी किसी विवाद का हिस्सा बनते हैं। पिछड़ा वर्ग से आने वाले इस नेता के भविष्य को यदि आज सबसे बेहतर कहा जाए तो आश्चर्य नहीं है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उम्र के उस दौर में है कि वे ज्यादा लंबी रेस नहीं लगा सकते। अजय सिंह अपना जनाधार खो चुके हैं। नकुल नाथ और जयवर्धन सिंह को अभी राजनीति का पका खिलाड़ी नहीं कहा जा सकता। ऐसे में कहा जा सकता है कि अरुण यादव का आने वाला समय चमकदार होगा।
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मंत्री की फटकार का असर
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री तथा भोपाल जिला प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने भोपाल में नगर निगम द्वारा निर्धारित शेड्यूल के अनुसार जल आपूर्ति बहाल नहीं करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। फटकार का ही असर था की राजधानी वासियों को अचानक रात 11बजे नलों की आवाज़ सुनाई देने लगी। लगातार चौथे दिन पानी नहीं आने से लोगों में आक्रोश था और अचानक देर रात बजे पानी मिल जाने से लोगों ने राहत की सांस ली।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा पुरानी कोलार पाइप लाइन के स्थान पर नई पाइप लाइन से जल आपूर्ति शुरू करने के लिये 12 से 14 मई तक भोपाल शहर के कुछ क्षेत्रों में जल आपूर्ति रोकी गई थी, लेकिन जल आपूर्ति 15 मई दोपहर तक शुरू नहीं हो सकी। इससे नागरिकों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
और अब खबरें दिल्ली से
चर्चा में है IAS की गिरफ्तारी और एक IPS अफसर की अकर्मण्यता
दिल्ली के सरकारी गलियारों में बीते हफ्ते एक IAS अधिकारी की गिरफ्तारी और एक IPS अधिकारी को अकर्मण्यता के आरोप मे हटाया जाना खास चर्चित रहे। गलियारों में इस बात को लेकर काफी चिंता थी अकर्मण्यता को आधार बना कर अब तो किसी भी अथिकारी को नाकारा साबित किया जा सकता है। मुकुल गोयल को इसी आरोप में उत्तर प्रदेश के DGP पद से हटा दिया गया था। IAS अधिकारी पूजा सिंघल की ED द्वारा की गयी गिरफ्तारी के बाद झारखंड सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है। इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई से सत्ता की गलियां सहमी हुई है।
गुत्थी शायद अनसुलझी ही रहै
झारखंड काडर की IAS अधिकारी पूजा सिघल की गिरफ्तारी के ठीक दो दिन पहले ED द्वारा झारखंड प्रभारी अधिकारी को अचानक बदल देने के पीछे के राज की गुत्थी शायद अनसुलझी ही रहै। पहले IPS अधिकारी सोनिया नारंग, अपर निदेशक, की जगत कपिल राज को बिहार – झारखंड का प्रभारी नियुक्त किया गया। आई आर एस-कस्टम सेवा के अधिकारी कपिल राज, संयुक्त निदेशक के रुप में वहां पदस्थ किए गए हैं।
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पोस्टिंग के इंतजार में आयकर सेवा के वरिष्ठ अधिकारी
आयकर सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी पिछले तीन महीने सै अपनी नियमित और नयी पोस्टिंग के इंतजार में प्रतीक्षा सूची में बैठे हैं। अनूप कुमार दूबे, ED मे विशेष निदेशक थे। कार्यकाल पूरा होने के बाद इस साल फरवरी में उन्होंने अपनी आमद आयकर मुख्यालय में दर्ज करा दी, लेकिन विभाग अभी तक उनके अनुरुप कोई पद नहीं ढूढ पाई।
NIA को इस महीने मिल सकता है नियमित निदेशक
विस्टा के गलियारों में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि NIA को इस महीने एक नियमित निदेशक मिल सकता है। सी आर पी एफ के डीजी कुलदीप सिंह पिछले एक साल से एन आई ए का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं। वे पश्चिम बंगाल काडर के IPS अधिकारी हैं ।
पहली बार IPS अधिकारी बन सकते हैं चुनाव आयुक्त
राजीव कुमार के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने के बाद निर्वाचन आयोग मे चुनाव आयुक्त का एक पद रविवार को खाली हो गया। हालांकि कई IAS अधिकारी कतार में लग गए हैं, लेकिन, अगर सूत्रों की बात पर भरोसा किया जाए तो एक रिटायर्ड IPS अधिकारी के चुनाव आयुक्त बनने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो यह पहली बार होगा कि कोई आई पी एस अधिकारी चुनाव आयुक्त बने।