Alien Contacted Chinese Scientists : चीनी वैज्ञानिकों ने एलियंस से संपर्क की बात क्यों छुपाई, जानिए क्या है असली वजह!

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Alien Contacted Chinese Scientists : चीनी वैज्ञानिकों ने एलियंस से संपर्क की बात क्यों छुपाई, जानिए क्या है असली वजह!

New Delhi : दुनिया कितनी भी तरक्की के दावे कर ले, पर कुछ सवालों के जवाब आज भी हमारे पास नहीं है। इस दुनिया के अलावा भी क्या कोई दुनिया है, इस बात का अभी तक सटीक जवाब किसी के पास नहीं है। मंगल ग्रह पर घर जैसी कुछ संरचनाएं भी हाल ही में वहां के चित्रों में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने देखी है। इस आधार पर अनुमान लगाया गया कि संभवतः ये उन अज्ञात मानव के ठिकाने होंगे, जिनकी कल्पना की जाती रही है। हाल ही में चीन के टेलिस्कोप में भी कुछ ऐसे संकेत दर्ज हुए, जिन्हें एलियन की तरफ से भेजा जाना समझा जा रहा है। लेकिन, अमेरिका और चीन दोनों ही अपने परीक्षणों के नतीजों को छुपाते रहे हैं।                                    IMG 20220617 WA0003
वैज्ञानिक अभी तक ये नहीं जान पाए हैं कि क्या एलियंस का कोई अस्तित्व है और क्या वाकई में एलियंस इस संसार में मौजूद हैं? वैज्ञानिक इस दिशा में काम भी कर रहे हैं, मगर अभी तक सफलता नहीं मिल पाई! हालांकि, एक सच यह भी है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक पृथ्‍वी या इसके बाहर एलियंस सभ्‍यता होने का अनुमान लगाते हैं और दिन-रात उनकी खोज में जुटे हैं। कई लोगों का मानना है कि अमेरिका को इसके बारे में जानकारी है, मगर सरकार ऐसी चीज़ों के बारे में बोलने से कतराती है। इन्हीं सबके बीच चीन ने एक अलग ही दावा किया है। दुनियाभर में यह खबर जोरों पर है कि चीन ने एक विदेशी सभ्‍यता के संकेत प्राप्‍त किए हैं। इस खबर के केंद्र में है चीन का ‘स्‍काई आई!’ यह 500 मीटर एपर्चर का गोलाकार रेडियो टेलीस्कोप ((FAST) है, जो दक्षिण-पश्चिम चीन के गुइझोऊ प्रांत में स्थित है।
जानकारी के मुताबिक, चीन की सरकार के समर्थन वाले ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली’ की एक रिपोर्ट में कई बातें कही गई हैं। रिपोर्ट में एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल सिव‍िलाइजेशन सर्च टीम के चीफ साइंटिस्‍ट झांग टोनजी का हवाला दिया गया है। इस टीम को बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज की नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा मिलकर बनाया गया। झांग टोनजी ने कहा है कि उनकी टीम ने साल 2020 में पहेलीनुमा संकेतों वाले सिग्‍नलों के 2 सेट देखे थे। इन सिग्‍नलों को साल 2019 में FAST टेलिस्‍कोप ने कैप्‍चर किया था। इसके अलावा, एक्‍सोप्‍लैनेट को टार्गेट कर जुटाए गए डेटा से भी इस साल एक सिग्‍नल मिला है. याद रहे कि ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, वो एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं।
कहा जाता है कि झांग ने यह संभावना भी जताई है कि ये सिग्नल रेडियो इंटरफेरेंस की वजह से भी हो सकते हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली’ ने अपनी इस रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा लिया है। Space.com के अनुसार, FAST टेलिस्‍कोप को लेकर उठी इन अफवाहों के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए एक्‍सपर्ट उन वैज्ञानिकों तक भी पहुंचे, जो बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के साथ काम करते हैं। इनमें कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान विभाग के डैन वर्थिमर भी शामिल हैं। उन्‍होंने इस बात को नकार दिया कि फास्‍ट के जरिए एलियंस ने सिग्‍नल भेजे हैं।
उन्‍होंने दावा किया कि इन सिग्‍नलों की वजह रेडियो इंटरफेरेंस हैं। यह सिग्‍नल दूसरी दुनिया से नहीं आए, बल्कि रेडियो प्रदूषण के कारण पृथ्‍वी से ही निकले हैं। इसे रेडियो फ्रीक्‍वेंसी इंटरफेरेंस भी कहा जाता है। इस तरह के सिग्‍नल फोन, टीवी ट्रांसमीटर, रडार या सैटेलाइट से आ सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि ऑब्‍जर्वेटी के पास मौजूद इले‍क्‍ट्रॉनिक्‍स और कंप्‍यूटर भी वीक रेडियो ट्रांसमिशन पैदा कर सकते हैं।
वर्थिमर ने कहा कि रिसर्चर्स द्वारा अब तक खोजे गए सभी सिग्‍नल हमारी अपनी सभ्यता से आए हैं, न कि एलियंस की तरफ से। उन्‍होंने कहा कि बढ़ते रेडियो प्रदूषण की वजह से यह सब हो रहा है। सैटेलाइट्स और ट्रांसमीटर्स के ज्‍यादा निर्माण से कुछ रेडियो बैंड रिसर्चर्स के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। वर्थिमर ने यह भी कहा कि इस तरह के कामों को पूरा करने के लिए हमें चंद्रमा के जितनी दूर जाना पड़ सकता है, क्‍योंकि वहां हम ऐसे रेडियो इंटरफेरेंस से बचे रहेंगे।