ठाकरे (Thackeray) का उद्धव छीन अधिपति हो गए एकनाथ

1232
ठाकरे का उद्धव छीन अधिपति हो गए एक नाथ

देखिए मौजूदा हालात में शिंदे एक नाथ है जो ठाकरे (Thackeray) का उद्धव छीनकर शिवसेना के अधिपति हो गए हैं। बीते दिनों की राजनैतिक कारगुजारियो पर नजर करें तो यह साफ जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में जो कुछ घटनाक्रम हुआ है वह अचानक उत्पन संकट नहीं है ।दरअसल उद्धव ठाकरे जो अकेले और अपने चाहने वालों के साथ मातोश्री से लेकर वर्षा तक में बीते ढाई साल से श्रीवर्षा का उत्सव मना रहे थे उसमें उनके साथ अपने ही लोग नहीं थे।

एकनाथ स्वयंभू विश्वनाथ , देवनाथ होते हैं उद्धव ठाकरे को शायद यह जानकारी नहीं थी कि उनके कुनबे में कोई ऐसा एक नाथ है जो स्वयं अधिपति हो जाने का माद्दा रखता है। एकनाथ शिंदे ने वह कर दिखाया जिसमें इनदिनों वे उस सेना के अधिपति नजर आ रहे हैं जिसकी पृष्ठभूमि में बाला साहेब ठाकरे ही एकनाथ सर्वाधिकार थे। अब समय बदल गया हैं। पूजा की पद्धति अब आस्था पर केंद्रित हो गई है लोग किसी की सेवा चाकरी पूजा पाठ, इबादत आदि इसलिए नहीं करते कि यह एक परंपरा है अब यह सांस्कृतिक उत्सव की तरह जो उद्धव का पर्याय है किया जाने लगा है।

"ऑपरेशन लोटस" में महाराष्ट्र के हालात जुदा हैं मध्यप्रदेश से ...

देखिए ठाकरे का उद्धव(उत्सव) इसलिए फीका पड़ गया कि स्वयं उद्धव ठाकरे ने अपनी आस्थाओं के केंद्र और नीतियों के परिचालक जिनसे मातोश्री का उत्सव था उन्हें ही दरकिनार करके हेय और तुच्छ बना दिया था ,नतीजा सामने है आस्था और विश्वास ढह चुका है,तिलिस्म जो बालासाहेब के रहते अब तक बना हुआ था उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते टूट गया है । एक पावरफुल बैटरीअचानक डाउन हो गई और जब शिवसेना में बगावत की वर्षा होने लगी तो तेज बहाव की आशंका से सुरक्षित मातोश्री की और निकल जाना दिखाता है कि संकट गंभीर और गहरा था।

ठाकरे का उद्धव छीन अधिपति हो गए एक नाथ

नतीजा हम देख रहे हैं, समूची शिवसेना का विधायक दल मानों गौहाटी कूच कर गया है, इतने अधिक विधायक टूटेंगे और उद्धव ठाकरे को चुनौती देंगे कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। समय कह रहा हैं और चेतावनी भी दे रहा हैं कि उत्सव हमेशा सामूहिक होते हैं और उसमें सबकी हिस्सेदारी सहभागिता बराबरी की होती है, लेकिन मातोश्री में आस्था रखने वाले शिव सैनिक वर्षा में घुसने ही नहीं दिए गए, यह दर्द नहीं एक घाव है जिसे ये लोग पौने तीन साल से झेल रहे थे उद्धव ठाकरे ने जो घाव हरा था उसे भरने का प्रयास ही नहीं किया । वे अपनी मस्ती में मस्त मादित रहे ।


Read More… Maharashtra Problem Solution : एकनाथ शिंदे को CM बनाने का शरद पवार का फार्मूला! 


जब आप अपने में खो जाते हैं तो अपनों को को देते हैं । चार लोगों की चाकरी से अपनी मस्ती और खुशहाली बनी रह सकती है लेकिन अपनो को खो देने से ताकत खत्म हो जाती है। उद्धव ठाकरे हमेशा संजय राउत को वफादार समझते रहे और महाराष्ट्र आघाड़ी के किरदारों को सर्वेसर्वा जबकि उनके पारंपरिक पहरेदार जिनसे उनकी ताकत थी वो सब गार्ड की तरह गेट के बाहर रहे। अजीब है, मुझे लगता हैं न उन्हें राजनीति आती है और न ही राज करना, वरना उनकी सूंघ शक्ति इतनी तो होती कि वे इतना तो भाप लेते की आखिर क्या चल रहा है। एकनाथ शिंदे वफादारों की पूरी फौज ले उड़े और घर में सयानों तक को पता नहीं चला। राजा की ऐसी मात भी होती है जब उसे पता ही नहीं चला कि वह चेक किए जा चुके हैं और मात अगली चाल का इंतजार कर रही है।


Read More… Maharashtra Political Crisis : ‘विधायकों को निलंबित करने की बात करके किसे डराने की कोशिश!’ 


उद्धव ऐसे ही हारे हुए खिलाड़ी है। हालांकि भबका फिर मार रहे हैं और कह रहे हैं संजय राउत हर स्थिति से निबट लेंगे सड़क पर भी और अंदर भी, साथ कानून भी। वाह, आप सबकी परास्त अदा देश चार छह दिन से देख रहा है, कितना निबट लिए यह बागी खेमे की बढ़ती विधायक संख्या जता रही है।उद्धव का उत्सव अब खत्म हो चुका है अब शिवसेना के राजकीय अधिपति एकनाथ शिंदे हैं और किसी तरह का समझौता भी होता है तब भी रहेंगे,इस पर अघाड़ी समुदाय के एनसीपी नेता कह चुके हैं और फॉर्मूला दे चुके हैं कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए, बजाइए एक जोरदार ढपली।

सुरेन्द्र के सूत्र
अंदाज अपना सुरेंद्र बंसल का पन्ना