मूक प्राणियों की सेवा में लगे बर्मन दंपति

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अशोक मनवानी की विशेष रिपोर्ट

भोपाल के बर्मन दंपति मूक प्राणियों विशेषकर सड़कों पर भूखे प्यासे घूम रहे कुत्तों की सेवा में गत 30 – 40 बरस से लगे हैं।दोनों ने वन विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद इस सेवा कार्य को ही जीवन का मिशन बना लिया है।
आप नेहरू नगर के निवासी हैं। ऐसे पशुओं जिनके कोई मालिक नहीं, इन्होंने अपने घर के एक बड़े हॉल में न सिर्फ पनाह दी है बल्कि उनके खाने-पीने पर वेतन और पेंशन की राशि खर्च करते हैं।
कई बार कॉलोनी के निवासियों का विरोध भी इन्हें सहना होता है।                                                                                  IMG 20220626 WA0026
इनका कहना है कि स्वच्छता अभियान अपनी जगह सही है लेकिन गलियों में घूम रहे पशुओं को खाना आखिर कौन खिलाएगा? डॉग एक कम्युनिटी एनिमल है। यह जंगल में नहीं रह सकता।लेकिन इनकी संख्या सीमित करने का कार्य जिनके जिम्मे हैं वह इस कार्य को भलीभांति करें, बजट का दुरुपयोग ना हो तो आवारा कुत्तों की संख्या नहीं बढ़ेगी। पशु और मानव का पुराना संघर्ष रहा है लेकिन प्रेम और सहानुभूति का रिश्ता इससे ऊपर है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इन पशुओं का प्रबंधन मनुष्य और उसकी एजेंसियों के हाथ में है। भोपाल में वैसे अनेक डॉग लवर्स हैं लेकिन ऐसे दंपति कोई अन्य नहीं होंगे जो शहर के विभिन्न स्थानों पर ही खाना ले जाकर कुत्तों को देते हों।ये कुत्तों को दूध चावल, दूध रोटी टोस्ट आदि खिलाते हैं। बर्मन दंपति सतपुड़ा, विंध्याचल भवन ,तुलसी नगर शिवाजी नगर ,न्यू मार्केट क्षेत्र में यह सेवा कई वर्षों से कर रहे हैं।अपनी आय का बड़ा हिस्सा पशुओं की सेवा पर व्यय करते हैं। शनिवार की देर रात्रि एक बजे जवाहर बाल भवन के पास इनकी सेवा देखने का मुझे अवसर मिला जब बेटे को छोड़कर रेलवे स्टेशन से लौट रहा था। इनका कहना है कि कुत्तों के लिए जो शेल्टर हाउस बनाए जाने थे वह कार्य पूरा किया जाए। उनके टीकाकरण और स्वास्थ्य के लिए संबंधित अमला सक्रिय होना चाहिए। बर्मन दंपति का कहना है कि मनुष्य ,सिर्फ मनुष्य के प्रति संवेदनशील है तो वह प्राणियों के प्रति क्यों नहीं हो सकता। हमारे थोड़े से स्नेह और देखभाल से इन पशुओं की उग्रता में कमी आएगी और वे हिल मिलकर रहने के आदी हो जाएंगे। वैसे अनेक घरों की सुरक्षा और मनुष्य के प्रति वफादार रहने के कार्य में इनका कोई मुकाबला नहीं यह स्थापित तथ्य है।