Cost of One Vote : ये होती है एक वोट की कीमत, इसे जानिए!

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नगरीय-पंचायत चुनावों में एक बार फिर पंद्रह साल बनाम पंद्रह माह ...

Bhopal : यदि आप यह सोचकर वोट डालने नहीं जाते कि मेरे एक वोट से क्या होगा, तो ये जानकारी उनके लिए ही है। नगर निकाय चुनाव में कई उम्मीदवारों की हार-जीत महज एक वोट से हुई!

कुछ लोग एक वोट से पार्षद बने, तो कुछ उम्मीदवारों को एक वोट ने ही हरा दिया। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में भाजपा के 6, कांग्रेस के 3 और एक निर्दलीय उम्मीदवार सिर्फ एक वोट से जीते थे।

देवास की कांटाफोड़ नगर परिषद में कांग्रेस के 8 पार्षद प्रत्याशी जीते। यहां वार्ड क्रमांक 7 की प्रत्याशी आशाबाई को भाजपा की रमाबाई ने एक वोट से हराया।

रमा की जीत के साथ भाजपा के पार्षदों की संख्या 6 हो गई, जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी जीता।

यदि रमाबाई की जगह आशाबाई को वो एक वोट मिलता, तो परिषद में कांग्रेस को बहुमत (8 पार्षद) से एक पार्षद ज्यादा मिल जाता। सत्ता उसके हाथ में आ जाती।

सतना नगर निगम में भाजपा उम्मीदवार भाग्यशाली रहे। यहां भी जीत-हार एक वोट के अंतर से हुई है। वहीं, नोटा को 20 वोट मिले। वार्ड क्रमांक 15 भाजपा उम्मीदवार ममता को 1076 और कांग्रेस की सरला को 1075 वोट मिले। बदनावर नगर परिषद् में भी कांग्रेस का उम्मीदवार महिपाल एक वोट से जीता।

नोटा के कारण बिगड़ा खेल

मऊगंज के वार्ड क्रमांक 10 से कांग्रेस प्रत्याशी रेशमा खान को 381 वोट मिले और वह एक वोट से हार गईं। भाजपा की बतलून्निशा 382 वोट लेकर पार्षद बन गईं, यहां नोटा में 3 वोट गए। ये वोट कांग्रेस को मिलते तो रेशमा जीत जाती।

इंदौर की सांवेर परिषद में वार्ड क्रमांक 11 में निर्दलीय और छिंदवाड़ा के वार्ड क्रमांक 1 में 4-4 वोट नोटा को गए। दोनों वार्डों में जीत-हार महज एक वोट से हुई है।

इन आंकड़ों को देखने से पता चल रहा है कि उम्मीदवार एक वोट से चुनाव हार गए, वहीं नोटा ने इन जगहों पर दो से लेकर 20 वोट तक हासिल किए हैं।