Agriculture Students Movement : कृषि कॉलेज की जमीन बचाने के लिए छात्रों ने कलेक्ट्रेट घेरा  

कॉलेज की 124 हेक्टेयर जमीन का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में उपयोग होगा

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Agriculture Students Movement : कृषि कॉलेज की जमीन बचाने के लिए छात्रों ने कलेक्ट्रेट घेरा

Indore : कृषि कॉलेज के छात्रों ने आज जमीन लिए जाने के विरोध में कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया। दोपहर एक बजे के बाद कई छात्र कलेक्ट्रेट के गेट पर जमा हो गए और नारेबाजी की। वे स्मार्ट सिटी के लिए कृषि महाविद्यालय की जमीन लिए जाने का विरोध कर रहे हैं। वे सिर्फ कलेक्टर से बात करना चाहते हैं। कलेक्टर ने पवन जैन को भेजा तो छात्रों ने उनसे बात करने से इंकार कर दिया।

प्रशासन और सरकार के विरोध में छात्रों का आंदोलन लम्बे समय से चल रहा है। पिछले दिनों छात्रों ने कावड़ यात्रा निकालकर भी अपना विरोध जताया था। महाविद्यालय की जमीन बचाने के लिए चल रहे आंदोलन को समर्थन देने के लिए विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारी पहुंच रहे हैं। इंदौर को स्मार्ट शहर बनाने के लिए प्रदेश सरकार और इंदौर प्रशासन ने कृषि कॉलेज की कई 124 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करने की योजना बनाई है। ऐसी स्थिति में कॉलेज को शहर से 30 KM दूर स्थानांतरित करने की योजना है।

सरकार और प्रशासन ने शहर के शासकीय कृषि कॉलेज से अपनी योजना की कवायद शुरू की। इसके परिणाम स्वरूप शासकीय कृषि कॉलेज के सैकड़ों विद्यार्थी पिछले कई दिनों से विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने कृषि कॉलेज से लेकर कैंडल मार्च निकालकर इंदौर का दिल कहे जाने वाले रीगल चौराहे पर पहुंचकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज करवाया था। आज उन्होंने कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया।

एक प्रदर्शनकारी छात्र ने बताया कि सरकार की नीतियों के खिलाफ पिछले एक माह से अधिक समय से विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। क्योंकि, सरकार कॉलेज की कृषि भूमि का अधिग्रहण कर इसे निजी लोगों के हाथों में सौंपने जा रही है! ताकि, कॉलेज की 124 हेक्टेयर जमीन में से कृषि भूमि का अधिग्रहण कर बड़े-बड़े मॉल बनाए जा सकें और भू -माफियाओं द्वारा कॉलोनियों का निर्माण कर उन्हें फायदा पहुंचाया जाए।

 

प्रदर्शन उग्र किया जाएगा

छात्रों ने कहा कि इस जमीन पर कृषि कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा फसलों पर शोध किया जाता है। हम हमारे देश के किसानों को फसलों के बारे में सही-सही जानकारी देने के लिए ये शोध कार्य कर रहे हैं, जिससे वे देश के विकास के लिए खेती कर अच्छी फसलों का उत्पादन करें। सरकार छात्रों से उनका हक छीनकर देश के अन्नदाता को ये लोग नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं। इसका हम विरोध कर रहे हैं। सरकार ने यदि हमारी मांगें नहीं मानीं और हमारे शासकीय कृषि महाविद्यालय की कृषि भूमि के अधिग्रहण का फैसला वापस नहीं लिया, तो हम आगे उग्र प्रदर्शन करेंगे।

 

कृषि वैज्ञानिक भी इस फैसले से चिंतित

कॉलेज से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों में भी सरकार के इस कदम से चिंता है। कॉलेज परिसर की जमीन पर विभिन्न अनुसंधान कार्य चल रहे हैं। इसमें अधिकांश अनुसंधान परियोजनाएं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से चल रही हैं। ऐसे में महाविद्यालय से जुड़े पूर्व छात्रों के संगठन ‘एग्री अंकुरण’ ने इस जमीन को बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया है। आंदोलनकारी पूर्व छात्रों का भी कहना है कि वर्षों से चल रहे इस संस्थान की जमीन को बेचकर राज्य सरकार किसानों और उनके बच्चों के साथ भी अन्याय कर रही है। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए हमें नित नए कृषि अनुसंधानों की जरूरत है। लेकिन, वही सरकार अनुसंधान संस्थानों को खत्म करके क्या दर्शाना चाहती है! हम महाविद्यालय की जमीन का व्यावसायिक उपयोग कभी नहीं होने देंगे।