Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: कारम डैम-बड़ा सवाल: आखिर ये संकट खड़ा ही क्यों हुआ !

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कारम डैम-बड़ा सवाल: आखिर ये संकट खड़ा ही क्यों हुआ !

प्रदेश में करीब 3 साल पहले करीब 3 हजार करोड़ का ई-टेंडर घोटाला पकड़ा गया था। अब राज खुला कि उसमें दूसरे प्रोजेक्ट के साथ धार जिले का कारम डैम भी था। उस बहुचर्चित ई-टेंडर महाघोटाले को लेकर ED ने 18 जगह छापे मारकर कई चेहरों को बेनकाब किया था। इसमें राजनीति और नौकरशाही की लिप्तता सामने आई थी। ED ने ई-टेंडरिंग घोटाले में एक कंपनी के 93 करोड़ की रिश्वत बांटने का भी भंडाफोड़ किया था।

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ED की उस जांच रिपोर्ट पर चर्चा में विभागीय मंत्री तुलसी सिलावट ने विधानसभा में स्वीकार किया था कारम प्रोजेक्ट मामला भी EOW भोपाल में पंजीबद्ध है। लेकिन, उसके बाद इस घोटाले में कहां और कैसे लीपापोती हो गई, कोई समझ नहीं पाया। सारी जांच रिपोर्ट गायब कर दी गई। यदि उस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई होती, तो आज कारम बांध संकट खड़ा नहीं होता! क्योंकि, जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई न होने से ब्लैक लिस्टेड कंपनी को कारम डैम का काम मिल गया और बांध लीकेज हो गया।

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आज सरकार कारम डैम से पानी निकल जाने पर अपनी पीठ भले थपथपा रही हो, पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये संकट खड़ा ही क्यों हुआ! 304 करोड़ पानी में बह गए, इसका जिम्मेदार कौन है! समय रहते पानी बहाकर जन-धन की हानि होने से तो बचा ली गई, पर इस सारे घटनाक्रम के पीछे आखिर सबसे बड़ा दोषी कौन है! यदि सरकार के हाथ उसके गिरेबान तक नहीं पहुंचे तो ऐसे बांध फिर फूटते रहेंगे और सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी होती रहेगी।

कारम डैम संकट हल: ब्यूरोक्रेसी और पॉलिटिक्स के समन्वय का बेहतरीन उदाहरण

धार जिले का कारम डैम संकट जिस तरह हल किया गया, वो राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के समन्वय का बेहतरीन उदाहरण के रूप में याद रखा जाएगा। भोपाल, इंदौर, धार और खरगोन के अधिकारियों और सरकार के मंत्रियों ने जिस तरह समन्वय, सजगता और तकनीकी विशेषज्ञता की मदद से इस मुसीबत को हल किया उसकी तारीफ की जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जिस तरह घटनाक्रम पर लगातार नजर रखी, स्वयं तीन दिन तक भोपाल मंत्रालय के कंट्रोल रूम में बैठकर पल पल की खबर ली,निर्देश दिए, वह भी अपने आप में उल्लेखनीय है।

 

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जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और धार जिले के ही मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने भी लगातार 4 दिन तक बांध स्थल पर रहकर अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह निर्वहन किया। राजनीति में ऐसे उदाहरण बिरले ही देखने को मिलते है। ACS होम राजेश राजौरा की भूमिका को भी लोग सराह रहे हैं, जिन्होंने जहां भोपाल से घटनास्थल की, हर पल की जानकारी मीडिया को दी और सरकार की कार्यवाही से अवगत कराया। इससे लोगों में यह विश्वास पैदा हुआ कि संकट को हल कर लिया जाएगा, स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है।

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इंदौर कमिश्नर, इंदौर आईजी ने भी अपने समन्वय से स्थिति को नियंत्रण में रखा और कलेक्टर धार, कलेक्टर खरगोन, एसपी धार, एसपी खरगोन के साथ खड़े रहे। इसके अलावा सभी रेवेन्यू के अधिकारी इस काम को अपनी जिम्मेदारी समझकर करते रहे और उसी का नतीजा है कि 15 MCM पानी को समय रहते निकाला जा सका। बड़े हादसे को होने से पहले ही टाल दिया गया। लेकिन, अफ़सोस की बात यह रही कि धार जिले के प्रभारी मंत्री प्रभुराम चौधरी तीन दिन बाद बांध स्थल पर दिखाई दिए। शायद इसलिए कि उन्हें 15 अगस्त पर झंडा फहराने धार आना ही था।

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IG राकेश गुप्ता ने भी पुलिस टीम को पूरी तरह लगाए रखा, ताकि गांव में लोगों को समझाकर वहां से हटाया जा सके। सबसे ज्यादा तारीफ जेसीबी और पोकलेन पर काम कर रहे वर्कर्स की हुई जिन्होंने इस पूरे मामले को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसी का नतीजा है कि धार में होने वाले स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में उनका सम्मान किया जा रहा है।

इस समूचे कार्य में भगवान ने जो मदद की है उसे हमेशा याद रखा जाएगा क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच अगर बरसात हो जाती तो यह सारी कार्यवाही में जो कठिनाइयां आती उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।

कमलनाथ भी आएंगे, पर देर से!

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कारम डैम का पूरा पानी निकलने के बाद अब मंगलवार को सुबह 9:45 बजे कारम डेम साइट पर पहुंचेंगे। वे क्षतिग्रस्त बांध के अवलोकन के बाद प्रभावित गांव के लोगों से भी मिलेंगे। जब सारा काफिला उजड़ गया उसके बाद कमलनाथ को वहां क्या मिलेगा, ये वही ज्यादा जानते होंगे।

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पर, उन्होंने तत्परता से 8 सदस्यों की एक समिति जरूर बना दी थी। शायद उसी की रिपोर्ट के बाद कमलनाथ बांध स्थल पर जाएंगे। किंतु, सबसे बड़ा काम तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने किया। वे रविवार को ही घटना स्थल पर आए और सरकार की धज्जियां उड़ा गए। अब देखना है कि विधानसभा में ये मामला क्या रंग लाता है।

बच्चों के कंधे भी स्वतंत्रता पर्व पर स्वतंत्र

शहडोल संभाग के बच्चों के लिए यह स्वतंत्रता दिवस नई ख़ुशी लेकर आया। यहाँ के स्कूली बच्चों के बस्ते अब हल्के हो गए। पिछले दस-बारह दिनों में संभाग के सैकड़ों स्कूलों के शिक्षकों औऱ प्राचार्यों ने बच्चों के बस्तों को तौला! शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा के निर्देश पर सीईओ, जिला पंचायत और संभाग के कलेक्टरों ने निगरानी में यह कार्रवाई की गई।

संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा

शिक्षा विभाग के अधिकारियों, संभागीय संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारियों, डीपीसी और बीईओ सभी इस काम में जुटे। सभी का लक्ष्य था कि 15 अगस्त से पहले बच्चों को बस्ते के व्यर्थ बोझ से मुक्त करना। रिकॉर्ड 12 दिन में टीम वर्क ने शहडोल को प्रदेश का पहला संभाग बना दिया, जहाँ राष्ट्रीय स्कूल बैग पॉलिसी का पालन शुरू हो गया।
राजीव शर्मा यही काम पहले शाजापुर में भी कर चुके हैं जब वे वहां कलेक्टर थे।

प्रदेश में फिर एक नई पार्टी की आहट!

मध्य प्रदेश में बरसों से दो-दलीय राजनीतिक व्यवस्था रही है। यहां कोई तीसरी पार्टी अपनी जमीन नहीं बना सकी। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कई बार कोशिश की, पर हुआ कुछ नहीं। इसके अलावा पिछले चुनाव में सपाक्स का भी बड़ा हल्ला था। लेकिन, पूरा चुनाव दो पार्टियों में ही सिमटकर रह गया। इस बार फिर एक नई पार्टी का उदय होने के संकेत हैं।

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IAS वरद मूर्ति मिश्रा ने 26 साल की नौकरी के बाद इस्तीफा दे दिया और अब वे अगले चुनाव में अपनी पार्टी को उतारने की तैयारी कर रहे हैं। अभी उनकी पार्टी का नाम और झंडा तो तय नहीं हुआ, पर उनकी तैयारी सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है। अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जिस तरह सरकार को कटघरे में खड़ा किया, उससे लग रहा है कि वे सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस चुके हैं। अब देखना है कि चुनाव से पहले वे दो बड़ी पार्टियों के सामने कैसे अपनी जगह बनाते हैं।

सरकार में कुछ बड़े फेरबदल की संभावना

स्वतंत्रता दिवस के बाद देश की सरकार में कुछ बड़े फेरबदल की संभावना है। लगभग आधा दर्जन राज्यपालों की नियुक्ति की जा सकती है। एक दर्जन सचिवों की नियुक्ति भी हो सकती है। गलियारों में चल रही चर्चाओं पर अगर विश्वास किया जाय तो प्रधानमंत्री इस महीने के अंत में मंत्रिमंडल का भी विस्तार कर सकते है।

भारत तिब्बत सीमा बल को मिलेगा नया मुखिया

केंद्रीय बल भारत तिब्बत सीमा बल को इस महीने के अंत तक नया मुखिया मिल सकता है। फिलहाल मध्य प्रदेश काडर के आईपीएस एस एल थाउसन इस बल के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं। वे सशस्त्र सीमा बल के डी जी हैं।

संयुक्त सचिवों की नियुक्ति: अन्य सेवाओं के अधिकारियों को प्राथमिकता मिली

केंद्र सरकार में संयुक्त सचिवों की नियुक्ति मै इस बार अन्य सेवाओं के अधिकारियों को प्राथमिकता मिली है। शनिवार को जारी डी ओ पी टी के आदेश के अनुसार जिन 16 अधिकारियों को संयुक्त सचिव बनाया गया है उनमें केवल दो ही आईएएस अधिकारी है। इनमे से मनोज कुमार द्विवेदी यूटी काडर के 1997 बैच के तथा डोडडा वेंकट स्वामी 2001 बैच के उडीसा काडर के आईएएस अधिकारी है।

आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में डूबी देश की राजधानी

देश की राजधानी दिल्ली पिछले कुछ दिनों से आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में डूबी हुई है। राष्ट्रपति भवन, नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक के अलावा लुटियन क्षेत्र में स्थित प्रत्येक सरकारी भवन रोशनी से जगमगा रहे हैं।

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कई भवनों पर तो तिरंगे की रोशनी की गई है। हर घर तिरंगा अभियान के तहत कई विभाग राष्ट्रीय झंडे का वितरण भी कर रहे हैं।

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Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।