साँच कहै ता!बाबाओं के मकड़जाल में जब मंत्री-संत्री जा फँसते हैं तो आम आदमी की बिसात ही क्या.!

1166
हाल ही एक घटना के बारे में पढ़ा और देखा भी कि दरोगा जी एक बाबा के दरबार में जाकर कातिलों का सुराग पूछते हैं। टीवी लाइव वाले भरे दरबार में बाबा आरोपी का क्लू देते हैं। दरोगा जी उसी के आधार पर मृतका के चाचा को अंदर कर देते हैं। न फोरंसिक जाँच और न कोई अपराध प्रक्रिया संहिता। बाबा ने जो कहा तो सच ही होगा।
इसमें भला बेचारे दरोगा की क्या गलती । बाबा सच्चा न होता तो क्या दरोगाजी के विभागीय  मंत्री उसके दरबार में जाकर पाटापसार (सष्टांग) जाकर गिरते। मंत्री जी जितने बार अपने क्षेत्र नहीं जाते उसके कई-कई गुना बार अदल-बदल के बाबाओं के दरबार में हाजिरी देते है। कभी इस बाबा के तो कभी उस बाबा के। और अब तो बाबाओं के बीच लायजनिंग में इतने माहिर हो गए कि उनके झगड़े सुलझवाने लगे। आर्बिट्रेटर हो गए।
मंत्री जी उस बाबा से भी एक कदम आगे बढ़ गए जो बड़े औद्योगिक परिवारों के बीच मनमुटाव दूर करवाने के लिए जाने जाते थे। लेकिन कमाल यह हुआ कि एक दिन बाबाजी के परिवार में ही इतना मनमुटाव हुआ कि उन्होंने  पिस्तौल से अपनी ही खोपड़ी उड़ाकर जान दे दी। वशिष्ठ-विश्वामित्र-शंकराचार्य ब्रहदंड रखते थे और आज के ये बाबा लोग कमर में पिस्टल खोंसकर चलते हैं। उभरते बाबा लोग कट्टा-छूरा बाँधकर चलतें हैं। बहरहाल इन बाबा जी महाराज के आत्मघात कांड की जाँच के बाद पता चला कि घर में पति-पत्नी और वो का चक्कर चल रहा था। ये बाबा जी भी बड़ों-बड़ों का भविष्य बाँचने के लिए जाने जाते थे पर अपना भविष्य नहीं बाँच पाए..अफसोस।
पिछले महीनों मेरे अपने शहर में भी एक बाबा खूब चर्चाओं में रहा। पहले तो मंत्री, स्पीकर, विधायकों को आशीर्वाद देती हुई तस्वीरें खूब चलीं। फिर वह पुलिस अफसरों के बंगले उन्हें आशीर्वाद देने व भविष्य बाँचने पहुँचने लगा। सरकार उसकी वह सरकार का लिहाजा सर्किट हाउस में डेरा जमा। चेला लोग एक गरीब छात्रा का भविष्य बाँचने उसके पास ले आए। बाबा ने रेस्टहाउस के बिस्तरे में ही ऐसा बेरहमी से भविष्य बाँचा कि उसकी गूँज से शहर सिसक पड़ा। जिन पुलिस वालों का वह भविष्य बाँच चुका था वही अब हथकड़ी लिए उसे ढूँढ़ रहे थे। ये बाबा फिलहाल जेल में है।
मेरे एक मित्र हैं ज्योतिषशास्त्र के पंडित। ज्योतिष की पंडिताई कालेज में पढ़ी, पीएचडी की और वहीं कालेज में पढ़ाने लगे। इसे धंधा नहीं बनाया। मैंने सुझाया..प्रभू कालेज छोड़ो धंधे पर निकलो, देखो सड़कछापों का महीने का टर्नओवर लाखों, करोड़ों  में है।
कई तो सड़कों से उठकर सीधे टीवी स्टूडियो पहुंच गए। वे रोज देश का भविष्य बाँचते हैं। आप तो ज्योतिष के डाक्टर हो, ज्यादा हाथ मार सकते हो, ऊपर तक पहुंच बना सकते हो।
मित्र बोले- ज्योतिष को पढ़ा है न इसलिए ज्योतिषी नहीं बन सकता। आपको मालूम है वेद, पुराण व स्मृति ग्रंथों में ज्योतिष और पौरोहित्य को निषिद्ध और पापकर्म माना गया है। उन्होंने कई ग्रंथों का संदर्भ दिया।
वे वशिष्ठ की कथा सुनाने लगे तो मैंने रोकते हुए कहा ..बोर मत करो ये बताओ कि बाबा, ज्योतिषियों के चक्कर में लोग फँस क्योंं जाते हैं? दुनिया देखती है कि एक लुट रहा है, दूसरा लूट रहा है। व्यभिचार के किस्से निकलकर आते रहते हैं। बाबा लोग रेप में सजा काट रहे हैं फिर भी भगत हैं कि भागे चले आते हैं और इनके चक्कर में वैसेइ फँसते हैं जैसे फ्लाईकैचर में पतंगा।
 ज्योतिष के प्रोफेसर मित्र बोले-प्यारे.. इस देश में जब तक एक मूर्ख भी जिंदा रहेगा ये बाबा लोग भूखे नहीं मर सकते। यहां तो मूर्खों की जमातें हैं जिन्हें कभी मुंहनोचवा दिख जाता है तो कभी चोंटीकटवा। कभी भागे भागे गणेशजी को दूध पिलाने लगते हैंं।
फिर उन्होंने खुद से जुडा़ एक सच्चा किस्सा सुनाया। बोलेे…. मैं जिस शहर के कालेज में पढ़ाता था उसी शहर में पदस्थ एक इंजीनियर से दोस्ती हो गई। वह मेरा पड़ोसी भी था, धार्मिक इतना कि दफ्तर निकलने का भी मुहूर्त किसी पंडित से पूछता।
उसके बंगले का एक कमरा देवी देवताओं की मूर्तियों से भरा। एक पंडित सिर्फ़ पूजा के लिए। शहर भर में जितने मंदिर सभी के पुजारियों का इंजीनियर से महीना बँधा था। सब उसके लिए जाप करते। कहीं शनि के लिये जाप हो रहा, तो कहीं राहु-केतु के लिए।
 इंजीनियर इतना बिजी कि अपने हिस्से का पूजापाठ भी ठेके में करवाता। पंडितों की मंडली के बीच इंजीनियर परम-धरमातमा।
मैंने रहस्य का पता लगाया तो वह प्रदेश के भ्रष्टतम अफसरों में से एक निकला। कमीशन का पैसा पहले भगवान् को अर्पित करता है फिर उसे ठिकाने लगाता है।
कमीशन के रुपए में से पंद्रह प्रतिशत देवीदेवताओं पर खर्च करता । इसे ऐसे समझें- माना कि अफसर ने ऊपर लेने देने के बाद एक करोड़ प्रतिमाह बचाए..उसमें से पद्रह लाख धरम खाते में डाल दिए।
 इसी पंद्रह लाख से राहुकेतु, शनि आदि ग्रहों को साध लिया। शहर भर के धर्मशास्त्री सब उसके मुरीद। ये सब मिलकर उस अफसर का ऐसा औरा खींचते कि  शहर का सबसे बडा दानी धर्मात्मा यही।
यही छवि उसे नेताओं के प्रकोप से भी बचाती। ज्यादातर यही पंडे लोग चूंकि शहर के नेता के भी भविष्य वाचक, व ग्रह नक्षत्र सुधारक थे इसलिए ये संबंध सेतु की भी भूमिका निभाते।
मित्र बोलते जा रहे थे- जैसा कि अक्सर होता था, शहर आने वाले हर धर्मधुरंधर बाबा,और ज्योतिषी इंन्जीनियर के बंगले ही पधारते।
 इत्तेफाक से एक मौके पर मैं भी पहुंच गया। बाबाजी अफसर को ग्यान दे रहे थे, बता रहे थे कि कुछ ग्रहों की विघ्नबाधा शांत हो जाए तो रिटायर होते ही आपके सांसद बनने का योग बनता है।
अफसर ने बाबा से मेरा परिचय कराया। बाबा को मेरे ज्योतिष ग्यान के बारे में बताया। खुश होने की बजाय बाबा के चेहरे की रंगत बदली। अफसर किसी काम से अंदर गया। इस बीच बाबा की हथेली की रेखाएं मैंने देखीं। बाबा ने मेरे ज्योतिषीय ग्यान की थाह लेनी शुरू की…इतने में अफसर आ गया।
मैंने बाबा के कान में कहा तुम्हारी रेखाएं बताती हैं कि तुम अव्वल दर्जे के व्यभिचारी हो, एक नाबालिग का रेप कर चुके हो, वेश बदलकर फिर रहे हो…बचपन में चोरी के जुर्म में जेल जा चुके हो…गलत हो तो बोलो..। फिर सामान्य बातें होने लगीं.।
शाम को घर में ही था कि बाबा मुझे पूछते हुए आ धमका। आते ही पाँव पकड़ लिए..फिर बोला आप ने जो कुछ भी विचार करके बताया वह सोलह आने सच..आप तो मेरे साथ हरिद्वार चलिए छोड़िए प्रोफेसरी..।
खैर मित्र बोले ..सुनो प्यारेलाल उस बाबा की न मैंने हस्तरेखाएं देखी, न कुंडली, न ही कोई ज्योतिषीय विचार किया..। सूरत, शकल, मनोभाव देख के कह दिया। क्योंकि मुझे मालूम है कि पंचानवे प्रतिशत बाबा ऐसे ही होते हैं।
आप खुद पर विश्वास करो तो बाबाओं से बड़े ज्योतिषी हो, उनके अतीत और वर्तमान की ऐसे ही सटीक भविष्यवाणी कर सकते हो। इन बाबाओं का धंधा कौन चलाता है ..या तो भ्रष्टलोग, अपराधी जिन्हें दूसरे जन्म में पाप भोगने का भय है या फिर वे लोग जिनमें आत्मबल नहीं, पौरुष नहीं जो सिर्फ़ भाग्य के भरोसे दिन फिरने का इंतजार करते हैं।
 कर्मठ आदमी को बाबा लोग नहीं ठग सकते। धर्मनिष्ठ व्यक्ति को भी ये बाबा लोग मूर्ख नहीं बना सकते। लेकिन मुश्किल ये है कि कर्मठ और धर्मनिष्ठ बनाने वाली पाठशालाएं बंद हो चुकी हैं।
मीडिया अंधविश्वास .प्रेतकथाएं परोसता है, और जनप्रतिनिधि अफवाहों के फेर में फँसकर गणेश जी को दूध पिलाने लगते हैं। कुरते की बटन खोलकर देखिए गला गंडे तावीजों से लिपटा मिलेगा।
 रूढियों,अंधविश्वासों के खिलाफ बात करने वालों पर हमले होते हैं। हमले करने वाले ऐसे ही नेताओं की पनाह व बाबाओं के आश्रमों में पलते हैं।कई बाबा लोग रेप,मर्डर, फ्राडगीरी के जुर्म में जेल में हैं। सालभर में दोचार नामीगिरामी जाते रहते हैं।
कल फिर कोई बाबा जेल जाएगा। उसके कुकर्मों से सबक लेने की बजाय उसके चेले तोडफ़ोड़ आगजनी करेंगे, परसों एक नया बाबा फिर प्रकट होकर चमत्कार करने लगेगा, इसकी भी पोल खुलेगी, यह भी जेल जाएगा। हम फिर किसी नए बाबा के चरणों में लोट जाएंगे। ज्योतिषी मित्र बोले..इन कापुरुषों को तो भगवान् भी नहीं बचा सकता