ग्रामीणों ने लिखी नई इबारत: शासन-प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान तो खुद ही बना डाला बांस का पुल

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छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर: कहते है जहाँ चाह होती है वहां राह होती है, और विषम परिस्थितियों में भी लोग रास्ता निकाल लेते हैं। ताजा मामला ग्रामीणों की सूझ-बूझ और कड़ी मेहनत से जुड़ा है जिसे देख सभी तारीफ कर रहे हैं।

छतरपुर जिले के एक गांव मे पिछले 15 सालों से शासन प्रशासन मनुहार कर थक चुके ग्रामीणो ने आख़िरकार खुद अपना रास्ता बनाने की ठान ली और पानी से भरा नाला पार करने के लिए कई दिन की मेहनत से मिलकर बना डाला लकड़ी का पुल।

तस्वीरें छतरपुर जिले के राजनगर तहसील अंतर्गत सांदनी ग्राम पंचायत में गुड़ पारा गांव की है जहाँ गांव से पारवा हाई स्कूल व अन्य जगह जाने के लिए लोगों को एक नाला पार करना पड़ता था। बारिश के मौसम में नाला भर जाने के कारण स्कूली बच्चों को पारवा हाई स्कूल तक जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

वहीं बारिश अधिक होने से बच्चे स्कूल भी नही जा पाते थे। ग्रामीण भी अपने कृषि कार्यो व अन्य कार्यों के लिए नाला पार करने में खासी जद्दोजहद करते थेे।

गांव में आठवीं तक की स्कूल है और पारवा हाई स्कूल की दूरी गांव से लगभग 4 किलोमीटर है वहीं अगर इस नाले को पार ना करें तो दूसरी तरफ से घूम कर जाने मे हाई स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को लगभग 12 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था और बच्चों के लिए ये दूरी बहुत अधिक पड़ती है। जिसकी वजह से बच्चे रिस्क लेकर बड़ी मुश्किल से नाला पार कर स्कूल आते-जाते थे।

ग्रामीणों ने कई बार इस समस्या को लेकर शासन से लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया था लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा उन्हें आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ।

आखिरकार ग्रामीणों नेे एकजुट होकर लकड़ी का पुल बनाने की ठान ली, फिर क्या था, सभी ग्रामीण इकट्ठे हुए और बांस, बल्लियां काटना शुरू कर दिया और लगभग 1 सप्ताह की मेहनत के बाद आखिरकार एक अस्थाई पुल बनकर तैयार है। जिससे निकलकर बच्चे जहां स्कूल जा रहे हैं तो वहीं ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कार्यों को करने के लिए पुल से आसानी से आवागमन कर रहे हैं।

ग्रामीण इस पुल को बना कर उत्साहित जरूर हैं, लेकिन उन्हे उम्मीद है कि जल्द ही शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान दें और उनके गांव में नाले पर एक स्थाई पुल बने ताकि भविष्य में फिर ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को आवागमन के लिए जान जोखिम में न डालनी पड़े।