छिंदवाड़ा की महिलाओं ने पातालकोट की चिरौंजी को दिलाई नई पहचान, प्रोसेसिंग ने बढ़ाई कमाई

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ध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जनजाति बहुल तामिया ब्लॉक की महिलाओं ने चिरौंजी की प्रोसेसिंग के जरिए खुद को सशक्त बनाना शुरू कर दिया है.

तामिया की प्रसिद्ध वनोपज चिरौंजी को पातालकोट चिरौंजी के नाम से एक नई पहचान भी दिलाई है. आज ये महिलाएं चिरौंजी प्रोसेसिंग यूनिट से चिरौंजी की पैकेजिंग और बिक्री कर अच्छा लाभ कमा रही हैं. तामिया में चिरौंजी प्रोसेसिंग यूनिट के सफल संचालन के बाद अब ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ कर अमरवाड़ा ब्लॉक के ग्राम सोनपुर की महिलाएं भी इसके जरिए आर्थिक लाभ प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो रही हैं.

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चिरौंजी एक महंगा ड्राई फ्रूट है, जिसका इस्तेमाल मिठाई बनाने में ज्यादा होता है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. फिलहाल, बात करें पातालकोट चिरौंजी की तो आर्डर पर जिले के स्थानीय बाजार के साथ ही भोपाल और गुजरात में भी सप्लाई की जा रही है. महिलाएं, जीविका पोर्टल के जरिए चिरौंजी की ऑनलाइन बिक्री भी कर रही हैं.

कैसे बढ़ी आदिवासी किसानों की कमाई

मध्य प्रदेश सरकार ने बताया कि पहले समूह की महिलाएं वनों और अपने खेतों से चिरौंजी की गुठली एकत्रित कर बिचौलियों को कम दाम में बेच देती थीं. इससे उन्हें तो कम लाभ होता था, लेकिन बिचौलिये दोगुना लाभ कमाते थे. इस बारे में जब ग्राम पंचायत कुमड़ी और ग्राम डोंगरा के सीता आजीविका ग्राम संगठन में चर्चा हुई तो संगठन द्वारा चिरौंजी प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का फैसला लिया गया. चिरौंजी की गुठली एकत्रित करके उसकी प्रोसेसिंग कर पातालकोट चिरौंजी के नाम से पैंकिग कर बाजार में बिक्री शुरू की गई.

कितना हुआ फायदा

सीता आजीविका ग्राम संगठन डोंगरा से जुड़ी तीन महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनके समूह में 32 सदस्य हैं. समूह द्वारा 2 लाख 9 हजार 119 रुपये की लागत से चिरौंजी प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई. यूनिट ने एक लाख 68 हजार 200 रुपये की लागत से 8 क्विंटल 41 किलो 900 ग्राम गुठली खरीदी.

महिलाओं ने बताया कि 541 किलोग्राम गुठली की प्रोसेसिंग में एक लाख 28 हजार 700 रुपये खर्च हुए हैं. जिसमें से अभी तक 162 किलोग्राम चिरौंजी बेचकर एक लाख 94 हजार 400 रुपये एकत्र हुए हैं. इतनी ही बिक्री से 65 हजार 700 रुपये का लाभ मिला है. समूह के पास वर्तमान में 300 किलोग्राम गुठली प्रोसेसिंग के लिए बची हुई है.

पातालकोट चिरौंजी को ब्रांड बनाने की कोशिश

समूह की महिलाओं द्वारा किए जा रहे इस इनोवेशन की सराहना हो रही है. इस सफलता का श्रेय महिलाएं शासन-प्रशासन के सहयोग और ग्रामीण आजीविका मिशन को भी दे रही हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को भी समूह से जुड़ कर आत्मनिर्भर होने के लिये प्रेरित कर रही हैं. अच्छा मुनाफा होने की वजह से महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में बदलाव आया है. चिरौंजी प्रोसेसिंग का काम जारी है और इसे दिनों-दिन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिससे कि पातालकोट चिरौंजी की पूरे देश में एक ब्रांड के रूप में पहचान बन सके.

मंत्रियों ने की थी तारीफ

इसी साल अगस्त में छिंदवाड़ा जिले के भ्रमण पर पहुंचे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह और प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी अनुसूचित जनजाति बहुल विकासखंड तामिया के ग्राम डोंगरा पहुंच कर चिरौंजी प्रोसेसिंग यूनिट का निरीक्षण कर इस काम की सराहना की थी. दोनों नेताओं ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाया था.