राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जनजातीय समूह की सभी जनजातियों को शासन की योजनाओं का लाभ मिले। योजना को विभाग द्वारा इसी भाव और भावना के साथ तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ हितग्राही तक पहुँचने के सभी स्तरों की मॉनीटरिंग की जानी चाहिए। जनजातीय समुदाय के हितों का संरक्षण संबंधित विभाग का दायित्व है। उन्होंने कहा है कि विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के विकास के लिए लागू की जाने वाली दुधारू गाय प्रदाय योजना का लाभ समान रूप से समूह की सभी जनजातियों को दिया जाना आवश्यक है। राज्यपाल श्री पटेल राजभवन में बैठक में पशुपालन विभाग की गतिविधियों पर चर्चा कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि योजना में पशुधन की उपलब्धता और अन्य मानक, विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के अनुरूप होना चाहिए। पशु, उसका आहार और उसके चयन की गुणवत्ता उत्कृष्ट होनी चाहिए। जरूरी है कि विभाग पशु की उपलब्धता, उसकी कीमत, चयन की सभी प्रक्रियों की सूक्ष्म और मैदानी मॉनीटरिंग करें, जिससे ताकि जनजातीय हितों की अनदेखी नहीं होने पाए।
राज्यपाल श्री पटेल को अपर मुख्य सचिव पशुपालन श्री जे.एन. कंसोटिया ने बताया कि योजना में मिल्क रूट के हितग्राही परिवारों के चयन को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्हें उन्नत नस्ल की दुधारू गायें 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराई जाएगी। योजना के क्रियान्वयन से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर मिलने पर हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उच्च उत्पादक क्षमता के गौवंशीय पशुओं की उपलब्धता से दुग्ध उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी। जनजातियों का पलायन भी रुकेगा। उन्होंने बताया कि उत्कृष्ट पशु क्रय करने के लिए कड़े मापदंड निर्धारित किए गए हैं। योजना की निगरानी जिले के उप-संचालक पशु चिकित्सा सेवाओं द्वारा की जाएगी।
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री प्रेम सिंह पटेल, जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री दीपक खांडेकर, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री डी.पी. आहूजा, जनजातीय आयुक्त श्री संजीव सिंह, जनजातीय प्रकोष्ठ के सदस्य सचिव श्री बी.एस. जामोद, विधि विशेषज्ञ श्री भग्गू सिंह रावत, विषय विशेषज्ञ डॉ. दीपमाला रावत, विधि सलाहकार श्री विक्रांत सिंह कुम्हरे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।