Jhooth bole kaua kaate: क्या अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा सिद्ध होगा रामराज्य रथ

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श्रद्धालुओं की मानें तो अयोध्या में रामलला का निर्माणाधीन मंदिर अनेक बाधाओं-विरोध के बावजूद विश्व हिंदू परिषद समर्थित दो रथयात्राओं की देन है। तो क्या, दशहरा के दिन अश्वमेध यज्ञ घोड़े की तर्ज पर अयोध्या से रवाना तीसरी रथयात्रा रामराज्य की परिकल्पना साकार करने की तैयारी है? इसके एक दिन पहले गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलीलाओं से भारत की विरासत के सम्मान को रेखांकित किया।

विहिप समर्थित श्री रामदास मिशन की रामराज्य दिग्विजय रथयात्रा सीएम सीटी गोरखपुर होकर पड़ोसी देश नेपाल से होते हुए कुल 27 राज्यों से गुजरेगी। मिशन के राष्ट्रीय मंत्री श्री शक्ति शांतानंद मानुषी के अनुसार, रथयात्रा 15 हजार किमी की दूरी 60 दिनों में तय करेगी। रथयात्रा का समापन 3 दिसंबर को अयोध्या लौटने पर गीता जयंती के अवसर पर होगा। फिर यहां अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया जाएगा।

जहां तक अश्‍वमेध यज्ञ की बात है, प्राचीनकाल में कोई भी राजा चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए इस यज्ञ को करता था। इसमें देवयज्ञ करने के बाद अश्‍व की पूजा करके अश्‍व के मस्तक पर जयपत्र बांधकर उसके पीछे सेना को छोड़कर उसे भूमंडल पर छोड़ दिया जाता था। जिस किसी राजा को अश्वमेध करनेवाले का अधिपत्य स्वीकृत नहीं होता था, वह उस घोड़े को बांध लेता और सेना से युद्ध करता था। अश्व बांधनेवाले को पराजित कर तथा घोड़े को छुड़ाकर सेना आगे बढ़ती थी। इस प्रकार वह घोड़ा संपूर्ण भूमंडल में घूमकर लौटता था। यह भी मान्यता है कि अश्वमेध यज्ञ ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए और स्वर्ग एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता था।

वर्तमान रथयात्रा के माध्यम से सरकार से इंडिया को भारत घोषित करने, भारतीय शिक्षा में रामायण और देश के असली इतिहास को शामिल करने की मांग की जाएगी। स्वामीजी ने राम मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 2018 में अयोध्या से रामेश्वरम व 2019 में रामेश्वरम से अयोध्या की रथयात्रा निकाली थी। यह दोनों यात्राएं महाशिवरात्रि से शुरू होकर रामनवमी पर अपने गंतव्य पर पहुंची। 41-41 दिनों की यात्रा के बाद पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन हुआ और फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। अब राम मंदिर निर्माण हो रहा है और रामलला की प्रतिष्ठा के साथ रामराज्य की भावभूमि तैयार की जा रही है। वैसे, 1990 में राम मंदिर निर्माण के लिए लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में भी सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा निकाली गई थी, परंतु उत्तर प्रदेश में प्रवेश से पहले ही बिहार में आडवाणी की गिरफ्तारी के चलते अधूरी रह गई थी।

योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में विजयादशमी की भव्य शोभा यात्रा के बाद रामलीला मैदान में कहा कि राम और रावण का युद्ध हर युग में निरंतर चलता है। अन्यायी और अत्याचारी ताकतें अलग-अलग रूप में अलग-अलग कालखंड में पैदा होती हैं। कभी अधर्म के रूप में, कभी रावण के रूप में और कभी कंस, दुर्योधन, आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के रूप में पैदा होती हैं। यह सभी राक्षसी प्रवृत्तियां हैं। यह समाज को खोखला बना रही हैं। अराजकता को बढ़ावा दे रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए यह पर्व और भी महत्व रखता है। हम जानते हैं बीमारी भी एक प्रकार की अव्यवस्था, अराजकता है, वह भी एक राक्षस है। पूर्वी उत्तर प्रदेश ने इंसेफेलाइटिस से मुक्ति की ओर कदम बढ़ाया है। मस्तिष्क ज्वर से पांच साल पहले हजारों मौतें होती थीं। यह मौतें आज लगभग जीरो के नजदीक आ चुकी हैं।

सीएम योगी ने कहा कि किसी भी कल्याणकारी शासन, व्यवस्था का और समाज का यह एक महत्वपूर्ण पहलू होता है, वह समाज की पीड़ा को अपनी पीड़ा के साथ जोड़ता है। राष्ट्र की पीड़ा के साथ अपने आप को जोड़ता है। समाज की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए अपने आपको जोड़ता है। तभी महानता का रास्ता निकलता है। आज हम भगवान राम की पूजा करते हैं, उनकी वंदना कर रहे हैं। इसलिए क्योंकि भगवान राम ने अपने आदर्शों से एक आदर्श प्रस्तुत किया है। हमारे यहां कहा गया है कि रामो विग्रहवान धर्म: यानि धर्म की अगर को परिभाषा है और उसे किसी छोटी सी परिभाषा में सीमित करना हो, धर्म के बारे में जानना है, तो भगवान राम के चरित्र के बारे में जान लो।

सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम में पूरे देश को पंच प्रण के साथ जोड़ने का आह्वान किया। भारत के विरासत का सम्मान करना भी है और किसी भी प्रकार के विदेशी अपरंपरा या संस्कृति का कोई चिह्न न रहे, उसे समाप्त करते हुए अपनी विरासत और परंपरा को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार बनाने में हमें सहयोग देना है। उत्तर भारत में कोई गांव और मोहल्ला नहीं होगा, जहां रामलीला का आयोजन न होता हो। विरासत के प्रति सम्मान का यह भाव हर बार हमें स्वत: स्फूर्त भाव के साथ जोड़ता है।

झूठ बोले कौआ काटेः

महान संत कवि गोस्वामी तुलसी दास ने रामराज्य की कल्पना करते हुए राजा के लिए कुछ गुणों का उल्लेख किया है। यथा, लोक वेद द्वारा विहित नीति पर चलना, धर्मशील होना, प्रजापालक होना, सज्जन एवं उदार होना, स्वभाव का दृढ़ होना, दानशील होना आदि। राम में आदर्श राजा के सभी गुण विद्यमान हैं। ऐसे रामराज्य में विषमता टिक नहीं सकती और सभी प्रकार के दुखों से प्रजा को त्राण मिल जाता है। तुलसी ने रामराज्य का प्रारूप प्रस्तुत करते हुए एक आदर्श राज्य की परिकल्पना की है। वर्तमान काल में गांधीजी ने जिस रामराज्य की कल्पना की है, उसका मूल आधार भी तुलसी की रामराज्य परिकल्पना ही है। निश्चय ही यह एक आदर्श शासन व्यवस्था हैं जिसका मूल आधार लोकहित एवं मानववाद है।

पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का समाधान शांतिपूर्वक हो गया। लोग कहते थे कि यदि मंदिर के पक्ष में फैसला आया तो खून की नदियां बहेंगी। समाधान हो गया और एक मच्छर तक नहीं मरा। यही रामराज्य है।

मुख्य फोटो श्रीराम दिग्विजय रथयात्रा 1

सीएम योगी ने एक बार विधानसभा में कहा था कि रामराज्य का मतलब किसी धार्मिक शासन व्यवस्था से नहीं है। देश को रामराज्य की जरूरत है, समाजवाद की नहीं क्योंकि जो अस्वाभाविक है, अप्राकृतिक है और अमानवीय है, वह चेहरा समाजवाद का देश के सामने आया है। जो सार्वभौमिक है, सार्वदेशिक है, सर्वकालिक है, कालपरिस्थितियों से परे शाश्वत है, वही रामराज्य है। हमारी सरकार रामराज्य की अवधारणा को जमीन पर उतारने को प्रतिबद्ध है। तुलसीदास ने रामराज्य की अवधारणा स्पष्ट की। इसका मतलब धार्मिक राज्य से नहीं है। हर प्रकार के दुखों से सर्वथा मुक्ति का उपाय किसी भी लोककल्याणकारी शासन का दायित्व बनता है। इसी को हमने धर्म के साथ जोड़ा है, किसी उपासना विधि से नहीं जोड़ा है। सिर्फ टोपी पहन लेने से धर्म नहीं हो जाता है।

2018 की रामराज्य रथ यात्रा

बहरहाल, रामराज्य दिग्विजय रथयात्रा का लक्ष्य और उद्देश्य व्यापक है। अयोध्या उत्तर प्रदेश में है, योगी जैसा मुख्यमंत्री है, तो रामराज्य की परिकल्पना को रंग भी कुछ अधिक ही चढ़ा हुआ दिखता है। कमो-बेस, भाजपा शासित और प्रदेशों की भी बात छोड़ दें तो, अन्य प्रदेशों तक रामराज्य की परिकल्पना का संदेश पहुंचाने में रथ रूपी अश्वमेध यज्ञ का यह घोड़ा कितना सफल होगा, देखने की बात होगी। फिर तो, डबल इंजन जैसा आचरण इन सरकारों को भी केंद्र के साथ और केंद्र को इनके साथ मिल कर करना होगा। रथयात्रा मिशन की मांगे तो कोई अनुचित नहीं हैं।

गांधी जी

 

हिंदी नवजीवन में महात्मा गांधी ने रामराज्य के बारे में लिखा था, ‘स्वराज्य के चाहे जितने अर्थ किये जाएं, लेकिन मेरे लिए वह रामराज्य ही है। अगर कोई रामराज्य शब्द का बुरा मानेगा तो मैं धर्मराज्य कहने को तैयार हूं। रामराज्य शब्द का अर्थ है कि उसमें गरीबों की रक्षा होगी, सब कार्य धर्मानुसार (नियमानुसार) किए जाएंगे और जनता के मत का हमेशा सम्मान किया जाएगा।‘

और ये भी गजबः

बरेली के दीपक सिंह बीते 21 साल से सुभाषनगर रामलीला में रावण बनते हैं। दिलचस्प यह है कि उनकी कंपनी उन्हें हर वर्ष लीला मंचन के लिए 15 दिन का सवैतनिक अवकाश भी देती है। दीपक ललितपुर के एमएस रोड लाइंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। पहले उनकी तैनाती ललितपुर थी। वर्तमान में सोनभद्र के शक्तिनगर में हो गई है।

और ये भी गजब रावण

रामलीला मंचन से दीपक सिंह का ऐसा जुड़ाव है कि हर साल वह रावण का किरदार निभाने के लिए घर जरूर जाते हैं और इसके लिए कंपनी से 15 दिन का अवकाश लेते हैं। इतने दिनों में रिहर्सल और मंचन करते हैं। परिस्थितियां कैसी भी रही हों, बीते 21 साल से (कोरोना संक्रमण के चलते दो साल रामलीला नहीं हुई) वह दशहरा के पहले आते हैं। जब रामलीला मंचन और रावण का रोल निभाने के प्रति दीपक के सपर्पण का पता चला तो कंपनी ने फैसला किया कि हर साल उनको 15 दिन का अवकाश लीला मंचन के लिए दिया जाएगा। इसके लिए उनको पूरा वेतन भी मिलेगा।क्या बात है।