विधानसभा उपचुनाव की तैयारी के दौरान कांग्रेस ने एक बड़ी चूक करके अपनी पार्टी के दो दिग्गज नेताओं को नाराज कर लिया है। उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारक की सूची से पार्टी के दिग्गज नेता व राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा का नाम गायब कर दिया गया। इसे लेकर भोपाल से दिल्ली तक हंगामा मचा तो प्रदेश कांग्रेस कार्यालय ने एक संशोधित सूची निर्वाचन आयोग को भेजी। इस सूची में विवेक तन्खा का नाम तो शामिल कर दिया लेकिन पार्टी के अनुसूचित जाति के बड़े नेता एनपी प्रजापति का नाम काट दिया गया। प्रजापति मप्र विधानसभा में स्पीकर रह चुके हैं। पार्टी की इस चूक से न तो विवेक तन्खा की नाराजगी कम हुई है और न ही एनपी प्रजापति अपना नाम कटने से खुश हैं। कांग्रेस की एक चूक ने पार्टी के दो नेताओं को खासा नाराज कर दिया है।
*नेताओं को पुत्रों की चिंता!*
मप्र में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अपने पुत्रों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में जिस तरह भाजपा ने खंडवा और रैगांव में अपने दिवंगत सांसद, विधायक के पुत्रों को टिकट न देकर झटका दिया है उससे नेताओं की चिंता और भी बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा आधे से अधिक विधायकों का टिकट काट सकती है। इनमें से शायद ही कोई विधायक होगा जिसके बेटे या बेटी को टिकट मिल सके। ऐसे में अब नेता अपने पुत्रों के भविष्य को सुरक्षित करने उनके व्यवसाय जमाने में सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस में भाजपा में आए एक मौजूदा मंत्री ने अपने बेटे के लिए लगभग 100 करोड़ की फैक्ट्री शुरू करने की तैयारी कर ली है। अनेक नेता पुत्र बड़े-बड़े ठेकेदारों के साथ पार्टनरशिप करने में लग गए हैं। यह भी खबर आ रही है कि भाजपा के कुछ नेता अपने ही पुत्रों के राजनीतिक भविष्य के लिए कांग्रेस की ओर निहारने लगे हैं।
*अडानी की नजर मध्यप्रदेश पर!*
देश के दूसरे नंबर के सबसे बड़े उद्योगपति गौतम अडानी की नजर मप्र पर पड़ गई है। वे यहां अपने व्यवसाय के साथ-साथ मीडिया क्षेत्र में भी हाथ अजमाना चाहते हैं। अडानी की पूरी योजना काफी गोपनीय है। पता चला है कि एक बड़े मीडिया समूह के साथ अडानी कोई बड़ी डील करने जा रहे हैं। मीडिया समूह खरीदा नहीं जाएगा बल्कि उसके साथ नए तरह का समझौता होना तय हो गया है। मुखबिरों की खबर है कि नवंबर में अडानी और मीडिया समूह की डील फायनल हो सकती है। मीडिया के अलावा अडानी की नजर मप्र की विद्युत कंपनियों पर भी बताई जा रही है।
*भाजपा का कमजोर सोशल मीडिया*
मप्र भाजपा का आईटी सेल और सोशल मीडिया विभाग पूरी तरह टांय टांय फिस्स साबित हो रहा है। मुरलीधर राव के प्रभारी बनने से पहले इन दोनों की जिम्मेदारी शिवराज सिंह डाबी संभाल रहे थे। राव के दखल के बाद डाबी को हटाकर आईटी सेल का संयोजक अमन शुक्ला और सह संयोजक गौरव विश्वकर्मा को बनाया गया। सोशल मीडिया की जिम्मेदारी अभिषेक शर्मा को सौंपी गई। एक के स्थान पर तीन लोगों को बिठाने के बाद भी भाजपा का सोशल मीडिया कांग्रेस से बुरी तरह पिछड़ गया है। दो दिन पहले पृथ्वीपुर में हुई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के कमलनाथ की सभाओं के फेसबुक लाईक पर नजर डाली जाए तो जमीन आसमान का अंतर है। कमलनाथ को 4.92 लाख लोगों ने लाइव सुना जबकि शिवराज सिंह को मात्र 1300 लोगों ने सुना। कमलनाथ को 10,500 लाइक मिले, शिवराज को मात्र 122 इसी तरह कमलनाथ के लाइव वीडियो को 1000 लोगों ने शेयर किया जबकि शिवराज के वीडियो को मात्र 4 लोगों ने शेयर किया। यदि कमेंट की बात की जाए तो कमलनाथ के लाइव पर 674 कमेंट थे जबकि शिवराज के लाइव पर मात्र 24 कमेंट मिले। इन आंकड़ों ने भाजपा के सोशल मीडिया विभाग को तगड़ा झटका दिया है।
*आलोक शर्मा के बेटे का लिफाफा*
मप्र भाजपा के तेज तर्रार नेता आलोक शर्मा को तो आप पहचानते ही होंगे। भोपाल के पूर्व महापौर और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक शर्मा का बेटा अर्पित शर्मा आजकल अपने “लिफाफा” को लेकर चर्चा में है। यह कोई धनराशि या दस्तावेज का लिफाफा नहीं है। अर्पित में पिता की तरह राजनीति के कोई गुण नहीं है। वह अपने दादा की तरह साहित्य में रूचि रखने लगा है। अर्पित ने इस सप्ताह अपने 21वें जन्मदिन के अवसर पर “द लिफाफा” नाम से वेबसाईट लांच की है। जिसमें अर्पित की लिखी हुई काफी शानदार और गंभीर कविताओं का संग्रह है। अर्पित ने पिता को लेकर जो कविता लिखी है वह चर्चित और मार्मिक है…”घर पर जब हम सभी मीठी नींद के बादलों की शहर कर रहे थे, तब मसरूफ आप इन बादलों को इकट्ठा कर रहे थे, तब क्या ही मालूम था आप खुद के सपने अधूरे छोड़ हमारे पूरे कर रहे थे”
*वीडी शर्मा को सलाह*
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को उनके ही मित्रों ने सलाह दी है कि विपक्षी नेताओं के आरोपों से विचलित होने के बजाए राजनीति के मान्य सिद्धांत का पालन करते हुए अपनी चमड़ी मोटी कर लेना चाहिए। दरअसल पिछले एक माह से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और कमलनाथ अचानक वीडी शर्मा पर हमलावर हो गए हैं। उन पर व्यक्तिगत आरोप भी लगाए जा रहे हैं। वीडी शर्मा ने भी जवाबी हमले करते हुए दिग्विजय सिंह के बयानों की जांच एनआईए से कराने के लिए बयान दे डाला। शर्मा ने अपने संसदीय क्षेत्र में दिग्विजय सिंह समर्थकों पर भी हमले तेज कर दिए। उनके दामाद की संपत्ति का ब्यौरा तैयार कराया गया। दिग्विजय सिंह समर्थक एक महिला नेत्री के कथित अतिक्रमण पर हमला बोला गया। राजनीति के लिहाज से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को पुराना और घाघ नेता माना जाता है, जबकि वीडी शर्मा की छवि नए उभरते हुए बेदाग नेता की है। शर्मा के शुभचिंतकों ने सलाह दी है कि विपक्ष का काम आरोप लगाने का है। उनके हर आरोप का जवाब देना या आरोपों को व्यक्तिगत लेना अच्छे राजनेता की पहचान नहीं है।
*और अंत में…*
मप्र के जल संसाधन विभाग के हजारों करोड़ के ठेके लेने वाली हैदराबाद की कंपनी मैक्स मेंटाना के खिलाफ चल रही कार्रवाई अचानक थम गई है। चर्चा है कि इस कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने दिल्ली में खासी जमावट कर ली है। दिल्ली सरकार को यह भी भरोसा दिला दिया है कि जो गलती उन्होंने कमलनाथ सरकार में की थी उसे नहीं दोहराएंगे। दरअसल कमलनाथ सरकार आते ही एक आईएएस अधिकारी के जरिए इस कंपनी का कांग्रेसीकरण हो गया था। इसकी भनक लगते ही ईडी ने कंपनी के चेयरमैन को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया। अब खबर आ रही है कि कंपनी ने भोपाल से दिल्ली तक अपने खिलाफ चल रही सभी कार्रवाईयों को मैनेज कर लिया है। ई-टेंडर घोटाले से लेकर छिंदवाड़ा में लगभग 500 करोड़ बिना काम के एडवांस लेने की कई जांच फिलहाल धीमी कर दी गई हैं।