चुनावी साल की आहट, जमावट और सजावट  …

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चुनावी साल की आहट, जमावट और सजावट  …

वर्ष 2022 के जाते-जाते मध्यप्रदेश में मिशन-2023 की आहट खुलकर नजर आने लगी है। सड़कों पर सरकार और संगठन की चहलकदमी बढ़ गई है। भाजपा की बैठकों का दौर चल रहा है। प्रशासनिक जमावट की शुरुआत भी हो चुकी है। तो बूथ स्तर पर इस तरह सजावट की जा रही है कि हर बूथ को जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की जा सके। भाजपा कोर समिति की बैठक में  जब दिग्गजों का जमावड़ा होता है और सड़कों पर सायरन की आवाजें रह-रहकर कानों में दस्तक देती हैं, तब लगने लगता है कि जैसे मतदान की तारीख से पहले का चुनाव प्रचार जोरों पर हो। प्रदेश भाजपा कार्यालय आगंतुकों की आगवानी में व्यस्त रहता है। तो प्रोटोकॉल और भारी सुरक्षा से सजे मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और दिग्गज पदाधिकारी जब बैठकों में होते हैं, तो बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी माहौल को ज्यादा असरदार बनाने में मददगार नजर आते हैं। सारा माहौल बार-बार चुनावी साल की आहट पर पक्की मुहर लगाता रहता है। 2022 जाने को हैं, नवंबर का एक तिहाई समय गुजर गया और दिसंबर का महीना आने को है। जनवरी आते ही चुनाव दौड़ लगाने लगेगा। और नेताओं की गति अविराम रफ्तार पकड़ती रहेगी।

नौकरशाही में बदलावों को अब पूरी तरह से 2023 की जमावट के हिसाब से देखा जा रहा है। प्रमुख सचिव, सचिव और कई जिलों के कलेक्टर बदल गए हैं। इसमें सबकी निगाहें इंदौर जिले पर थी। यहां लंबी पारी खेल चुके मनीष सिंह की विदाई हो चुकी है। वैसे सरकार चाहती, तो सिंह को कम से कम छह माह का समय बिना किसी रुकावट के दे सकती थी। पर शायद इसीलिए उन्हें बदला गया है कि आने वाले अफसर को जिले को समझने का पूरा अवसर मिल सके और वह 2023 चुनाव के मुताबिक सरकारी भावनाओं को पूरी तवज्जो देने में सक्षम हो जाए। क्योंकि माहौल कुछ पिछले विधानसभा चुनाव जैसा ही बनने वाला है। सब ठीक रहा, तो फिर वही दृश्य दिखेगा कि कमलनाथ अफसरों को चेतावनी देंगे कि भाजपा को तवज्जो मत दो और मतगणना ठीक से करो वरना हमारी सरकार बनी तो पूरा हिसाब मय चक्रवृद्धि ब्याज के वापस लौटाऊंगा…तो वहीं मैदान में तैनात अफसरों को शिवराज का चेहरा सामने ही नजर आएगा। खैर यह दृश्य तो तब का है, जबकि उससे पहले तक सब यथास्थिति बनी रही। पर जमावट तो उसी तरह से हो ही रही है। अनूपपुर एसपी अखिल पटेल को हटाकर मुख्यालय भेजा जाना इफेक्ट-2023 ही है। तो माह के मध्य में ही यह खबर फैलने लगेगी कि प्रदेश का नया मुख्य सचिव कौन होगा।

तो बूथ स्तर पर सजावट भी उसी तरह हो रही है कि बूथ जीता और चुनाव जीता का मंत्र प्रभावी हो जाए। भाजपा संगठन पूरी तरह से हाईटेक है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की उंगलियों के इशारे पर संगठन की गतिविधियां और बूथ के आंकड़े हाजिर रहते हैं। हाईटेक तो कांग्रेस संगठन भी है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी तकनीकी फ्रेंडली हैं। पर नाथ की नजरों में भी भाजपा संगठन श्रेष्ठ है और वह बार-बार कार्यकर्ताओं को यह समझाते हैं कि मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से है। वहीं भाजपा अब पन्ना प्रभारी को सशक्त करने में जुट गई है। भाजपा ने कोर कमेटी की बैठक में संभागीय प्रभारियों के संभागों में फेरबदल कर मिशन-2023 को ही ध्यान में रखा है। और हो सकता है कि बदलावों का दौर संगठन स्तर पर भी जारी रहने वाला ही है।

जाते-जाते यह चर्चा भी चुनावी ही है कि मंगलवार को गुरुनानक देव जी की जयंती के अवसर पर इंदौर के खालसा कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में कमलनाथ का जमकर विरोध हुआ और उनके खिलाफ नारे भी लगे। यहां पहुंचे कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने मंच से कमलनाथ का विरोध किया और वहां मौजूद लोगों को खरी-खरी सुना दी। कानपुरी ने भरी सभा में कमलनाथ  के आने पर जमकर नाराजगी जताई। और चौरासी के दंगों मे गले में टायर डालकर सिखों को जिंदा जलाने की घटना याद दिलाई। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी ने इस मामले को जन-जन तक पहुंचा दिया है। तो दूसरी तरफ यह चर्चा भी जोरों पर है कि भाजपा कोर कमेटी की बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आने बाद अचानक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य  सिंधिया का स्वास्थ्य खराब हुआ और उन्हें बैठक छोड़कर जाना पड़ा। शाम को उन्होंने ट्वीट कर कोविड होने की जानकारी दी और जो संपर्क में आए हों उन्हें कोविड टेस्ट कराने की सलाह दी है। पर सवाल यह भी है कि सिंधिया को बार-बार कोविड क्यों हो जाता है और इसका उपचार क्या है? तो आहट आ गई है, जमावट जारी है और सियासती सजावट चुनाव आने तक चलती रहेगी…।