हिमाचल में पहली बार ड्रोन से सेब की ढुलाई

किन्नौर में सफल ट्रायल, घंटों का काम मात्र छह मिनट में हुआ

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हिमाचल में पहली बार ड्रोन से सेब की ढुलाई

सुदेश गौड़

शिमला। ड्रोन तकनीक अब आम जन जीवन का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर होती जा रही है। इसी दिशा में काम करते हुए अब हिमाचल प्रदेश में ड्रोन के माध्यम से पहली बार सेब की पेटी ढुलाई की गई। प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के निचार गांव के दुर्गम क्षेत्र कंडे से लेकर निचार मिनी स्टेडियम तक सेब की पेटी को ड्रोन के माध्यम से पहुंचाया गया। यह दूरी छह मिनट में पूरी की गई, जबकि इतनी दूरी तय करने के लिए मजदूरों को घंटों लग जाते हैं। सफल ट्रायल को लेकर बागवानों ने प्रसन्नता व्यक्त की। वहीं, संबंधित ड्रोन कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि 3 दिन तक ड्रोन से सेब पहुंचाने का ट्रायल किया गया जो सफल रहा है। यह ट्रायल स्थानीय बागवान समूह के आग्रह पर सब्जियों व फलों का कारोबार करने वाली वीग्रो कंपनी ने स्काई एयर कंपनी के साथ मिलकर किया है।
बड़े ड्रोन का भी जल्द ट्रायल

ट्रायल करने वाली कंपनी का दावा है कि बड़े ड्रोन (जिसकी क्षमता 4-5 पेटी उठाने की होगी) का भी जल्द ही ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल के दौरान कंपनी ने किन्नौर की पंचायत निचार के प्रतिनिधियों और स्थानीय बागवान समूह की उपस्थिति में एक सेब की पेटी को ड्रोन की मदद से पहुंचाया। कंपनी सेब उत्पादक क्षेत्रों में इस सुविधा को प्रदान करने का प्रयास कर रही है।बागवानों का कहना है कि ड्रोन से सेब ढुलाई में जहां समय की बचत होगी, वहीं सेब सुरक्षित तरीके से सड़क तक पहुंचेगा। ड्रोन से सेब ढुलाई को लेकर कंपनी की दरें निर्धारित करने के लिए पंचायत और सेब उत्पादक समूहों से चर्चा भी चाह रहे हैं।
दुर्गम क्षेत्रों में ड्रोन से दवा आपूर्ति
हिमाचल प्रदेश ड्रोन पॉलिसी बनाने वाला देश का पहला राज्य है। अभी तक मंडी, चंबा और लाहौल स्पीति सहित प्रदेश के अन्य दुर्गम क्षेत्रों में ड्रोन के जरिये लोगों तक दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य जांच के लिए सैंपल भी ड्रोन की मदद से ही मंगवाए जा रहे हैं। उसके बाद अब सेब ढुलाई में ड्रोन का उपयोग बड़ी क्रांतिकारी पहल के रूप में देखा जा रहा है।

काम हुआ आसान

किन्नौर जिला सेब बहुल क्षेत्र है। जहां करीब 36 लाख सेब की पेटियां हर वर्ष सेब मंडियों तक कठिन मार्गों से होकर ट्रकों के माध्यम से पहुंचती हैं। इस दौरान बागवानों को सेब की पैकिंग और फसल को मंडी तक पहुंचाने में कई दिन लग जाते हैं। जिले में कुछ ऐसे भी दुर्गम क्षेत्र हैं, जहां से सेब या अन्य फसल को मुख्य मार्ग तक पहुंचाना ही बहुत मुश्किल होता है।
हिमाचल के बागवानी क्षेत्र में आधुनिकीरण से बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जिससे बागवानों का काम आसान हो जाएगा। अब ड्रोन के माध्यम से किन्नौर के दुर्गम व कठिन क्षेत्रों से सेब, आलू व अन्य नकदी फसलों को आसान तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सकेगा।

हिमाचल में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, सिरमौर जिलों में सेब का उत्पादन होता है। हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है। हिमाचल में सालाना करीब चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है। हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है। उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है।