कारपोरेट घरानों को नहीं रास आ रहे हैं IAS अधिकारी

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कारपोरेट घरानों को नहीं रास आ रहे हैं IAS अधिकारी

दुनिया के कई बड़े कारपोरेट घरानों में IAS अधिकारी अपनी प्रशासकीय सेवा से इस्तीफा देकर बड़े पैकेज के लालच में चले जाते हैं। लेकिन हाल ही में ऐसा कुछ उदाहरण सामने आए हैं जिसमें IAS अधिकारियों को कारपोरेट घरानों ने पसंद नहीं किया और उन्हें बाहर निकाल दिया।

Meta shown no mercy, मेटा ने निष्कासन मे कोई नरमी नहीं बरती

फेसबुक की मालिक कंपनी मेटा ने स्टाफ की छटनी की उसमें IAS अधिकारियों को भी छोड़ा नहीं गया है। उनको बाहर करने मे कोई नरमी नहीं दिखाई। इस निष्कासन की चपेट वे वरिष्ठ अधिकारी भी आ गये जो IAS से इस्तीफा दे कर बडे पदों पर वहां गए थे। उत्तर प्रदेश काडर के 1993 बैच के IAS अधिकारी राजीव अग्रवाल मेटा मे निदेशक पब्लिक पालिसी के पद पर थे। उन्होंने सितंबर 2021 में मेटा ज्वाइन की थी। बताया जाता है कि वे 3 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर थे। छटनी अभियान में मेटा ने इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।

हमारे सामने एक और उदाहरण है।
भारत पोस्ट एंड टेलीकॉम एकाउंट एंड फाइनेंस सेवा की 1989 बैच की अर्चना गुलाटी ने इस्तीफा दे कर गूगल को ज्वाइन किया लेकिन कुछ महीनों बाद उन्होंने इस साल मई मे वहां से त्यागपत्र दे दिया।

सोशल मीडिया के बड़े खिलाड़ी – मेटा, गूगल, ट्विटर और व्हाट्स एप – जिस इन अधिकारियों को उपयोग के बाद बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि भविष्य में IAS सहित अन्य अधिकारियों को सीख लेने की जरूरत है।