मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट को सार्वजानिक करने हेतु दायर याचिका पर शासन का जवाब

जांच आयोग की धारा 3(4) के तहत रिपोर्ट 6 माह मे पेश करना बंधनकारी नही साढे चार वर्ष बाद भी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत नहीं हुई पूर्व विधायक ने रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखे जाने उच्च न्यायालय में की याचिका

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मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट को सार्वजानिक करने हेतु दायर याचिका पर शासन का जवाब जांच आयोग की धारा 3(4) के तहत रिपोर्ट 6 माह मे पेश करना बंधनकारी नही

वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । जिले के मल्हारगढ़ तहसील क्षेत्र में किसान गोलीकांड का जिन्न अब तक ठंडा नहीं हुआ है । राजनीतिक दलों एवं किसान संगठनों व पीड़ितों द्वारा समय समय पर मामला उठाया जाता रहा है ।
हर बरस 6 जून को गोलीकांड में मारे गए किसानों की याद कर बरसी मनाई जाती है ।
यह अबतक सामने नहीं आया है कि आखिर सरकार द्वारा गठित जांच आयोग का किसान गोलीकांड में निष्कर्ष क्या है ?
इस मामले में सोमवार 21 नवम्बर को उच्च न्यायालय, इंदौर मे दायर एक जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को यह आदेश दिया कि वह मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित , जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक पटल पर क्यों नहीं रखी गई, इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करें ।

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याचिकाकर्ता पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका मे माननीय उच्च न्यायालय से प्रार्थना की , कि शासन को मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा मे पेश करने हेतू आदेश करे ।

किसान आंदोलन के दौरान दिनांक 06 जून.2017 को मंदसौर मे हुये गोलीकांड , जिसमे 5 किसानो की मृत्यु हुई थी , की जाँच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जे.के. जैन की अध्यक्षता में “जैन आयोग” का गठन किया था ।
जैन आयोग कार्यकाल में वृद्धि भी की गई और अंततः आयोग द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को 13 जून 2018 में प्रस्तुत कर दी गई थी |
जाँच आयोग अधिनियम, 1952 की धारा 3(4) के अनुसार, शासन का यह दायित्व है कि, वह जाँच आयोग की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट की अनुशंसा अनुसार की गई कार्यवाही 6 माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत करे | परन्तु आज दिनांक तक शासन द्वारा न ही रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही की गई और न ही अधिनियम के अनुसार रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की गई |

सचिवालय विधानसभा द्वारा बार-बार इस हेतु पत्र भी सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा गया था ।

याचिका में सोमवार 21.11.2022 को शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया कि कमीशन ऑफ इन्क्वायरी कानून की धारा 3(4) के अंतर्गत विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना बंधनकारी नहीं है , और इस हेतु न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश नहीं दिया जा सकता |
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया तथा न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को रिजॉइंडर् प्रस्तुत करने हेतु 2 सप्ताह का समय दिया है

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रत्यूष मिश्र द्वारा की गई .

तत्कालीन बिगड़े हालातों में पूरे देश में मंदसौर का किसान आंदोलन और गोलीकांड चर्चित रहा । राजनीतिक दलों ने पुरजोर मुद्दा बनाया पर जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई है ।