पीथमपुर, हाटपिपल्या, साडा ग्वालियर को नए शहर के रूप में डेवलप करने की प्लानिंग

केंद्र सरकार दे रही 1000 करोड़ का फंड, दिसम्बर अंत तक केंद्र ने मांगे थे प्रस्ताव

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पीथमपुर, हाटपिपल्या, साडा ग्वालियर को नए शहर के रूप में डेवलप करने की प्लानिंग

 

भोपाल:प्रदेश में बढ़ती आबादी के दबाव को कम करने के लिए अधिक आबादी वाले शहरों के समीप नई सिटी डेवलप करने के लिए केंद्र सरकार के फैसले के आधार पर एमपी में तीन कस्बों को शहरों के रूप में विकसित किया जा सकता है। एमपी में पीथमपुर, हाटपिपल्या और साडा ग्वालियर को लेकर राज्य सरकार ने प्राथमिक तौर पर सहमति जताई है लेकिन इसका अंतिम फैसला केंद्र सरकार 31 दिसम्बर तक भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर करेगी। इन शहरों के डेवलपमेंट के लिए एक हजार करोड़ सरकार देगी और बाकी राज्य शासन को खर्च करना पड़ेगा।

केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर प्रदेश में 8 नए शहरों के विकास के लिए एक हजार करोड़ रुपए का परफार्मेंस बेस्ड चैलेंज फंड तय किया है। साथ ही नए शहरों को लेकर केंद्रीय शहरी कार्य और आवासन मंत्रालय द्वारा ड्राफ्ट आॅफर के रूप में दिए निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद इस मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में टास्क फोर्स समिति का गठन किया गया है। यह समिति केंद्र सरकार से प्राप्त आफर और निविदा शर्तों के आधार पर प्राइमरी मूल्यांकन कर चुकी है। इसमें एमपी के तीन क्षेत्रों इंदौर के पास पीथमपुर, ग्वालियर की काउंटर मैग्नेट सिटी साडा और देवास जिले की हाट पिपल्या को प्राइमरी तौर पर इसके लिए फिट पाया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश में नगरीय विकास और आवास तथा नगर व ग्राम निवेश और औद्योगिक विकास तथा एमपीआईडीसी द्वारा प्रस्ताव तैयार किए गए हैं और कोआर्डिनेशन के जरिये काम किए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार से 31 दिसम्बर तक प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है।

आबादी वृद्धि के मद्देनजर नए शहरों का फार्मूला

अफसरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने बड़े शहरों मे जनसंख्या के दबाव को देखते हुए उनके आस-पास नए शहरों की परिकल्पना को देखते हुए राज्यों से प्रस्ताव मांगे हैं। दरअसल 15 वें वित्त आयोग ने मिनिस्टरी आॅफ अर्बन डेवलपमेंट को 8000 करोड़ रुपए का बजट देश में आठ शहर विकसित करने के लिए स्वीकृत किया था। इसके तहत केंद्र ने सभी राज्यों से प्रस्ताव मांगा है। सभी राज्यों के प्रस्ताव से 8 शहर चुने जाएंगे। हर एक शहर के विकास के लिए केंद्र सरकार 1000 करोड़ का अनुदान देगी जबकि बाकी खर्च राज्य सरकार को उठाना पड़ेगा।