

Acharya Chatursen Shastri Award : द्रौपदी के कारण महाभारत हुआ, पर हिडिम्बा के कारण जीता गया, हरीश पाठक ने कहा!
पवन तिवारी ने कहा ‘उपेक्षित व वंचित पात्रों को सामने लाना ही मेरा धर्म!’
Mumbai : हिडिम्बा कुरूप नहीं थी,वह अति सुंदर थी। भीम से विवाह के बाद वह राक्षसी से देवी बन गयी और मूल नागालैंड की होने के बावजूद वह मनाली आ गयी। वहाँ के राजवंश की वह कुलदेवी है। वहीं उसका मंदिर है। उसी के कारण भीम अजेय बने। द्रौपदी के कारण महाभारत हुआ पर जीता गया हिडिम्बा के कारण’।
यह विचार कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने अग्निशिखा मंच द्वारा आयोजित प्रथम ‘आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार’ कवि, मंच संचालक पवन तिवारी को प्रदान करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महाभारत के आदि पर्व में हिडिम्बा के बारे में बहुत कम लिखा है पर लगभग चार साल तक सतत शोध कर पवन तिवारी ने ‘त्यागमूर्ति हिडिम्बा’ जैसी कृति की रचना की। आज इसी कृति पर उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है।’
अग्निशिखा मंच की अध्यक्ष अलका पांडेय ने कहा कि पवन तिवारी ने हिडिम्बा जैसे उपेक्षित पात्र को अपनी कृति में सम्मान दिया यह महत्वपूर्ण है’। विशिष्ट अतिथि कमलेश पाठक ने कहा कि उर्मिला हो या यशोधरा या हिडिम्बा इतिहास में उनकी उपेक्षा ही हुई है। पवन जी ने हिडिम्बा त्याग को आधार बनाकर रोचक शैली में इसे लिखा है।’ भावुक होते हुए पवन तिवारी ने कहा कि उपेक्षित व वंचित पात्रों को सामने लाना ही मेरा धर्म है। मैं लोकमंगल के लिए ही साहित्य रचता हूँ, रचता रहूँगा।
हरीश पाठक व अलका पांडेय ने पुरस्कार के तहत उन्हें सम्मान पत्र, तुलसी का पौधा व स्मृति चिन्ह व डॉ बाबूलाल सिंह ने सम्मान राशि भेंट की। डॉ अशोक तिवारी,संजय दुवे, कमलेश पाठक, रामप्यारे सिंह, दिव्या जैन ने अपने विचार रखे। कुमार जैन ने संचालन, पल्लवी रानी ने माँ शारदा की वंदना व कार्यक्रम का संयोजन संजय दुबे ने किया।